Monday, 7 May 2012

Bhrun Hatya

म्हारा  हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया 
आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया 
छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी 
समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी 
जनता हुइ  सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया ||
औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चा लै 
आदमी आदमी का दुश्मन ना यो  रोजै ए घर घा लै 
समाज की बुन्तर सा लै  यो हरयाणा बदनाम कराया ||
वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावें देखो 
छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावें देखो 
जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया||
अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं 
जो पेट  मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं 
आती हमनै सूझ नहीं रणबीर सिंह घणा घबराया ||

No comments: