Saturday, 31 December 2016



दिन ब दिन मोर सा झड़ता 
जावण लागरया सै देखियो 

Friday, 30 December 2016

Munshi Ram

थोड़े से दिन थ्वावस करो आजादी रंग चा कर देगी 
घी खाण्ड अनाज कपड़ा सोना-चांदी सस्ते भा कर देगी 
गाम गाम मैं खुलैं मदरसे विधा पढ़ो मौज के म्हं 
ताजे कपड़े घड़ी हाथ कै रहंगे नोट गोज के म्हं 
होस्पीटल सफाखाने खुलज्यां एक दो तीन रोज के म्हं 
सारे काम बणैं कल के ना टुटै नाड़ बोझ के म्हं 
छुआछात का भूत काढ़ दो गोरमेंट न्या कर देगी 
ऊंच नीच का ख्याल रहै ना देह्स एक सा कर देगी 

कोठी कमरे फर्श गिलोरी पंखे लगै शाळ के म्हं 
झांकी जंगळे लगै चुफेरै लूटो ऐश बाळ के म्हं 
हरी पीळी लाल रोशनी बिजळी गाळ गाळ के म्हं 
कुरसी मेज बिछै पलंग भोजन मिलै थाल के म्हं 
साईकिल तांगे टमटम चालैं सब पक्के राह कर देगी 
झगड़े बाजी मिटैं मुकदमे ठीक फैसला कर देगी 

पाणी के नल फर्स लागज्यां ठंडे गरम फव्वारे हों 
तेल फलेल इतर केसर कस्तूरी के छिड़कारे हों 
सभी जगह पै नहर फिरैंगी बाग बगीचे न्यारे हों 
सेब संतरे आम नारियल पीस्ते दाख छुहारे हों 
उड़द गेहूं धान उपजै बर्षा ज्यादा कर देगी 
कमती दान जनेती थोड़े बिना खर्च ब्याह कर देगी 

एका मेल मिलाप करो कुछ फायदा नहीं बैर के म्हं 
पाप कपट बेईमान छोड़ो ना फूको गात जहर के म्हं 
सारी चीज हौवै खेतां मैं ना जाणा पड़ै शहर के म्हं 
गऊ माता का कष्ट मिटैगा सूनी फिरै डैर के म्हं 
गुरु हरिचंद कह रोटी मोटर खेतां मैं जाकर देगी 
नगर जांडली छोटी गाणा “मुंशी राम” का कर देगी

नोएडा और गुड़गामा

नोएडा और गुड़गामा
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
                     छक्का 
सोच समझ कै करना चाहिए कोई भी काम मोदी जी 
बिना बताये करी नोटबंदी दुखी शहर गाम मोदी जी 
पचास दिन देखी बाट फेर नहीं मिल्या आराम मोदी जी 
इब्ब तो करो कुछ म्हारा रोटी रोजी का इंतजाम मोदी जी 
गरीब भूखे मार कै नै हुए सो घने बदनाम मोदी जी 
स्वीश बैंक आल्यां के इब्बी नाम क्यों राखे गुमनाम मोदी जी 

सावित्री बाई फुल्ले

सावित्री बाई फुल्ले 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
समाज के घणे  ताने सुणे पर ना पाछै कदम हटाया ॥ 
महिला नै समाज मैं पूरे मिलने चाहिए अधिकार 
पूरा जीवन लगा दिया किया जन जन मैं प्रचार 
बारा साल मैं ब्याह होग्या फेर भी अपना फर्ज निभाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
लिंग भेद का विरोध करया पति नै पूरा साथ दिया था 
जाति भेद के खिलाफ उणनै यो खुल्ला ऐलान किया था  
बाल हत्या प्रतिबन्धक गृह यो सुरक्षा सेंटर बनाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
महिलाओं को पढ़ाने जब सावित्री स्कूल मैं जाया करती 
जनता गोबर फ़ैंकती बहोतै क्रोध या जताया करती 
स्कूल जा साड़ी रोज बदली महिलाओं को जरूर पढ़ाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
दत्तक पुत्र डॉक्टर बणग्या पुणे मैं अस्पताल चलाया 
सावित्री बाई मरीज सेवा मैं अपना काफी बख्त लगाया 
समाज सुधार मैं रणबीर अपना पूरा जीवन बिताया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 

Thursday, 29 December 2016

हरियाणा के 50 साल और 2017 नया साल

हरियाणा के 50 साल और 2017 नया साल 
हरियाणा के 50  साल के  सफर को कई नजरों से देखा जा रहा है । हरियाणा ने तरक्की की मगर देखने और समझने की बात यह है कि वह कितनी जेंडर फ्रेंडली है , कितनी ईको फ्रेंडली है , कितनी आल इन्क्लूजिव है और कितनी सस्टेनेबल है, कितनी ह्यूमन है  । एक समीक्षात्मक विवरण नहीं आ पा रहा है ।  इसके गौरव पर ही फोकस है ।  क्या वह गौरव अपनी लड़कियों के कतल का गौरव है या किसान को फांसी खाने पर मजबूर करने का गौरव है या असुरक्षा के  माहौल को बढ़ावा देने का गौरव है या महिला हिंसा को बढ़ावा देने का गौरव है । 

म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया
आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया (टेक)

छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी
समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुइ सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै
आदमी आदमी का दुश्मन ना यो रोजै ए घर घालै
समाज की बुन्तर सालै यो हरयाणा बदनाम कराया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावैं देखो
छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावैं देखो
जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं
जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं, रणबीर सिंह घणा घबराया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

Tuesday, 27 December 2016

नया साल 2017

नया साल 2017 
हम नए साल में कदम मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
नया साल मुबारक हो रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥ 

