Friday, 18 November 2016

NOIDA AND GURUGRAM

नोएडा और गुड़गामा
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

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