Saturday, 10 November 2012

BHRUN HATYA

भ्रूण-हत्या

तेरे अंश तैं खिली कली नै, मत तुड़वावै माई री ।
तीन मास तै पली कूख में, ईब के आफत आई री ।।
(1)
जननी होकै खुद मरावावै, घोर अंधेरा सै दिन में ।
जै बाड़ खेत नै खावैगी, के बाकी बचै चमन में ।।
तूं भी तै मां एक बेटी सै, देख सोच अपणे मन में ।
गुड्डा-गुडियां खेल्लूंगी मैं, बाबुल के आंगन में ।।
फिरूं चहकती बचपन में, फेर चिड़िया किसी उडाई री ।
(2)
आकै नै मैं दुनिया मैं, थारै रंग चा़ बानी लाऊँगी ।
जब होगा मेरै छोटा भाई, सारी हाण खिलाऊँगी ।।
भैया दूज जब आवैगी मैं, रक्षा -तिलक लगाऊँगी ।
आई सलूमण पोहंची बाधूं, जुग-जुग शुक्र मनाऊँगी ।।
गीत खुशी के गाऊँगी जब, ब्याहया जा मेरा भाई री ।
(3)
पढ़ लिखकै मैं रोशन करदयूं, मात-पिता का नाम री ।
इंद्रा बणज्यां बेदी बणज्यां, दुनिया करै सलाम री ।।
पी.टी. ऊषा साईना बणज्यां, जीतूं घणे ईनाम री ।
कल्पना चावला की ढ़ाला मैं, उडकै छूल्यूं राम री ।।
करूं संतोष से काम री, एवरेस्ट की करूं चढ़ाई री ।
(4)
लोकेश शर्मा हाथ जोड़कै, कररया न्यूं फरियाद सै ।
नारी के सम्मान बिना के, रहणा जगत आबाद सै ।।
भ्रूण-हत्या का कलंक देश पै, ब्होत बड़ा अपराध सै ।
अजमाकै कोए देख लियो, लड़की-लड़के तैं बाध सै ।।
बणी रहै मर्याद सै, जिस घर मैं कन्या पाई री ।

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