Monday, 26 December 2016

नए साल

नया साल 2017 
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
पाछले साल की ढालां इस साल बी गरीब तंग पावैगा ॥ 
दुनिया मैं पूंजी के कोहरे नै गरीबों के अँधेरे बढ़ाये 
फासीवादी दानव  हिम्माती भारत मैं पूरी तरियां छाये 
ढाई साल पहलम कई वायदे करकै नै राज मैं आये 
फिसड्डी रैहगे लागू करने मैं अंध राष्ट्रवाद नै ल्याये 
संघ नै उधम मचाये घणे आगै यो और भी मचा वैगा ॥ 
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
साम्प्रदायिक और जातिगत विद्वेष को इणनै सै बढ़ाया 
कितै गोमांश के नाम पै घणा कोहराम गया मचाया 
इन सबके पाछै बी जिब अपनी नाकामी छिपा ना पाया 
कालेधन पै हमला कैहके नोटबंदी का यो उधम मचाया 
इसनै मचाई सै त्राहि त्राहि गरीब रोटी किततैं  खावैगा॥
 इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
बेरोजगारी और महंगाई का समाधान नहीं कर पाए 
जिसनै विरोध करया थोड़ा वे सारे देश द्रोही बताये 
स्कूल कालेज की शिक्षा मैं भगवाकरण के पंख फैलाये 
काले धन की खूब बात करी ये काले धन आले बचाये 
निचला बैठै कोन्या संघ दखे और नए गुल खिलावैगा ॥
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
जिणनै देश की आजादी मैं गोरयां का पूरा साथ निभाया 
उणनै राष्ट्रद्रोही बनाणे का यो देश मैं अभियान चलाया
कश्मीर का मसला भी इननै और घणा आज  उलझाया  
फर्जी मुठभेड़ों तैं देश म्हारा गया और घणा आज डराया 
नए साल यो देखियो भाईयो जनता की भ्यां बुलवावैगा ॥  
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 



Thursday, 22 December 2016

म्हारा हरियाणा -सबका हरियाणा

म्हारा  हरियाणा -सबका हरियाणा 
लालच लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे ॥ 
या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥ 
भरपूर इन्सान उभरै म्हारे इस प्यारे हरियाणा मैं 
सही बात और बोल कहे जावैं म्हारे हरियाणा मैं 
बीमारी की रोकथाम हो सही सबका इलाज करावांगे॥ 
दोगली शिक्षा का खात्मा हो सबनै  शिक्षा मिलै पूरी 
नाड़ काट मुकाबला ना रहै ना हो पीसे की मजबूरी 
नशा खोरी नहीं टोही पावै हम यो अभियान चलावांगे ॥ 
मुनाफा  मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै 
जिसकी लाठी भैंस उसकी यो जुमला फेर नहीं बचै 
प्रदूषण बढ़ता जा हम धरती बाँझ होण तैं  बचावांगे ॥ 
महिला नै इंसान समझां  रीत ख़त्म हो दोयम दर्जे की 
दलित उत्पीडन खत्म होवै ना मार बचै इस कर्जे की 
नौजवान नै रोजगार मिलै सारे कै बिगुल बजावांगे॥ 

नए हरियाणा का निर्माण


         नए हरियाणा का निर्माण
नए हरियाणा का निर्माण 

म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥

              म्हारे पूर्वजों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो,जित दूध दही का ख़ाणा  हो
ख़त्म जात पात का बाणा हो , म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
आर्थिक आधार तरक्की के इनतै आगै जाणा  होगा
सामाजिक आधार बिगड़गे इनको ठीक बणाणा होगा
सबनै बढ़िया पढ़ाई मिलै ,सबनै बढ़िया दवाई मिलै
सबनै बढ़िया कमाई मिलै,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
भाई तैं भाई का प्यार यो परवान चढ़ै हरियाणा मैं
महिला नै सम्मान मिलै या आगै बढ़ै हरियाणा मैं
यो किसान खुशहाल होवै रै ,मजदूर ना बेगार ढोवै रै
उद्योग ना रफ़्तार खोवै रै ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
घरां कै ताले ना लावै कोए इस समाज हो म्हारा देखो
इज्जत के नाम पै ना मारैं इसा रिवाज हो म्हारा देखो
म्हारा रिश्ता भाण भाई का , म्हारा तरीका ब्याह सगाई का
ना बणै कारण रुसवाई का ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
अमीर गरीब की खाई भाण भाईयो मिलकै भरनी होगी
प्रगतिशील समाज की नींव मिलकै पक्की करनी होगी
आसान यो काम अधूरा कोन्या,कर सके अकेला जमूरा कोन्या
थारे म्हारे बिन हो पूरा कोन्या ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥



Tuesday, 6 December 2016

बहुविविधता

बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥ 
जिस पत्थर की मूर्ती के पाहयों के मां पड़ते देख 
उन मूर्तियों को मुसलमान कारीगर ही घड़ते देख 
किस कारण फेर ये दोनूं क्यों आपस मैं भिड़ते देख 
हिन्दू देवी देवताओं का मुसलमान ही व्यापर करते 
हर सिंगार मूर्तियों का सब मुसलमान तैयार करते 
ताजा ताजा फूल तोड़कै तैयार गले का हार करते 
कदे कदीमी चलती आयी या कारोबार दिखाऊं मैं ॥ 
बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥ 
देवी देवताओं उप्पर  हिन्दू जो प्रसाद चढ़ाते देखो 
खील पतासे बूरा मखाने मुस्लिम भाई बनाते देखो 
 भोग लगाकै देवता का इणनै सारे हिन्दू खाते देखो 
साधु जी जो खड़ाऊँ पहरे मन्दिर के मैं फिरता देख 
भगवा कपडे मुस्लिम रंगता रँगरेज ही करता देख 
दूकान लगाते मुस्लिम भाई जिब  मेला भरता देख 
कोए भावना नहीं सै द्वेष की कोन्या झूठ भकाऊँ मैं ॥ 
कदे यात्रा करी सै  तमनै कैलाश मानसरोवर जाकै 
हिन्दू यात्रियों का बोझा मुस्लिम ढोता सिर पै ठाकै 
हिन्दू मुस्लिम रहे सैं मिलकै देखल्यो पाछे नै लखाकै 
हिन्दू नारी के हाथों मैं चूड़ी  सुहाग की पहचान कहैं 
मांग मैं सिन्दूर  भरणा महिला का होता सम्मान कहैं 
इन दोनों का बनाने आला उसे भाई मुसलमान कहैं 
इस विविधता का आड़ै  हुया खूब आदर समझाऊँ मैं ॥ 

