Saturday, 26 July 2014

MUNSHI PREM CHAND

मुंशी प्रेनचंद ने अपनी सशक्त लेखनी के माधयम से सामाजिक कुरीतियों , विषमताओं  , रूढ़ियों , एवम उस समय के समाज के शोषणकर्ताओं पर कुठाराघात करके पाठकों को न केवल स्वस्थ मनोरंजन दिया बल्कि सामाजिक बुराईयों को उजागर करते हुए उन्हें जड़ से समाप्त करने का सन्देश दिया । इनकी बेमिशाल  लेखनी से जब गंगा जमुनी भाषा में जब किसी गरीब --बेबस---और मजबूर इंसान की आहें फूटती हैं तो बरबस ही पाठक का मन दर्द --टीस ---मार्मिकता और भावुकता से भर उठता है । कथानक के समस्त पात्र और घटनाएँ किसी चलचित्र की भांति हमारी आँखों के आगे सजीव हो उठते हैं । 
मुंशी प्रेम चंद  का असली नाम धनपत राय था ।  

पिचानवै और पांच

आज पांच प्रतिशत और पिचानवे प्रतिशत के बीच की लड़ाई पूरी दुनिया मैं
अलग अलग रूप से लड़ी जा रही है । इसे समझने की बहुत जरूरत  है ।
क्या बताया भला कवि ने :
पिचानवै और पांच की दुनिया मैं छिड़ी लड़ाई रै ॥
पांच नै प्रपंच रच कै पिचानवै की गेंद बनाई रै ॥
पांच की ज़ात मुनाफा मुनाफा उनका सै भगवान
मुनाफे की खातर मचाया पूरी दुनिया मैं घमासान
मुनाफा छिपाने खातर प्रपंच रचे सैं बे उनमान
हथियार किस्मत का ले धराशायी कार्या इंसान
पिचानवै रोवै किस्मत नै पांच की देखो चतुराई रै ॥
पांच नै प्रपंच -----------------------------------।।
पूरे संसार के माँ पांच की कटपुतली सरकार
फ़ौज इनके इसारे पर संघर्षों पर करती वार
कोर्ट कचहरी बताये दुनिया मैं इनके ताबेदार
इनकी रोजाना बढ़ती जा मंदी मैभी लूट की मार
कितै ज़ात कितै धर्म पै पिचानवै की फूट बढ़ाई रै ॥
पांच नै प्रपंच -----------------------------------।।
सारा तंत्र पांच खातर पिचानवै नै लूट रहया रै
कमाई पिचानवै की [पर पांच ऐश कूट रहया रै
पिचानवै बंटया न्यारा न्यारा पी सबर का घूँट रहया रै
गेर कै फूट पिचानवै मैं पांच खागड़ छूट रहया रै
आपस मैं सिर फुडावां सम्मान इज्जत गंवाई रै ॥
पांच नै प्रपंच -----------------------------------।।
जब पिचानवै कठ्ठा होकै घाळ अपनी घालैगा भाई
भ्र्ष्टाचारी पांच का शासन ऊपर तक हालैगा भाई
ठारा कै बाँटै एक आवै ना कोए अश्त्र चालैगा भाई
नया सिस्टम खड्या हो इंसानियत नै पालैगा भाई
कहै रणबीर दीखै ना और कोए मुक्ति की राही रै ॥
पांच नै प्रपंच -----------------------------------।। 

Friday, 25 July 2014

MANAS KA DHARAM

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Thursday, 24 July 2014

आपा ...धापी


आपा धापी माच रही चारों कूट रोल्या पड़ग्या।
एक दूजे का गल काटैं नाज गोदामां मैं सड़ग्या
म्हारे घर बणे तबेले रही माणस की खोड़ नहीं
सोच तै परहेज करैं बात का टोहते औड़ नहीं
झूठ पै चालै पूरी दुनियां साच का जुलूस लिकड़ग्या।।
मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह दिखाया
या दुनिया बदल दर्इ घणा खून पसीना बाहया
लालची नै डाण्डी मारी गरीब कै साहमी अड़ग्या।।
न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे कान्ही फूटया ढारा
गरीब की कमार्इ का मुनाफा अमीर कै बड़ग्या।।
टीवी पै सपने हमनै आज बूख दिखाये जावैं
रणबीर तै लालच दे कै उल्टे प्रचार कराये जावैं

