Wednesday, 24 September 2014

शहीद भगत सिंह

शहीद भगत सिंह 
थारा नाम सुण्या हमनै तों शहीद सबतैं निराला पाया 
तेईस बरस की  उम्र थामनै देश तैं राह असल दिखाया 

थारे बरगे नौजवान देश मैं आज ये टोहें तैं पान्ते 
बाकी अपने आप मैं मस्त देश कान्ही नहीं लखांते 
थारी कुर्बानी याद म्हारै देख देश घोटाळ्यां नै खाया ॥ 
तेईस बरस की  उम्र थामनै देश तैं राह असल दिखाया॥ 

गामां मैं घर कोये बच्या ना मानस बेशक बचरया हो 
गाल सूनी सूनी लागैं सैं जण काला नाग दसऱ्या हो 
थारी नैतिकता भूल गए नशे पते नै ऊधम मचाया ॥ 
तेईस बरस की  उम्र थामनै देश तैं राह असल दिखाया॥ 
3. 
शोषण रहित समाज का सपना चकना चूर करया 
समाज वाद का थारा रास्ता ना इधर कदम धरया 
नौज वान सभा नै हरयाणे मैं थारे रस्ते कदम बढ़ाया ॥ 
तेईस बरस की  उम्र थामनै देश तैं राह असल दिखाया॥ 
4. 
हालात मुश्किल देश के फासिज्म मुँह बारया आज 
देश तोड़क ताक़तां का यो असर बढ़ता जारया आज 
थारे रास्ते पर बढ़ते जावाँ रणबीर ज्याँ कलम उठाया ॥ 
तेईस बरस की  उम्र थामनै देश तैं राह असल दिखाया॥ 
रणबीर सिंह 
24 . 9. 2014 

गाम हरयाणे के

गाम हरयाणे के
ओले हाथ नै सोले का भरोसा   नहीं रहया बताया रै ॥
के होग्या म्हारे समाज कै यो अविस्वास सारै छाया रै ॥
1
महिला की इज्जत नै रोजाना यो कौन लूट रहया
गुण्डा लेकै रिवाल्वर पूरे गाम मैं खुल्ला छूट रहया
गाम पी खून का घूँट रहया दारू नै ऊधम मचाया रै ॥
ओले हाथ नै सोले का भरोसा   नहीं रहया बताया रै ॥
2
शहरां तैं घणे गाम आज असुरक्षित होंते आवैं सैं
वंचित तबके गामां मैं मुश्किल तैं रात बितावैं सैं
ठाड़े छोरी ठा लेज्यावैं रिवाल्वर का खौफ बिठाया रै ॥
 ओले हाथ नै सोले का भरोसा   नहीं रहया बताया रै ॥
3
जो बोलैं उणनै पीटैं उनपै झूठे इल्जाम लवादें सैं
स्कूल जाण तैं छोरी घबरावैं पढ़ना ये छटवादें सैं
काबू ना आवै उनै मरवादें सैं किसा जमाना आया रै ॥
ओले हाथ नै सोले का भरोसा   नहीं रहया बताया रै ॥
4
चुप्पी साधें पार पड़ै हमनै आवाज उठानी होगी
गुंडा गर्दी पै सबनै मिलकै लगाम लगनी होगी
हिम्मत कर रणबीर नै इनके खिलाफ कलम ठाया रै ॥
ओले हाथ नै सोले का भरोसा   नहीं रहया बताया रै ॥
रणबीर सिंह
24. 9. 2014 

Tuesday, 23 September 2014

समझ अपनी अपनी

समझ अपनी अपनी 
एक बूढी महिला नै इंडियन एयर लाइन्स के दफ्तर मैं फोन करया अर बूझ्या ,
" दिल्ली तैं कलकत्ता जावण  आला जहाज कितना टेम  लेवै सै ?"
"एक मिनट |" कहकै एयर लाइन्स का कर्म चारी अपनी समय तालिका देखण लाग्या |
दूसरी तरफ तै आवाज आई ," धन्यवाद " अर महिला नै फोन धर दिया |

Monday, 22 September 2014

doha

पांणी प्रदूषित / हवा प्रदूषित / खाणा प्रदूषित 
दिमाग प्रदूषित / फेर हर घर मैं बीमारी नहीं 
तो के मोर नाचैगा / कितने ए  डाक्टर लियाओ 
बात काबू कोणी  आवै /डाक्टर अर जनता रोज 
आपस मैं मारा मारी पै  आवै / कसूरवार इसका 
51 हजार की माला घलवावै 

सही सोच के संघर्ष बिना इब जनता पिटती जारी हे ॥

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई  सबतैं बड्डी बीमारी हे ॥
इसका काट्या मांगै  पाणी  ना कोय नर और नारी हे॥
सीरकी घाल करैं गुजारा देखो जिणनै ताज महल बनाये
उनके बालक भूखे मरते जिणनै खुबै ये खेत कमाये
तन पै उनके लत्ता ना जिणनै कपड़े के मील चलाये
वे बिना दूध सीत रहवैं जिणनै ये डांगर ढोर चराये
भगवन भी अँधा कर दिया नहीं  दिखै भ्रष्टाचारी हे ॥
जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता
दस नंबरी मानस जितने उनका हुकम सारै पिलता
नकली फूल सजावैं सारे नहीं घर मैं असली खिलता
कहैं उसके बिना दुनिया मैं यो पत्ता तक नहीं हिलता
सबका ख्याल नहीं करता वो किसा सै न्या कारी ॥
डांगर की कदर फालतू मानस बेकदरा संसार मैं
छोरे की कदर घनी सै छोरी पराया धन परिवार मैं
छिना झपटी बढ़ती जावें ये छपती रोज अखबार मैं
मानस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरे बाजार मैं
कति छांट कै चलायी सै महिला भ्रूण पै कटारी हे ॥
इस व्यवस्था मैं मुठ्ठी भर तो हो घने मालामाल रहे
ईसा जाल पूर  दिया इसनै चला अपनी ढाल रहे
सोच समझ कै बढ़ियो आगै माफिया कसूते पाल रहे
फ़ौजी और पुलिशिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे
सही सोच के संघर्ष बिना इब जनता पिटती जारी हे ॥