स्मार्ट सिटी

                स्मार्ट सिटी
सम्राट सिटी बण्या तो कौन बसै कौन उजड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
म्हारे गाम की धरती नै सरकार कब्जाना चाहवै सै
बिकै तीस लाख मैं किल्ला किसान बाधु पाया चाहवै सै
बिन किल्ले आले लोगों का यो पीतलिया लिकड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
राजस्थान मैं जाकै खरीदैं चौधरी बीस किल्ले धरती के
बिना बिसवे आला भटकै हाल बुरे होये सैं सरती के
किसा बुरा जमाना आया यो गरीब जमा पिछड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
पुराने गाम मैं म्हारे पै थोड़ा ए घणा सै रोजगार देखो
हाल बढ़िया नहीं सैं मुश्किल मैं जीवै परिवार देखो
नए शहर मैं कून बड़न दे यो असल उड़ै उघड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
खेत मजूरी बचै नहीं नए शहर मैं काम मिलै ना भाई
घरबार रूल ज्यांगे म्हारे यो चेहरा कदे खिलै ना भाई
रणबीर सिंह की कविताई यो घेरा घणा जकड़ ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥


Wednesday, 30 November 2016

KISSA UDHAM SINGH

किस्सा ऊधम सिंह
वार्ताः शहीद ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 में हुआ था। देश पर अंग्रेजों का कब्जा था। पूरे ही देश में अंग्रेज भारत वासियों पर जुल्म ढा रहे थे। आजादी की पहली जंग जो 1857 में लड़ी गई थी। इसके बाद अंग्रेजों ने जनता पर और भी ज्यादा कहर ढाया था। शहीद ऊधम सिंह की मां सारे माहौल को देखकर दुखी हो जाती है और क्या सोचती हैं भलाः
रागनी-1
यो घर खावण नै आवै, रहवै दिल मेरा उदास
नहीं दिखै कोए राही।।
देही रंज फिकर ने खाली
या उड़गी चेहरे की लाली
कंगाली या बढ़ती जावै, नहीं बची जिन्दगी मैं आस
गोरयां नै लूट मचाई।।
यो अंग्रेज गिरकाणा सै
हर बात मैं धिंगताणा सै
पिछताणा सै धमकावै ना लेवण दे सुख की सांस
ईज्जत तारणी चाही।।
मैं सिर पाकड़ कै रोती
सहन ये बात नहीं होती
मोती ये चोरया चाहवै गेर दी म्हारे बीच मैं फांस
बहोत घणा अन्याई।।
रणबीर नै अंग्रेज दबाता
गाम थो चुप रैह जाता
सताता अर यो गुर्रावै नहीं बात आवै या रास
दिल की बात बताई।।

शहीद ऊधम सिंह एक बहुत ही गरीब परिवार का बच्चा था, जब पूरे देश में अंग्रेजो का जोर जुल्म चल रहा था तो पंजाब में भी जलियां वाला बाग जैसा हत्या काण्ड 1919 में वैशाखी के दिन होता है। इसका ऊधम सिंह के दिलो दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। एक दिन वह बैठा-बैठा सोचने लगता है। क्या बताया भलाः
रागनी-2
भारत देश पै जिसनै भी अत्याचार भूल कै था ढाया।।
जुल्म ढावणिया का वीरों नै था नामों निशान मिटाया।।
हिर्णा कुश दुर्योधन कंस नै जुल्म घणा ढाया था
म्हारे वीरां नै बढ़ आगै इनको सबक सिखाया था
जालिम खत्म करने खातर अपना खून बहाया था
ठारा सौ सतावण की जंग मैं होसला खूब दिखाया था
सिख हिंदू मुस्लिम सबनै हंस-हंस वैफ शीश कटाया।।
ईस्ट इंडिया आई देश मैं अपणे पैर पसार लिये
राज पै करकै कब्जा बहोत घणे अत्याचार किये
गूंठे कटाये कारीगरां के मौत के घाट उतार दिये
मल-मल ढाका आली थी उसपै कसूते वार किये
बिगाड़ कै शिक्षा म्हारी यो राह गुलामी का दिखाया।।
यो वीर लाडला देश कातै ना अपणे प्रण तै भटकै
कोए करै प्राण न्यौछावर हंस-हंस फांसी पै लटकै
कई खेलगे खून की होली छाती खोल दी बेखटकै
पिठू अंग्रेजा की झोली मैं बहोत घणा यो मटकै
अंग्रेजां की पींड़ी कापी थी जिब जनता नै नारा लाया।।
भारत देश यो निराला बिरले घणे इसके माली
किस्म-किस्म के फूल खिले कई ढंग के पत्ते डाली
खड़ी फसल जब लूटी म्हारी तो खड़या रोया हाली
जलियां वाले बाग के अन्दर ये बही खून की नाली
रणबीर सिंह बरोने आले नै सुण कै छन्द बनाया।।

वार्ताः 21 जुलाई 1940 को भारत के इस महाल शहीद को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी। सन 1974 में जाकर इस शहीद की अस्थियां भारत आ पाई। ऊधम सिंह पंजाब में सुनाम गांव का रहने वाला था। उसके पिता टहल सिंह कम्बोज थे। तीन साल की उमर में माता का साया सिर से उठ जाता है। क्या बताया भलाः
रागनी-3
ऊधम सिंह हुआ शूरवीर भारत का अजब सिपाही।।
सुनाम शहर पंजाब मैं श्यान जिनकी गजब बताई।।
टहल सिंह कम्बोज बाबू था करकै मेहनत पाल्या था
गरीबी क्यूकर तोड़ै माणस नै उसका देख्या भाल्या था
भारत का जनमाणस गोरयां नै अपणै संग ढाल्या था
चपड़ासी की करै नौकरी अपणा सब कुछ गाल्या था
देश प्रेम की टहल सिंह नै पकड़ी नबज बताई।।
चारों कान्ही देश प्रेम की पंजाब मैं थी लहर चली
गाम-गाम मैं चर्चा होगी हर गली और शहर चली
    ईन्कलाब जिन्दाबाद की घणे गजब की बहर चली
सन ठारा सौ सतावण मैं हांसी मैं खूनी नहर चली
इस आजादी की चिन्गारी तै गोरयां कै दी कब्ज दिखाई।।
तीन साल का बालक था जिब माता हो बिमार गई रै
इलाज का कोए प्रबन्ध ना था बीमारी कर मार गई रै
याणे से की बिन आई मैं माता स्वर्ग सिधार गई रै
फेर खमोशी सारे घर मैं बिना बुलाएं पधार गई रै
बिन माता याणा बालक इसतै भूंडी ना मरज सुणाई।।
छह साल की उम्र हुई जिब पिताजी नै मुंह मोड़ लिया
तावले से नै लिया सम्भाला देशप्रेम तै नाता जोड़ लिया
रणबीर बरोने आले नै आज बणा सही यो तोड़ लिया
गरीबी मैं रैहकै बी ओ कदे भूल्या नहीं था फरज भाई।।