सच्चार्इ नै भूल गए भोग मैं माणस बड़ग्या।।

Wednesday, 23 July 2014

संघर्ष नर्सों का



तर्ज: उठो उठो हे सखी लागो हरि वेफ भजन मैं
टेक: देख लाई बाट भतेरी हमनै करया घणा इन्तजार।
इब करणी पड़ै लड़ाई, संगठन नै या बात बताई
बजाई हमनै रणभेरी हे, सम्भाली सै हमनै पतवार।।
काम घणा सै तनखा थोड़ी, उपर तै जा बांह मरोड़ी
जोड़ी ये नर्स कमेरी हे, दें धरना बहरी सैं सरकार।।
बिना कसूर ये धमकावैं, उल्टे सीधे काम ये चाहवैं
लावैं इल्जाम ये धमकी जहरी हे इन ताहि देवां ललकार।।
वर्दी भत्ता और धोबी भत्ता सब क्याहें नै बतावैं धता

सत्ता आज होई लुटेरी हे हमनै बीर रहया सै पुकार।।

Tuesday, 22 July 2014

दिल्ली आल्यो


गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।
नहीं सुणते बात हम देखैं बाट दिल्ली आल्यो।।
र्इब खत्म म्हारी पढ़ार्इ कति गोलते कोण्या
हम मरते बिना दवार्इ कति तोलते कोन्या
कति बोलते कोण्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो।।
इसी नीति अपनार्इ किसान यो बरबाद करया
घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद करया।
घणायो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो।।
म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं
थारे घूमैं जहाज्यां मैं म्हारे खेत खान कमावैं
भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।
सात सौ चीजां की रणबीर ये सीम खोल दर्इ
गउ भैंस बकरी म्हारी ये बिकवा बिन मोल दर्इ
मचा रोल दर्इ गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।।


आयी तीज


मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे 
बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे 
साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या
सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या  
ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे 
कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही 
बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही 
कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे 
आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या 
झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या 
पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे 
बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई 
इस मौके पर जाया करती  प्रेम की पींघ बढ़ायी 
कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई 

ईद और तीज



तीजां का त्यौहार आ जाता है मगर मेहर सिंह को फ़ौज से छूटी नहीं मिलती । गॉव बरौना बहुत याद आता है । वो बाग़ भरा पूरा और वहां डाले गए झूले । बार बार उसके इमाग में घूमते हैं । सोचता है और क्या लिखता है । 
मतना देखिये बाट प्रेमकौर छूटी मनै मिली कोन्या।  
मनै कई तरियां बात करी कोए चाल चली कोन्या । 
पहर कै दाम्मण काला तीज मनावन जाईये जरूर 
फ़ौजी नै गीत लिख कै भेज्या सबनै बताईये जरूर
जरूर तीज मनाईये कदे कहै पींघ तो घली कोन्या । 
पींघ बढ़ा कै नाक सासू की जरूर तोड़ कै नै ल्याईयो 
सुहाली पूड़े और गुलगले सब रेल मिल कै नै खाईयों 
आपस की राड़ घरां मैं होती जमा या भली कोन्या । 
सारे गाम  नै मेरे तरफ की या राम राम दियो जरूर 
दोनो भान रहियो प्रेम तैं आदर सम्मान कियो जरूर 
फ़ौज मैं हालात नहीं अच्छे लड़ाई इब्बै टली कोन्या । 
 इस मिहने साम्मण की या रुत घनी गजब बताई
ईद बी आज काल मैं या जावै पूरे गुहांड मैं मनाई    
रणबीर करै कविताई छाणी बरोने की गली कोन्या । 

