Saturday, 31 August 2013
Tuesday, 13 August 2013
इब्बी चाहवै
दारू नाश करै घरका दीमक की ढा लां शरीर खावै ॥
मां बाप घणे दुखी रहवैं घर आली पर संकट छावै ॥
शुरू शुरू मैं तो ब्याह शादी मैं दो चार घूँट लगाई रै
सहज सहज आदत पड़गी चाहकै ना छुट पाई रै
कदे इस कदे उस गाल मैं पी कै दारू पड्या पावै ॥
तड़कै उठ कै कान पकड़ ले ईब ना कदे पीऊँगा
छोड़ छाड़ इस दारू नै बीरो मैं तेरी खातर जीऊँगा
उसे साँझ नै बीरो उस नै ठाकै अपने कंधे पै ल्यावै ॥
अगले दिन पाँ पकड़ ले खड़दू करै परिवार मैं
बीरो घी प्यावै और रहवै दारू छोडण की इन्तजार मैं
रात नै कई कई घंटे लुग बीरो धर्मे नै समझावै ॥
आठ दस साल बीतगे तीन बालक घर मैं रलगे
दारू नशे मैं रहवै रोजाना खावण के लाले पड़गे
टूम ठेकरी बेच कै पीवै कै चोरी कर कै नै चढ़ावै ॥
खेत क्यार तैं चोरी कर ले दारू हुई घनी जरूरी या
बीरो कहै घरां बैठ कै पीले समझै सै मजबूरी वा
बीरो की हद छाती सै रणबीर धर्मे नै इब्बी चाहवै ॥
मां बाप घणे दुखी रहवैं घर आली पर संकट छावै ॥
शुरू शुरू मैं तो ब्याह शादी मैं दो चार घूँट लगाई रै
सहज सहज आदत पड़गी चाहकै ना छुट पाई रै
कदे इस कदे उस गाल मैं पी कै दारू पड्या पावै ॥
तड़कै उठ कै कान पकड़ ले ईब ना कदे पीऊँगा
छोड़ छाड़ इस दारू नै बीरो मैं तेरी खातर जीऊँगा
उसे साँझ नै बीरो उस नै ठाकै अपने कंधे पै ल्यावै ॥
अगले दिन पाँ पकड़ ले खड़दू करै परिवार मैं
बीरो घी प्यावै और रहवै दारू छोडण की इन्तजार मैं
रात नै कई कई घंटे लुग बीरो धर्मे नै समझावै ॥
आठ दस साल बीतगे तीन बालक घर मैं रलगे
दारू नशे मैं रहवै रोजाना खावण के लाले पड़गे
टूम ठेकरी बेच कै पीवै कै चोरी कर कै नै चढ़ावै ॥
खेत क्यार तैं चोरी कर ले दारू हुई घनी जरूरी या
बीरो कहै घरां बैठ कै पीले समझै सै मजबूरी वा
बीरो की हद छाती सै रणबीर धर्मे नै इब्बी चाहवै ॥
Wednesday, 7 August 2013
Friday, 2 August 2013
लाठी गोली
लाठी गोली
एक किसान अख़बार में पढता है की किसानों पर कितना जा रहा है / वह मन ही मन बहुत कुछ सोचता है / शायद इस प्रकार से :
लाठी गोली बन्दूक तेरी सब धरे रह ज्यांगे आ डै
किसान पाछै हटै नहीं चुच्ची बच्चा फैह ज्यांगे आ डै
किसान करता कष्ट कमाई अपना खून पस्सीना बा हवै
कष्ट कमाई घर मैं आज्या हरयाने का किसान चाहवै
और कोए तनै पाया ना गरीबों नै तूँ कयूं गाह वै
चीफ मिनिस्टर बनाया जिन नै उन नै आज क्यों ताह वै
दारू बंदी तैं पीस्सा कमाया किस्सान सारी लैह ज्यांगे आ डै //
ट्रांसफार्मर करन का के गलत सै नारा बत लाओ
बीजली नहीं मिलती हम नै के कसूर सै म्हारा बतलाओ
पूंजीपति कै पाणी भरते के ख्याल सै थारा बतलाओ
गोली चलवा निर्दोषों पै किया चाहवै निपटारा बतलाओ
लाठी गोली थारी देखांगे जुल्म क्यूकर सह ज्यांगे आ डै //
पांच मानस मरे त्ताम्नै इसका हिस्साब चुकाना होगा
कादमा कांड फेर दोहराया तम्नै लाजमी जाना होगा
कुर्सी पडै छोडनी सयाने हट कै तम्नै पछताना होगा
हरयाणा खाया लूट जमा कुछ तो इब शरमाना होगा
जितने महल बनाये तम्नै ये सारे ढह ज्यांगे आ डै //
कुर्बानी किसानों की या जरूर अपना रंग दिखा वैग़ी
संगठन बना कै मजबूत अपना थारै साँस चढ़ा वैग़ी
किस किसने मा रैगा पापी गिनती किट ताहीं जा वैग़ी
इब होन्स सम्भाल किमै ना या जनता सबक सिखा वैगी
बियर सिंह जिसे ठाठी भजनी सही बोल कैह ज्यांगे आ डै //
एक किसान अख़बार में पढता है की किसानों पर कितना जा रहा है / वह मन ही मन बहुत कुछ सोचता है / शायद इस प्रकार से :
लाठी गोली बन्दूक तेरी सब धरे रह ज्यांगे आ डै
किसान पाछै हटै नहीं चुच्ची बच्चा फैह ज्यांगे आ डै
किसान करता कष्ट कमाई अपना खून पस्सीना बा हवै
कष्ट कमाई घर मैं आज्या हरयाने का किसान चाहवै
और कोए तनै पाया ना गरीबों नै तूँ कयूं गाह वै
चीफ मिनिस्टर बनाया जिन नै उन नै आज क्यों ताह वै
दारू बंदी तैं पीस्सा कमाया किस्सान सारी लैह ज्यांगे आ डै //
ट्रांसफार्मर करन का के गलत सै नारा बत लाओ
बीजली नहीं मिलती हम नै के कसूर सै म्हारा बतलाओ
पूंजीपति कै पाणी भरते के ख्याल सै थारा बतलाओ
गोली चलवा निर्दोषों पै किया चाहवै निपटारा बतलाओ
लाठी गोली थारी देखांगे जुल्म क्यूकर सह ज्यांगे आ डै //
पांच मानस मरे त्ताम्नै इसका हिस्साब चुकाना होगा
कादमा कांड फेर दोहराया तम्नै लाजमी जाना होगा
कुर्सी पडै छोडनी सयाने हट कै तम्नै पछताना होगा
हरयाणा खाया लूट जमा कुछ तो इब शरमाना होगा
जितने महल बनाये तम्नै ये सारे ढह ज्यांगे आ डै //
कुर्बानी किसानों की या जरूर अपना रंग दिखा वैग़ी
संगठन बना कै मजबूत अपना थारै साँस चढ़ा वैग़ी
किस किसने मा रैगा पापी गिनती किट ताहीं जा वैग़ी
इब होन्स सम्भाल किमै ना या जनता सबक सिखा वैगी
बियर सिंह जिसे ठाठी भजनी सही बोल कैह ज्यांगे आ डै //
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