वार्ताः ऊधम सिंह जलियां वाले बाग के घायलों की सेवा के लिए अस्पताल में जाता है। वहां उसकी एक नर्स से मुलाकात होती है। घायलों के मुुुंह से सुन-सुन कर उस नर्स के पास बहुत सी बाते थी। एक दिन वह नर्स ऊधम सिंह को जलियां वाले बाग के बारे में क्या बताती है भलाः
रागनी-4
निशान काला जुलम कुढाला यो जलियां आला बाग हुया।।
अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।
देश की आजादी की खातर बाग मैं तोड़ होग्या
इतिहास के अन्दर बाग एक खास मोड़ होग्या
देश खड़या एक औड़ होग्या जिब यो खूनी फाग हुया।।
इसतै पहलम बी देश भक्ति का था पूरा जोर हुया
मुठ्ठी भर थे क्रान्तिकारी सुधार वादियों का शोर हुया
दंग फिरंगी चोर हुया बुलन्द आजादी का राग हुया।।
शहरी बंगले गाम के कंगले सबको ही झकझोर दिया
कांप उठी मानवता सारी जुलम घणा महाघोर किया
एकता को कमजोर किया इसा फिरंगी जहरी नाग हुया।।
कुर्बानी दी उड़ै वीरों नै वा जावै कदे बी खाली ना
जिब जनता ले मार मंडासा फेर पार किसे की चाली ना
जीतों बैठैगी ठाली ना रणबीर सिंह चाहे निर्भाग हुया।।


वार्ताः ऊधम सिंह और नर्स की बात बढ़ती है। ऊधम सिंह कहता है कि ज्यादातर लोगों की राय में नर्से ज्यादा काम नहीं करती। सामाजिक स्तर पर इस काम को हेय समझा जाता है। कोई नर्स से शादी करने को तैयार नहीं। यह सुनकर नर्स ऊधम सिंह को क्या बताती है नर्सिंग प्रोफैशन के बारे मेंः
रागनी-5
माणस की ज्यान बचावैं अपणी ज्यान की बाजी लाकै।।
फिर बी सम्मान ना मिलता देख म्हारे राम जी आकै।।
मरते माणस की सेवा मैं हम दिन और रात एक करैं
भुलाकै दुख और दरद हंसती हंसती काम अनेक करैं
लोग क्यों चरित्रहीन का तगमा म्हारे सिर पर टेक धरैं
घरआली नै छोड़ भाजज्यां देखै बांट वा एड्डी ठाकै।।
फलोरैंस नाइटिगेल नै नर्सों की इज्जत आसमान चढ़ाई
लालटेन ले कै करी सेवा महायुद्ध मैं थी छिड़ी लड़ाई
कौण के कहवैगा उस ताहिं वा बिल्कुल भी नहीं घबराई
फेर दुनिया मैं नर्सों नै थी मानवता की अलग जगाई
बाट देखते नाइटिंगेेल की फौजी सारे मुंह नै बांकै।।
करती पूरा ख्यालबिमारां का फेर घर का सारा काम होज्या
डाक्टर बिना बात डाट मारदे जल भुन काला चाम होज्या
कहवैं नर्सें काम नहीं करती चाहवैं उसकी गुलाम होज्या
मरीज बी खोटी नजर गेर दे खतम खुशी तमाम होज्या
दुख अपणा ऊधम सिंह रोवां किसके धोरै जाकै।।
काम घणा तनखा थोड़ी म्हारा सबका शोषण होवै क्यों
सब भारत वासी मिल रोवैं जीतों अकेली रोवै क्यों
बिना एकता नहीं गुजारा न्यारा-न्यारा बोझा ढोवैं क्यों
गोरयां की चाल समझल्यां ईब झूठा झगड़ा झोवै क्यों
रणबीर सिंह साथ देवैगा आज न्यारे छन्द बणाकै।।

वार्ताः नर्स से बातचीत में ऊधम सिंह कहता है कि आजादी की लड़ाई तो हम नौजवान लड़ रहे है। महिलाओं को घर का मोर्चा सम्भालना चाहिये। महिलाओं की आजादी की जंग में हिस्सेदारी को लेकर काफी बहस होती है। जीतो ऊधम सिंह को इस बारे मंे क्या कहती है कवि के शब्दों मेंः
रागनी-6
बिन म्हारी हिस्सेदारी के क्यूकर देश आजाद करावैगा।।,
करकै घरां मैं कैद हमनै किसा भारत नया बणावैगा।।
जनता नै सुथरा सा सपना देख्या भारत नया बणावै
आजाद होकै अपणी बगिया मैं लाल गुलाब खिलावै
गोल मटोल से बालक होंगे हांगा लाकै खूब पढ़ावै
इन्सानी जज्बा मरण लागरया सोचै कैसे उल्टा ल्यावै
औरत की  जंजीर तोड़कै देश सही आजादी पावैगा।।
माणस हिंदू मुस्लिम होंगे ना इन्सान की जात मिलै
विश्वास कति खत्म हो लिया माणस करता घात मिलै
जीत कौर बरगी महिला का मुश्किल तनै साथ मिलै
महिला साथ लड़ी जड़ै उड़ै न्यारी ढाल की बात मिलै
जीत कौर का ना साथ लिया तै पीछे फेर तछतावैगा।।
शहीद होणा हम भी जाणैं तनै साची बात बताउं मैं
दिल म्हारे मैं जो तुफान उठ्या यो किसनै दिखाउं मैं
मुठ्ठी भर चाहो आजादी ल्याणा थारी कमी जत़ाउं मैं
महिला आधी भारत सै इनकी पूरी शिरकत चाहूं मैं
मेरी बात गांठ मार लिये बख्त मनै ठीक ठहरावैगा।।
म्हारी आजादी बिना इस आजादी का अधूरा सार रहै
मार काट मची रहवैगी यो नहीं सुखी घर बार रहै
मेरी बात गौर करिये कदे चढ़या योहे बुखार रहै
बेरा ना मेरी बात नै रणबीर सिंह क्यूंकर समझावैगा।।