Friday, 18 July 2014

काढ़ा

काढ़ा
छोरी कै ताप आया था मने देसी काढ़ा प्याया फेर
जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर
डाक्टर नै पूरी जाँच करकै शुरू कर इलाज दिया
हल्का खाना गया बताया बंद कर सब नाज दिया
दवा लिखी चार ढाल की फीस मैं कर लिहाज दिया
गन्दा पानी फैलावे बीमारी बता यो सही काज दिया
ताप फेर बी ना टूट्या पेट मैं दर्द जताया फेर ||
डाक्टर जमा हाथ खड़े करग्या काली रात अँधेरी थी
बीजल लस्कैं बाल चलती दी बीप्ता नै घेरी थी
खड्या लाखऊँ बेटी कान्ही जमा अकल मारगी मेरी थी
वा नयों बोली बाबू बचाले मैं घनी लाडली तेरी थी
गूंठा टेक कै पाँच हजार ब्याज पै मैं लयाया  फेर ||
चाल गाम तैं बाबू बेटी मेडिकल मैं चार बाजे आये
नर्स डाक्टर सोहरे  थक कै हमने आके नै वे ठाए
सारी बात बूझ कै म्हारी फेर बहोत से टेस्ट कराये
एक्सरे देख कै वे डाक्टर फेर आपस मैं बतलाये
परेशान जरूरी सै ताऊ अंत मैं छेद बताया फेर ||
पायां ताले की धरती खिसकी हाथ जोड़ कै फ़रमाया
मेरा खून चाहे जितना लेल्यो चाहूं बेटी नै बचाया
एक बोतल  एक माणस तै उसनै यो दस्तूर बताया
ओढ़ानै  मैं जाऊं कडे मने पह्याँ कान्ही हाथ बढाया
डाक्टर पाछे नै होग्या उसनै मैं धमकाया फेर ||
पलंग धौरे  बैठ गया मेरी बेटी मेरे कान्ही लखाई
एकदम सिसकी आगी मेरे पै ना गयी आंख मिलाई
डाक्टर नै बेरा ना क्यूकर फेर दया म्हारे पै आई
एक मने देई दो उडे तै बोतल खून की दिलवाई
परेशान सही होग्या डाक्टर नै धीर बंधाया फेर ||
बीस दिन रहे मडिकल मैं खर्चा तीस हजार होग्या
एक किल्ला पड्या टेकना पर बेटी का उपचार होग्या
मेडिकल  के डाक्टर का सारी उम्र का कर्जदार होग्या
उनकी उड़ऐ  देखी जिन्दगी रणबीर सिंह ताबेदार होग्या
इलाज करवाकै  बेटी का अपने घर नै मैं आया फेर ||

हरयाणा के समाज मैं


गरीबां की मर आगी हरयाणा के समाज मैं ||
रैहवन नै मकान कडै , खावन नै नाज नहीं
पीवन नै पानी कडै , बीमार   नै इलाज नहीं
महंगाई जमा खागी हरयाणा के समाज मैं ||
कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी सै 
गीहूं की गोली खा खा मार्गे हुई घनी लाचारी सै 
किसान की धरती जागी हरयाणा के समाज मैं ||
बदेशी  कंपनी कब्ज़ा करगी ये हिंदुस्तान मैं
लाल कालीन बिछाए किसने इनकी श्यान मैं
इतनी घनी क्यों भागी हरयाणा के समाज नै ||
महिलाओं  पै अत्याचार बढे आंख म्हारी मींच्गी
दलितों के ऊपर क्यों तलवार म्हारी खिंचगी   
रणबीर की छंद छागी हरयाणा के समाज मैं ||
 

haal mahara

देश आजाद हुया था सैंतालिस मैं बहोत साल बीत गये
उनके बाँटे  दूध मलाई बता म्हारे कर्मों  मैं सीत गये
धनवानों के बिल्ली कुत्ते म्हारे तैं बढ़िया जीवन गुजारें  वे
म्हारे बिन भोजन कुपोषण होग्या खा खा कै घने डकारें वे
हमनै कहके नीच पुकारें वे घनी मादी चला वे रीत गये ||
जमीन असमान क अंतर किसने आज म्हारे बीच बनाया सै
सारी उमर हम खेत कमाते फेर बी साँस नहीं उल्गा आया सै 
सोच सोच कै सिर चकराया सै वे क्यूकर पाला जीत गये ||
तरक्की करि हरयाणा मैं अपना खून पस्सीना बहा कै रै
ऊपर ले तो फायदा ठगे हम बात देखते मुंह नै बा कै रै 
देखे चारों कान्ही धक्के खा कै रै मिल असली मीत गये ||
तीनो नकली लाल हरयाणा के उनते यो सवाल म्हारा रै  
गरीब क्यों घणा गरीब होग्या अमीर क भरया भंडारा रै
असली लाल परभात म्हारा रै रणबीर बना ये गीत गये ||  

