Thursday, 31 January 2013

BHAGAT SINGH HAN BHARLE NAI


भगतसिंह हाँ भरले नै , चाहवां तूं ब्याह करले नै
बात कानां पर धरले नै , बिना ब्याह के रहना हो
दो  दो  विधवा घर मैं शहादत दी चाचा ताऊ नै
तीजी विधवा सोच कांपू नहीं कुछ समझ पाऊँ  मैं  
देने मैं खुलकै क़ुरबानी,शादी करवादे आनाकानी 
शादी नहीं करने की ठानी ,ना तो पड़ी दुःख  सहना हो ||
दबाव शादी करवाने का परिवार का खूबे आया  
सान्याल   नै भगत सिंह था आछी  ढाला  समझाया
छोडदे नै घरबार भगत , नहीं तो परिवार भगत
बधावैगा तकरार भगत , सान्याल का सच कहना हो ||
भगत सिंह खूब सोच्या फेर फैंसला मजबूत लिया
शादी का मसला उसनै पूरी तरिया ख़ारिज किया 
घर मैं दबाव बढेगा रै , शादी का तूं पाठ पढेगा रै  
यो तेरा जलूस कढैगा रै , यो रोज रोज का फैहना हो ||
सान्याल नै भगत को घर से बाहार निकाल्या रै
कानपुर सहर मैं फेर भगत सिंह नै डेरा डाल्या रै
था मानस भगवान नहीं ,उसतैं बढ़िया इन्सान नहीं 
सह्या कदे  अपमान नहीं  रणबीर उने ख़ुश रहना हो |

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