वार्ताः ऊधम सिंह एक दिन जीत कौर के पास आता है। बहुत परेशान था। जीत कौर परेशानी का कारण पूछती है। ऊधम सिंह कहता है कि मुझे लोग समझाते है कि अंग्रेजों के राज में तो सूरज नहीं छिपता। ये भारत देश को छोड़ कर नहीं जाने वालें मुझे बड़ी परेशानी होती है यह सुनकर। क्या बताया भलाः
रागनी-7
हाल देख कै जनता का कोए बाकी रही कसर कोन्या।।
अंग्रेजां का जुलम बढ़या ईब बिल्कुल बच्या सबर कोन्या।।
सोने की चिड़िया भारत जमा लूट कै गेर दिया
किसान और मजदूर बिचारा जमा चूट कै गेर दिया
क्यों खसूट कै गेर दिया आवै जमा सबर कोन्या।।
सिर बी म्हारा जूती म्हारी म्हारे सिर पै मारैं सै
बोलैं जो उनके साहमी यो उसके सिर नै तारैं सै
कंस का रूप धारैं सै छोडया कोए नगर कोन्या।।
म्हारी कमाई मौज उनकी म्हारी समझ ना आई
देश की तरक्की के ना पै आड़ै जमकै लूट मचाई
या बन्दर बांट मचाई आसान रही बसर कोन्या।।
उनके पिठ्ठु कहते सुने राज मैं ना सूरज छिपता
क्यूकर काढ़ो देश तै रणबीर सिंह कुछ ना दिखता
हुक्म बिना ना पत्ता हिलता कहते तनै खबर कोन्या।।
वार्ताः ऊधम सिंह या उसके साथी बातचीत के बाद ऊधम सिंह को लन्दन भेजने की तैयारी करते हैं। वह नाम बदल कर लन्दन जाने की तैयारी करता है उसकी आंखों के सामने डायर घूमता रहता था। क्या बताया भलाः
रागनी-7
ऊधम ंिसंह नै सोच समझ कै करी लन्दन की जाने की तैयारी।।
राम मुहम्मद नाम धरया और पास पोर्ट लिया सरकारी।।
किस तरियां जालिम डायर थ्यावै चिन्ता थी दिन रात यही
बिना बदला लिये ना उल्टा आऊं हरदम सोची बात यही
उनै मौके की थी बाट सही मिलकै उंच नीच सब बिचारी।।
चौबीस घण्टे उसकै लाग्या पाछै यो मौका असली थ्याया ना
जितने दिन भी रहया टोह मैं उनै दाणा तक भी भाया ना
लन्दन मैं भी भय खाया ना था ऊधम क्रान्तिकारी।।,
दिन रात और सबेरी डायर उनै खड़ा दिखाई दे था
हाथ गौज में पिस्तोल उपर हमेशा पड़या दिखाई दे था
भगत सिंह भिड़या दिखाई दे भर आंख्यां के मां चिन्गारी।।
होई कदे समाई कोन्या उसकै लगी बदन मैं आग भाई
न्यों सोचें जाया करता हमनै हो खेलना खूनी फाग भाई
रणबीर का सफल राग भाई जिब या जनता उठै सारी।।
वार्ताःऊधम सिंह और डायर आमने-सामने होते हैं तो डायर कांप उठता है। वह अपने जीवन की भीख मांगता है तो ऊधम सिंह क्या जवाब देता है और क्या कहता हैः
रागनी-8
आहमी साहमी खड़े दोनों डायर का चेहरा पीला पड़ग्या।।
आसंग रही ना बोलण की जणो जहरी नाग आण कै लड़ग्या।।
थर-थर पींडी कांप उठी भय चेहरे कै उपर छाया था
मारै मतना मनै ऊधम सिंह डायर न्यों मिमयाया था
उसनै भाजना चाहया था ऊधम सिंह झट आग्गै अड़ग्या।
ऊधम सिंह की आंख्यां आग्गै वो बाग नाजारा घूम गया
डायर नै मरवाये हजारा्रं भारतवासी बिचारा घूम गया
यो पंजाब सारा घूम गया उसकै़ नाग बम्बी मैं बड़ग्या।।
पापी डायर कित भाजै सै करना मनै तुं माफ नहीं
भीख मांगता जीवन की उस दिन करया इंसाफ नहीं
काला दिल सै जमा साफ नहीं तेरा ईबक्यों चेहरा झड़ग्या।।
बणकै मौत खड़या साहमी उनै बिल्कुल भी भय खाया ना
ईन्कलाब कहया जिन्दाबाद कति भाजण का डा ठाया ना
ऊाम सिंह पिछताया ना रणबीर सिंह सही छन्द घड़ग्या।।्र
वार्ताः  हाल के अन्दर सभा हो रही थी। आमना सामना हुआ। आंखों में आंखें मिली। आंखों ही आंखों मंे कुछ कहा एक दूसरे को ।मौका पाते ही ऊधम सिंह ने निशाना साध दिया। कवि ने क्या बताया भलाः
रागनी-9
धांय धंाय धांय होई उड़ै दनादन गोली चाली थी।।
कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी।।
पहली दो गोली दागी उस डायर की छाती के म्हां
मंच तै नीचैं पड़ग्या ज्यान ना रही खुरापाती के म्हां
काढ़ी गोली हिम्माती के म्हां खतरे की बाजी टाली थी।।
लार्ड जैट कै लागी जाकै दूजी  गोली दागी थी
लुई डेन हेन हुया घायल मेम ज्यान बचाकै भागी थी
चीख पुकार होण लागी थी सब कुर्सी होगी खाली थी।।
बीस बरस ग्यारा म्हीने मै जुलम का बदला तार लिया
तेरह मार्च चौबीस मैं माइकल ओ डायर मार दिया
अचम्भित कर संसार दिया उनै कोन्या मानी काली थी।।
जलियां आले बाग का बदला लिया लन्दन मैं जाकै
अंग्रेजां नै हुई भिड़ी धरती भाग लिये वे घबराकै
रणबीर नेेेेै कलम उठाकै नै झट चार कली ये घाली थी।।
वार्ताः 31 जुलाई 1940 को ऊधम सिंह को फांसी दे दी जाती है खबर उसके शहर सुनाम पहुंचती है। एक बुजुुुुुर्ग ऊधम सिंह को बहुत चाहता था। अनाथ घर में भी उसकी सम्भाल किया करता था। वह बहुत दुखी होता है और क्या कहता है भलाः
रागनी-10
बेटा उधम सिंह चला गया तो के सै मेरे लाल भतेरे।।
उस वीर बहादुर बरगे देश मैं न्यूंए ठोकैंगे ताल कमेरे।।
उसका कसूर था इतना देश प्रेम की लौ लगाई थी
देश नै आजाद करावां मिलकै नै अलाख जगाई थी
बढ़ता गया आगै बेटा आजादी की लड़ी लड़ाई थी
अंग्रेजां नै कदे बी ना कोए उसकी बात सुहाई थी
पूत पालनै मैं पिछणै सै यो करगे ख्याल बडेरे।।
मैं न्यों बोल्या उसतै अपणा बख्त बरबाद करै सै
उम्र्र सै खेलण खावण की राजनीति की बात करै सै
