Thursday, 6 October 2016

अपने हाथ कलम पकड़ो

अपने हाथ कलम पकड़ो 
चालाक आदमी फैयदा ठारे , इब माणस की कमजोरी का 
घर की खांड किरकरी लागे , कहैं गूड़  मीठा चोरी का
भगत और भगवान के बीच , दलाल बैठगे आकै 
एक दूसरे की थाली पै , यें  राखें नजर जमाकै 
सीधी साच्ची बात करैं ना , यें करते बात घुमाकै 
झोटे जैसे पले पड़े  यें , सब माल मुफ्त का  खा कै 
म्हारी जेब पै बोझ डालते , अपनी जीभ चटोरी  का||
हम बैठे भगवान भरोसे , ये कहरे हम दुःख दर्द हरैं
यें मंदिर की ईंट चुरा कै अपने घर की नीव धरैं  
सारा बेच चढ़ावा खाज्याँ टीका  लाकै ढोंग करैं 
आप सयाने हम पागल बनाये , पाप करण तैं नहीं डरें
म्हारी राह मैं कांटे बोये , यें फैयदा ठारे  धौरी का  ||
राम के खातर खीलां फीकी ,यें काजू पिसता खावें
भगवान के ऊपर पंखा कोनी , यें ए सी मैं रास रचावें 
मुर्गे काट चढ़ा पतीली , यें निश दिन छौंक लगावें 
रिश्वत ले कै राम जी की , यें भगतों तैं भेंट करावें 
बड़े बड़े  गपौड़ रचें , यें करते काम टपोरी का ||
यें व्रत करारे धक्के तैं , धर्म का डर बिठा कै 
खुद पड़े पड़े हुक्म चलावें म्हारी राखें  रेल बना कै
टीके लाकै पोथी बांचें , कई राखें झूठे ढोंग रचा कै 
'रामेश्वर ' सब अँधेरा मेटो , थाम तर्क के दीप जला कै 
अपने हाथ कलम पकड़ो , लिखो  अंत इस स्टोरी का ||

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