किसानों को आह्वान
टेक :-
चुच्ची बच्चा त्यारी करल्यो रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।
धान पीट दिया क्यों म्हारा इब बची जमा समाई कोण्या।।
1------
सुधां खुरां यो बैरी चढ़ग्या क्यों होती हमनै जाग नहीं
जो चिंगारी दबी हुई वा बन जाती क्यों आग नहीं
बैठे रहवां ताश खेलते म्हारे बरगा कोय निर्भाग नहीं
जात गोत बांट दे हमनै इसतै जहरी कोय नाग नहीं
खूनी कीड़े खावैं चौगिरदें क्यों देता कति दिखाई कोण्या।।
2-------
कड़ तौडैगी महंगाई म्हारी यो दूध ढोल मैं घलग्या
सिर भी म्हारा जूती म्हारी टोटे का दीवा बलगया
अमरीका म्हारा खून चूसकै सांड मरखना पलग्या
बासी होगी म्हारी जवानी मेरा न्यों कालजा जलग्या
आगली पीढ़ी गाल बकैगी जै नई तस्वीर बनाई कोण्या।।
3--------
भारत का किसान मरया तो मुश्किल हिंदुस्तान बचै
डब्ल्यू टी ओ बन्दूक तानरया नहीं खेत खलिहान बचै
बिना खेती उद्योग किसा बिना उद्योग ना इंसान बचै
बिना बिजली पानी आज मुश्किल दीखै किसान बचै
आपणे पाहयां चाल पड़ां क्यों टोही इसी रही कोण्या ।।
4------
हमनै मारकै दम लेवैगी तपेदिक जात बीमारी भाई
इसका चश्मा चढ़ाकै म्हारै म्हारी खाल उतारी भाई
किसा सतरंगा खेल रचाया लिकड़या ऊत खिलारी भाई
जमा राह मैं डोब दिए ना दो आने की असवारी भाई
रणबीर गरीब अमीर तैं न्यारी दुनिया मैं लड़ाई कोण्या।।
******किसान क्रांति का समय निकला जा रहा है
टेक :-
चुच्ची बच्चा त्यारी करल्यो रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।
धान पीट दिया क्यों म्हारा इब बची जमा समाई कोण्या।।
1------
सुधां खुरां यो बैरी चढ़ग्या क्यों होती हमनै जाग नहीं
जो चिंगारी दबी हुई वा बन जाती क्यों आग नहीं
बैठे रहवां ताश खेलते म्हारे बरगा कोय निर्भाग नहीं
जात गोत बांट दे हमनै इसतै जहरी कोय नाग नहीं
खूनी कीड़े खावैं चौगिरदें क्यों देता कति दिखाई कोण्या।।
2-------
कड़ तौडैगी महंगाई म्हारी यो दूध ढोल मैं घलग्या
सिर भी म्हारा जूती म्हारी टोटे का दीवा बलगया
अमरीका म्हारा खून चूसकै सांड मरखना पलग्या
बासी होगी म्हारी जवानी मेरा न्यों कालजा जलग्या
आगली पीढ़ी गाल बकैगी जै नई तस्वीर बनाई कोण्या।।
3--------
भारत का किसान मरया तो मुश्किल हिंदुस्तान बचै
डब्ल्यू टी ओ बन्दूक तानरया नहीं खेत खलिहान बचै
बिना खेती उद्योग किसा बिना उद्योग ना इंसान बचै
बिना बिजली पानी आज मुश्किल दीखै किसान बचै
आपणे पाहयां चाल पड़ां क्यों टोही इसी रही कोण्या ।।
4------
हमनै मारकै दम लेवैगी तपेदिक जात बीमारी भाई
इसका चश्मा चढ़ाकै म्हारै म्हारी खाल उतारी भाई
किसा सतरंगा खेल रचाया लिकड़या ऊत खिलारी भाई
जमा राह मैं डोब दिए ना दो आने की असवारी भाई
रणबीर गरीब अमीर तैं न्यारी दुनिया मैं लड़ाई कोण्या।।
******किसान क्रांति का समय निकला जा रहा है
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