Saturday, 3 September 2016

दो फोजी

फोजी देश की सीमाओं पर होंसले के साथ रक्षा करने पर जुटे हैं । एक रात को एक  बंकर में दो फोजी रात काटने  के लिए अपने अपने घर की बातचीत  करते हैं । एक  फोजी  बताता  है कि जब दो महीने पहले वह गाँव में छूटी  गया तो उसके गाँव में एक जघन्य हत्याकांड हुआ मिला । उसके बारे में महेन्द्र फोजी  अपने साथी सुरेंद्र फोजी को सुनाता है । सुनकर सुरेंद्र का दिल दहल उठता है और वह अपनी माँ  को एक चिठ्ठी में क्या लिखता है भला ------
टेक --औरत की जमा कदर रही ना यो किसा बुरा जमाना आग्या माँ ॥
         सुनकै लोगां की करतूत ये काली मेरा दिल जमा घबराग्या माँ ॥
1  दो बदमाशों ने मिलकरके नाबालिग बच्ची परअत्याचार किया
    बदफैली करी गल घोट कर फेर मोत के घाट उतार  दिया
    इन पापियों को के मिलग्या न्यों  सारा हरियाणा पुकार दिया
    कहते पुलिस को पीसे जिमाये न्यों कर काबू  थानेदार लिया
    घणे दिन लाश नहीं टोही पाई न्यों गुहांड घणा चकराग्या  माँ ॥
   सुनकै लोगां की करतूत ये काली मेरा दिल जमा घबराग्या माँ ॥
2  नो मई  का मनहूस दिन था मासूम बच्ची को वे लेगे ठाकै नै
   पुलिस ताहिं नाम बता  दिए  पर वा झांकी ना गाँव मैं जाकै नै
   कई जणे थाणे मैं पहोंचे चाही रपट लिखानी काण्ड बताकै नै
  थानेदार नै रपट लिखी कोण्या माँ बाप थकगे धक्के खाकै नै 
  अपराधी सांड ज्यों घूमते रहे बेटी के घर मातम छाग्या माँ ॥
   सुनकै लोगां की करतूत ये काली मेरा दिल जमा घबराग्या माँ ॥
3 क्यों म्हारी रपट लिखी ना जाती म्हारे ऊपर धौंस जमाई जावै
  क्यों या पुलिस खावण नै आती म्हारी करी आज पिटाई जावै
  क्यों गरीब जनता ना न्या पाती म्हारी रपट नहीं बनाई जावै
  क्यों कमेरी जनता धक्के खाती म्हारी लाज नहीं बचाई जावै
  सामना करना पड़ेगा हमनै न्यों फौजी मेहर सिंह गाग्या  माँ ॥
 सुनकै लोगां की करतूत ये काली मेरा दिल जमा घबराग्या माँ ॥
4 घणे जोश मैं लड़न लागरया था सुनकै जी उदास हुया माता
  सिविल मैं जमा डूबा पड़गी क्यों आज सत्यानाश हुया माता
  फेर बी तेरा बेटा लड़ेगा डटकै  यो वायदा ख़ास हुया माता
  आज पीस्सा छाग्या दुनिया मैं यो दिल मैं एहसास हुया  माता
  रणबीर सही छन्द बणावै उसनै मेहर सिंह का डेरा पाग्या माँ ॥
  सुनकै लोगां की करतूत ये काली मेरा दिल जमा घबराग्या माँ ॥

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