न्यों बोल्या ज्यांए करकै अंग्रेज हमपै राज करै सै
बिना शान के जीणा चाचा मनमैं दिन रात फिरै सै
सारी उम्र हम करां कमाई क्यों लूटैं माल लुटेरे।।
गैर कैंडै नहीं चलूंगा बोल्या मेरा विश्वास करिये
आर्शीवाद देदे अपणा ना मनै आज निराश करिये
भारत मां की आजादी की  दिल तै ख्यास करिये
पलहम परिक्षा लेले पाछै फेल और पास करिये
देश आजाद कराणा लाजमी ये ठारे ढाल पथेरे।।
मैं सूं भारत देश का सच्चा ताबेदार सिपाही
गोरयां नै वैशाखी आले दिन ढाई घणी तबाही
म्हारी बहू बेटी नै तकते होती ना जमा समाई
रणबीर मार गोली छाती मैं उसनै कसम पुगाई
फसल असली थे भारत की वे ना थे ंघास पटेरे।।
वार्ताः ऊधम सिंह ने देश के मान सम्मान और आजादी के लिए अपनी ज्यान न्यौछावर कर दी। लन्दन में जाकर माइकल ओ डायर को गोलियों से भून दिया और-और हंसते हंसते फांसी का पफंदा चूम गया। उसनै भारत के सपूतों को ललकार दी। क्या बताया कवि नेः
रागनी-11
ऊधम सिंह नै ललकार दी थी, भारत मैं पुकार गई थी,
जंजीर गुलामी की तोड़ दियो।।
न्यूं बोलियो सब कठ्ठे होकै भारत माता जिन्दाबाद
शहर सुनाम देश हमारा, गोरयां नै कर दिया बरबाद
फिरंगी सैं घणे सत्यानाशी, करकै अपनी दूर उदासी
मुंह तोपा का मोड़ दियो।।
म्हारा होंसला करदे खुन्डा उनके दमन के इथियार
लक्ष्मी सहगल साथ मैं म्हारै ठाकै खड़ी हुई तलवार
हिन्दुस्तान नै दी किलकारी, देश प्रेम की ला चिन्गारी
कुर्बानी की लगा होड़ दियो।।
हर भारतवासी नै देश प्रेम का यो झंण्डा ठाया था
पत्थर मतना पूजो भाई न्यूं यो आसमान गूजाया था
लाया था सारे कै नारा, जुणसा लाग्गै हमनै प्यारा
इन पत्थरां नै फोड़ दियो।।
देश मैं छाग्या सबकै ऊधम सिंह की बातां का रंग
इन्कलाब जिन्दाबाद का नारा अंग्रेज सुण होग्या दंग
रणबीर ने जंग तसबीर बनाई, गुलाब सिंह नै गाकै सुनाई
दखे सुर मैं सुर जोड़ दियो।।
वार्ताः देश में आन्दोलन पहले चल रहा था। किसान मजदूर डाक्टर वकील सब देश के मुक्ति आन्दोलन में सक्रिय हो रहे थे। ऊधम सिंह की शहादत ने भारत वर्ष में तहलका मचा दिया। उसकी कुर्बानी के चरचे लोगों की जुबान पर थे। कवि ने क्या बताया भलाः
रागनी-12
ऊधम सिंह मेरे ग्यान मैं, भारत देश की श्यान मैं
इस सारे विश्व महान मैं, यो तेरा नाम अमर हो गया।।
असूलां की जो चली लड़ाई, उसमैं खूब लड़या था तूं
स्याहमी अंग्रेजां के भाई, डटकै हुया खड़या था तूं
बबर शेर की मांद के म्हां, अकेला जा बड़या था तूं
अव्वल था तु ध्यान मैं, रस था तेरी जुबान मैं
सारे ही हिंदुस्तान मैं, यो तेरा पैगाम अमर हो गया।।
देख इरादा पक्का तुम्हारा, हो गया मैं निहाल जमा
भारत मां की सेवा में दे दिया सब धन माल जमा
एक बै मरकै देश की खातर जीवै हजारौ साल जमा
डायर नै सबक चखान मैं, इस लड़ाई के दौरान मैं
निशाना सही बिठान मैं, यो तेरा काम अमर होग्या।।
पक्के इरादे के साहमी अंग्रेजां की पार बसाई ना
जलियां आला बाग देखकै फेर तेरै हुई समाई ना
धार लई अपने मन मैं किसे और तै बताई ना
तू अपने इस इम्तिहान मैं, अपनी ही ज्यान खपान मैं
देश की आन बचान मैं, तू डेरा थाम अमर होग्या।।
जो लड़ी-लड़ाई तनै साथी वा लड़ाई थी असूला पै
वुर्बानी तेरी रंग ल्यावैगी जग थूकै ऊल जलूलां पै
जिस बाग का फूल हुया नाज करैं उसके फूलां पै
ईब आग्या सही पहचान मैं, भूले थे हम अनजान मैं
तूं सफल हुया मैदान मैं, यो तेरा सलाम अमर होग्या।।
वार्ताः जीत कौर को सुनाम के शहर में सूचना मिलती है ऊधम सिंह की शहादत की। वह मन ही मन रो पड़ती है पुरानी मुलाकातों को याद करके। समझ नहीं आता उसे कि वह ऊधम सिंह के साथ अपने रिश्ते को कैसे समझे। ऊधम सिंह का आजादी का सपना ही उसे सही रिश्ता लगता है उसके साथ। क्या सोचती है भला।
रागनी-13
कौण किसे की गेल्यां आया कौण किसे की गैल्यां जावै।।
ऊधम सिंह के सपन्यां का यो भारत ईब कौण रचावै।।
किसनै सै संसार बनाया किसनै रच्या समाज यो
म्हारा भाग तै भूख बताया बाधैं कामचोर कै ताज यो
मानवता का रूखाला आज पाई-पाई का मोहताज यो
अंग्रेज क्यों लूट रहया सै मेहनत कश की लाज यो
क्यों ना समझां बात मोटी अंग्रेज म्हारा भूत बणावै।।
कौण पहाड़ तोड़ कै करता धरती समतल मैदाल ये
हल चला खेंती उपजावै उसे का नाम किसान ये
कौन धरा नै चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये
ओहे क्यों कंगला घूम रहया गोरा बण्या धनवान ये
म्हारे करम सैं माड़े कहकै अंग्रेज हमनै यो बहकावै।।
हम आजादी चाहवां अक अनपढ़ता का मिटै अन्धकार
हम आजादी चाहवां अक जोर जुल्म का मिटै संसार
हम आजादी चाहवां अक ऊंच नीच का मिटै व्यवहार
हम आजादी चाहवां अक लूट पाट का मिटै कारोबार
जात पात और भाग भरोसै या कोन्या पार बसावै।।
झूठ्यां पै ना यकीन करां म्हारी ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै टकराकै गोली होज्या चकना-चूर
जागते रहियो सोइयो मतना ना म्हारी मंजिल दूर
सिंरजन हारे हाथ म्हारे सै घणे अजब रणसूर
देश की आजादी खातर ऊधम सिंह राह दिखावै।।