Tuesday, 1 July 2014

नया निजाम

नया निजाम किन किन बातां पै खरया उतरैगा देखियो।।
झूठ के साहरै मीडिया तैं कितने दिन निखरैगा देखियो।।
विकास का माॅडल यो कौणसा ईब अपनाया जावैगा देखो
मेहनतकश तैं यो कौणसा लोलीपोप थमाया जावैगा देखो
बदेशी  पूंजी ताहिं दरवाजा कितना खुलवाया जावैगा देखो
कितने जणे रोंद पाहयां तलै भारत उठाया जावैगा देखो
ताम झाम सारा का सारा कितने दिन मैं बिखरैगा देखियो।।
मंहगाई डायन नै सबकै कसूते घर घाल दिये सैं देखो
मेहनतकश  के घर मैं आज भक्कड़ बाल दिये सैं देखो
अम्बानी अडानी बरगे ये कर माला माल दिये सैं देखो
मंहगाई क्यूकर रोकी जागी कौणसे ख्यााल दिये सैं देखो
मंहगाई नहीं रुकी तो यो आम तावला ए बिफरैगा देखियो।।
भ्रष्टाचार  तैं मुक्ति का आज कौणसा रास्ता अपनाया जावैगा
इलैक्सनां  का खर्चा ईब यो क्यूकर कितना उघाया जावैगा
बेलगाम घोड़े कै यो  लगाम किस तरियां लगाया जावैगा
देखना बाकी सै आम आदमी किस तरियां भकाया जावैगा
भ्रष्टाचार हिस्सा व्यवस्था का किस तरियां डिगरैगा देखियो।।
एक जंग और खड़ी साहमी देश  म्हारे मैं बेरोजगारी की
अठाइस करोड़ युवा शक्ति सै शिकार इस महामारी की
किततैं पैदा होवैगा रुजगार कैसे मुक्ति इस बीमारी की
युवा की उम्मीद बहोत घणी देखी समों इसनै लाचारी की
नहीं दिख्या सही रास्ता तो यो घणा कसूता चिंगरैगा देखियो।।
इलैक्सन पहलम खूब हुया काले धन का जिकरा देखो
इसनै उल्टा ल्यावण खातर चाहिये कसूता जिगरा देखो
आगै काला नहीं बणै कित सै इसका फिकरा देखो
कित कित तैं रोक्या जावैगा आज तव्यां पै सिकरा देखो
काला धन बेरहम घणा सै किस ढालां सुधरैगा देखियो।।
महिलावां की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करी जावैगी देखो
रेप छेड़ छाड़ छीना झपटी क्यूकर कम हो पावैगी देखो
छांट कै पेट मैं मारी जान्ती क्यूकर संसार मैं आवैगी देखो
काम मुश्किल बहोत सै कद सुख तैं या रोटी खावैगी देखो
हामी भरी से इन कामां की राज कद सी मुकरैगा देखियो।।

Naya Nijam


या निजाम किन किन बातां पै खरया उतरैगा देखियो।।
झूठ के साहरै मीडिया तैं कितने दिन निखरैगा देखियो।।
विकास का मॉडल यो कौणसा ईब अपनाया जावैगा देखो
मेहनतकश  तैं यो कौणसा लोली पोप थमाया जावैगा देखो
बदेशी पूंजी ताहिं दरवाजा कितना खुलवाया जावैगा देखो
कितने जणे रोंद पाहयां तलै भारत उठाया जावैगा देखो
ताम झाम सारा का सारा कितने दिन मैं बिखरैगा देखियो।।
मंहगाई डायन नै सबकै कसूते घर घाल दिये सैं देखो
मेहनतकश  के घर मैं आज भक्कड़ बाल दिये सैं देखो
अम्बानी अडानी बरगे ये कर माला माल दिये सैं देखो
मंहगाई क्यूकर रोकी जागी कौणसे ख्यााल दिये सैं देखो
मंहगाई नहीं रुकी तो आम तावला ए बिफरैगा देखियो।।
भ्रश्टाचार तैं मुक्ति का आज कौणसा रास्ता अपनाया जावैगा
 इलेक्शनों का खर्चा ईब यो क्यूकर कितना उघाया जावैगा
बेलगाम घोड़े कै यो  लगाम किस तरियां लगाया जावैगा
देखना बाकी सै आम आदमी किस तरियां भकाया जावैगा
भ्रश्टाचार हिस्सा व्यवस्था का किस तरियां डिगरैगा देखियो।।
एक जंग और खड़ी साहमी देश  म्हारे मैं बेरोजगारी की
अठाइस करोड़ युवा षक्ति सै शिकार इस महामारी की
किततैं पैदा होवैगा रुजगार कैसे मुक्ति इस बीमारी की
युवा की उम्मीद बहोत घणी देखी समों इसनै लाचारी की
नहीं दिख्या सही रास्ता तो यो घणा कसूता चिंगरैगा देखियो।।
इलैक्षन पहलम खूब हुया काले धन का जिकरा देखो
इसनै उल्टा ल्यावण खातर चाहिये कसूता जिगरा देखो
आगै काला नहीं बणै कित सै इसका फिकरा देखो
कित कित तैं रोक्या जावैगा आज तव्यां पै सिकरा देखो
काला धन बेरहम घणा सै किस 
महिलावां की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करी जावैगी देखो
रेप छेड़ छाड़ छीना झपटी क्यूकर कम हो पावैगी देखो
छांट कै पेट मैं मारी जान्ती क्यूकर संसार मैं आवैगी देखो
काम मुश्किल  बहोत सै कद सुख तैं या रोटी खावैगी देखो
हामी भरी से इन कामां की राज कद सी मुकरैगा देखियो।।