Sunday, 1 January 2017

अन्धविश्वास

जनता नै अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
देकै लालच और डर दिखाकै वोट लेकै नै राज मैं आवै ॥ 
मजदूर की मजदूरी खाज्यां ये लीला भगवन की बताते 
किसान की फसल मंडी बीच देखो लगाकै बोली उठाते 
जात धर्म पर अफवाह फ़ैलाकै आपस मैं खूब लड़वाते 
दोनों की म्हणत  की कमाई बैठके महलों अंदर खाते 
भगवान की लीला बता लुटेरा पत्थरों की पूजा करवावै॥
 जनता नै अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
पूरी दुनिया मैं खेल धर्मों का पूंजीपति आज खेल रहे 
शोषण का सिस्टम पक्का आज मजदूर किसान झेल रहे
कितै अंधराष्ट्र वाद कितै  देखे आतंक वाद नै पेल रहे  
गरीब अमीर की खाई बढाक़ै काढ़ जनता का तेल रहे 
लूट नै मर्जी यो पूंजीपति अल्लाह ईशा राम की बतावै ॥ 
जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
 सृष्टि जब तैं वजूद मैं आयी अग्नि और हवा देवता आया 
आगै चल्या समाज तो फेर मानस नै भगवान बनाया 
कुछ देशों मैं अल्लाह आग्या कुरान का पाठ पढ़ाया 
कुछ देशों  मैं ईशा मशीह नै फेर अंगद का पैर जमाया 
इस दुनिया मैं इतने धर्म क्यों सोचकै सिर यो चकरावै ॥ 
जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
घरां बैठकै  ग्रन्थ बणाकै जमकै झूठ चलावन लागे रै 
जीभ चटोरे ऊत लूटेरे अन्धविश्वास फलावन लागे रै 
ब्रह्म पारासुर लड़की तैं देखो भोग करावन लागे रै 
आँख कान और नाक सींग मैं  पुत्र जमावन लागे रै 
रणबीर सिंह अपनी कलम अन्धविश्वास खिलाफ उठावै ॥ 
जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै 


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