Tuesday, 29 November 2016

किस्सा फौजी मेहर सिंह


आस बंधी अक भोर होवैगी शोशण जारी रहै नहीं ।।
लोक राज तैं राज चलैगा रिश्वत  बीमारी रहै नहीं ।।
रिश्वतखोर  मुनाफाचोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
चेहरा सूखा मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
षरीफ बसैंगे उत मरैंगे या झूठी गरुरी नहीं रहै
फूट गेर कै राज करो फेर इसी बीमारी रहै नहीं ।।
करजे माफ होज्यांगे साफ आवैगा दौर सच्चाई का
बेरोजगारी भता कपड़ा लता हो प्रबन्ध दवाई का
पैंशन होज्या सुख तैं सोज्या होवै काम भलाई का
जच्चा बच्चा होज्या अच्छा मौका मिलै पढ़ाई का
मीठा पाणी चालै नल में यो पाणी खारी रहै नहीं।।
भाई चारा सबतैं न्यारा नहीं कोए धिंगताना हो
बदली खातिर ठाकै चादर ना मंत्री पै जाना हो
हक मिलज्या घीसा घलज्या सबनै ठौर ठिकाना हो
सही वोट डलैं ना नोट चलैं इसा ताना बाना हो
हम सबनै संघर्श चलाया अंग्रेज अत्याचारी रहै नहीं।।
पड़कै सोज्यांगे चाले होज्यांगे नहीं कुछ बी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै फेर बूक मारकै रोवैगा
नया मदारी करैगा हुश्यारी  हमनै बेच के सोवेगा
चौकस रहियो मतना सोइयो काटैगा जिसे बौवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।

Saturday, 26 November 2016

JANTA

नोट बन्दी नै मोदी जी या अफरा  तफरी मचाई देख ॥  
 ब्याह शादी रूकगे म्हारे थामनै दया नहीं आयी देख ।।  
पीस्से म्हारी कमाई के हम कोन्या लिकड़वा पारे देख 
बालक बिलखैं बिना दवाई अमीरां के वारे न्यारे देख 
दूकानदार किसान मजदूरों की रेल क्यों बनाई देख ॥ 
ब्याह शादी रूकगे म्हारे थामनै दया नहीं आयी देख ।। 
कालेधन का इलाज पक्का दावा थामने करया दखे 
छह हजार करोड़ कर्ज अडानी खातै यो धरया दखे  
म्हारी जूती सिरभी म्हारा कसूती करी पिटाई देख ॥ 
ब्याह शादी रूकगे म्हारे थामनै दया नहीं आयी देख ।।  
कई कई घंटे खड़ी रहवै जनता जावै खाली हाथ या 
न्यू कितने दिन देवैगी तेरा बताओ मोदी जी साथ या 
बाजार जमा डूब लिया बेरोजगारी सारै छाई देख ॥ 
ब्याह शादी रूकगे म्हारे थामनै दया नहीं आयी देख ।। 
भरी हवा झूठ भका कै सहज सहज लिकड़ रही 
जनता थारी कारस्तानी या पूरी  तरियां पकड़ रही  
कुलदीप सिंह जनता ना तनै मचावण दे तबाही देख॥ 
 ब्याह शादी रूकगे म्हारे थामनै दया नहीं आयी देख ।। 

Friday, 25 November 2016

जो नियमों का पालन नहीं करै वो घणी यातना भोगैगा॥
शिक्षा व ज्ञान  लेनिया नै यो देश आच्छी ढालां ठोकैगा ॥

