Wednesday, 10 December 2014

साच्ची बात


बाजे भगत जी की एक रागनी सम सामयिक मुद्ये को छूती हुई
साच्ची बात कहण मैं सखी हुया करै तकरार।।
दगाबाज बेरहम बहन ना मरदां का इतबार।।
रंगी थी सती प्रेम के रंग मैं, साथ री बिपत रुप के जंग मैं
दमयन्ती के संग मैं किसा नल नै करया ब्यौहार
आधी रात छोड़ग्या बण मैं लिहाज षरम दी तार।।
सखी सुण कै क्रेाध जागता तन मैं  मरद जले करैं अन्धेरा दिन मैं
चौदहा साल दुख भोगे बण मैं,ना तज्या पिया का प्यार
फेर भी राम नै काढ़ी घर तैं, वा सीता सतवन्ती नार।।
बात हमनै मरदां की पागी,घमन्ड गरुर करै मद भागी
बिना खोट अन्जना त्यागी, करया पवन नै अत्याचार
काग उडाणी बणा दई, हुया इसा पवन पै भूत सवार।।
खोट सारा मरदां मैं पाया, षकुन्तला संग जुल्म कमाया
गन्धर्व ब्याह करवाया दुश्यन्त नै, कर लिए कौल करार
शकुन्तला ना घर मैं राखी , बण्या कौमी गद्दार।।

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