मात पिता के मरें बाद आंसू टप काके के होगा
जिन्दे जी जूते मारे फेर फूल चढ़ा कै के होगा
कहना मान्या नहीं कदे फेर तिलक लगाना ठीक नहीं
छुए कोन्या पैर कदे फेर शीश झुकाना ठीक नहीं
राखे सदा अँधेरे मंह फेर दीप जलाना ठीक नहीं
नाक चढ़ा कै रोटी दी फेर पिंड भराना ठीक नहीं
बिछुड़े बाद बडाई करते बेटे पोते देख लिए
कर कर याद लाड बचपन के पाछै रोते देख लिए
पितरं खातर गंगा जी महँ लेट गोते देख लिए
लगी हुयी कमरयों मैं फोटू मॉल मॉल धोते देख लिए
रहे तड़पते वस्त्र बिन फेर शाल उदा कै के होगा ||
काढ़े दोष सदा जिनके फेर पाछे तैं गुण गावैं सें
दुखी करे जिन्दगी भर फेर मंदिर मैं पत्थर लावें सें
घूर घूर देखनिये फेर फोटू पै ध्यान जमावैं सें
सदा उछाली पगड़ी फेर पगड़ी की रस्म निभावैं सें
दुःख मंह करी नहीं सेवा फेर पेहवे जाकै के होगा ||
करल्यो जिन्दे जी सेवा या अच्छी क़िस्मत थारी सै
आशीर्वाद मिले दिल तै जो बेटा आज्ञाकारी सै
खुद अपनी सन्तान भला ना लागे किसने प्यारी सै
कोए अमर ना रहया जगत मैं आखिर सब की बारी सै
ज्ञानी राम दो हर्फी कह दी ढोल बजा कै के होगा ||
ज्ञानीराम शाश्त्री जी
"हरयाणवी लोकधारा प्रतिनिधि रागनीयाँ "
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