ज्योतिबा फुल्ले जी की याद में


उनीसवीं सदी मैं भारत म्हारा दूज्यां का गुलाम बताया ॥
धर्म और जात ऊपर समाज बंट्या टुकड़यां मैं दिखाया ॥
म्हारे समाज पर परम्परावादी सामन्तवादी सोच छारी थी
ज्ञान और सत्ता के स्रोतां पर उच्च वर्गों की थानेदारी थी
इस व्यवस्था नै एक अछूत वर्ग हिंदुस्तान मैं था बनाया ॥
इस वर्ग नै अपमान सह्या  दरिद्रता और अभाव झेले रै
अँधेरी गुफाओं के बीच मैं कहैं ये तबके गए धकेले रै
गैर बराबरी की आग नै चारों कूट भारत देश जलाया ॥
अमानवीय जुल्म ढाल ढाल के इनपै खूब करे जावें थे 
जानवरों से भी भुन्डी ढाल काम के बोझ धरे जावैं थे
माड़ी माड़ी बातों ऊपर  इनको समाज नै घणा सताया ।।
अछूत के अंदर भी कई जात म्हारे समाज नै बनाई
इनकी बस्ती गाम तैं बाहर म्हारे हिंदुस्तान मैं बसाई
धरती पर भी थूकन का पाबंद इनके ऊपर गया लगाया ॥
गले मैं हंडिया लटका कै ये तबके चाल्या करते भाई
निशान पैरों के साफ़ करते जितके डाल्या करते भाई
किसे तैं छू नहीं जावें ये जिम्मा घण्टी बजाने का लगाया ॥
ज्योतिबा फुल्ले नै अलख जात पात के खिलाफ जगाया
शिक्षा का प्रसार करने का फुल्ले जी नै था बीड़ा उठाया 
कहै रणबीर बरौने आला दबंगों नै खूब विरोध जताया ॥ 

Friday, 18 November 2016

NOIDA AND GURUGRAM

नोएडा और गुड़गामा
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

नया निजाम

नया निजाम किन किन बातां पर खरया उतरैगा देखियो ॥
झूठ कै साहरे मीडिआ तैं कितने दिन निखरैगा देखियो ॥
विकास का मॉडल कौनसा यो इब अपनाया जावैगा देखो
मेहनत कश तैं कौनसा लॉली पॉप थमाया जावैगा देखो
बदेशी पूंजी तांहि दरवाजा कितना खुलवाया जावैगा देखो 
रौंद कै पायाँ तलै कितने भारत ऊपर उठाया जावैगा देखो
तामझाम कितने दिन मैं सारा का सारा बिखरैगा देखियो ॥
महंगाई डायन नै सबकै कसूते ये घर घाल दिए सैं देखो
मेहनत काश के घर मैं आज भक्कड़ बाल दिए सैं देखो
अम्बानी अडानी बरगे आज कर मालामाल दिए सैं देखो
महंगाई क्यूकर रोकी जागी कौनसे ख्याल दिए सैं देखो
महंगाई नहीं रुकी तो आम घणा तावला बिफरैगा देखियो ॥
भ्रष्टाचार तैं मुक्ति का आज कौनसा रास्ता अपनाया जावैगा
इलैक्शनां का खर्चा इब यो क्यूकर कितना उघवाया जावैगा
बेलगाम घोड्यां कै यो लगाम किस तरियां लगवाया जावैगा
देखना बाकि सै आम आदमी किस तरियां उलझाया जावैगा
भ्रष्टाचार भाग व्यवस्था का किस तरियां डिगरैगा देखियो ॥
एक और जंग खड़ी साहमी देश म्हारे मैं बेरोजगारी की
अठाईस करोड़ युवा शक्ति सै शिकार इस महामारी की
किततैं पैदा होवैगा रोजगार कैसे मिलै मुक्ति बीमारी की
युवा की उम्मीद बहोत घणी देखी उसनै समों लाचारी की
नहीं पाया सही रास्ता तो यो घणा कसूता चिंगरैगा देखियो ॥
इलैकशन पहलम खूब हुया काळा धन का जिकरा देखो
बोले इसनै उल्टा ल्यावण नै चाहिए कसूता जिगरा देखो
आगै काला धन नहीं बनै इसका नहीं कोय फिकरा देखो
कित कित तैं रोक्या ज्यावै अडानी के तवयां सिकरा देखो
काला धन बदमाश घणा सै किस ढालां यो सुधरैगा देखियो ॥
महिला की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करी जावैगी देखो
छेड़छाड़ रेप छीना झपटी क्यूकर कम हो पावैगी देखो
छाँट कै पेट मैं मारी जांती क्यूकर संसार मैं आवैगी देखो
काम मुश्किल बहोत सै कद सुख तैं या रोटी खावैगी देखो
हामी भरी थी इन कामां की कद सी इब मुकरैगा देखियो ॥
06/06 /2016

Thursday, 17 November 2016

जागो देश वासियो जागो

हम लड़ रहे हैं जात धर्म आरक्षण और पहचान की राजनीति पर और वो लूट रहे हैं हमें यूं बांटकर हमारी खून पसीने की कमाई ।  कहाँ है भगवान तूं ? क्यूँ तुझे यह सब दिखाई नहीं दे रहा ? दिखाई दे रहा है तो खामोश क्यूँ है ? एक रोज तेरे पर से जनता का विश्वास उठ जायेगा यदि अडानी अम्बानी का लूट में साथ निभाएगा । 
 जागो भाई बहनो जागो 
जागो देश वासियो जागो 


Tuesday, 15 November 2016

हिटलर


हिटलर की जर्मनी आले हालात भारत मैं ल्यावैंगे 
हिन्दू राष्ट्र इस हिंदुस्तान नै भाजपा आले बनावैंगे 
इस की खातर हर हथकंडा बंधु देश मैं अपनावैंगे 
दंगा फसाद मार काट जात धर्म ऊपर करवा वैंगे 

MODI JI

असली बातों से हिन्द का हटाया सुनो माहरे मोदी जी  
विदेशी काला धन ना गया ल्याया सुनो माहरे मोदी जी
कारपोरेट कै नहीं नकेल लगाया  सुनो माहरे मोदी जी 
जात धर्म ऊपर देश क्यों लड़वाया सुनो माहरे मोदी जी 
बिना सही इंतजाम यो कदम ठाया सुनो माहरे मोदी जी 
कई तरियां तैं गरीब को भरमाया सुनो माहरे मोदी जी