Saturday, 26 July 2014

MUNSHI PREM CHAND

मुंशी प्रेनचंद ने अपनी सशक्त लेखनी के माधयम से सामाजिक कुरीतियों , विषमताओं  , रूढ़ियों , एवम उस समय के समाज के शोषणकर्ताओं पर कुठाराघात करके पाठकों को न केवल स्वस्थ मनोरंजन दिया बल्कि सामाजिक बुराईयों को उजागर करते हुए उन्हें जड़ से समाप्त करने का सन्देश दिया । इनकी बेमिशाल  लेखनी से जब गंगा जमुनी भाषा में जब किसी गरीब --बेबस---और मजबूर इंसान की आहें फूटती हैं तो बरबस ही पाठक का मन दर्द --टीस ---मार्मिकता और भावुकता से भर उठता है । कथानक के समस्त पात्र और घटनाएँ किसी चलचित्र की भांति हमारी आँखों के आगे सजीव हो उठते हैं । 
मुंशी प्रेम चंद  का असली नाम धनपत राय था ।  

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