Monday, 19 March 2012

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै


नींद मैं रुखाळा

लेज्यां म्हारे वोट करै बुरी चोट आवै क्यों नींद रुखाळे नै
                                                घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।

जब पाछै सी भैंस खरीदी देखी धार काढ़ कै हो
जब पाछै सी बीज ल्याया देख्या खूब हांड कै हो
जब पाछै सी हैरो खरीद्या देख्या खूब चांड कै हो
जब पाछै सी नारा ल्याया देख्या खूड काढ़ कै हो
वोटां पै रोळ पाटै कोन्या तोल लावां मुंह लूटण आळे नै।
                                       घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।

घणे दिनां तैं देख रही म्हारी या दूणी बदहाली होगी
आई बरियां म्हानै भकाज्यां इबकै खुशहाली होगी
क्यों माथे की सैं फूट रही या दूणी कंगाली होगी
गुरु जिसे चुनकै भेजां इसी ए गुरु घंटाली होगी
छाती कै लावै क्यूं ना दूर भगावै इस बिषयर काळे नै।
                                     घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।

ये रंग बदलैं और ढंग बदलैं जब पांच साल मैं आवैं सैं
जात गोत की शरम दिखाकै ये वोट मांग कै ले ज्यावैं सैं
उनकै धोरे जिब जाणा होज्या कित का कौण बतावैं सैं
दारु बांटैं पीस्सा बी खरचैं फेर हमने ए लूटैं खावैं सैं
करैं आपा धापी ये छारे पापी थापैं ना किसे साळे नै।
                                    घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।

क्यों हांडै सै ठाण बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं
बाही मैं लागू और टिकाऊ ऐसा नारा हिल्या नहीं
म्हारे तन ढांप सकै जो ऐसा कुड़ता सिल्या नहीं
खेतां में नाज उपजावां सां फूल म्हारै खिल्या नहीं
साथी रणबीर बनावै सही तसबीर खींच दे असली पाळे नै।
                                                घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।

Sunday, 18 March 2012

जिन्दे जी जूते मारे

मात पिता के मरें बाद आंसू टप काके के होगा 
जिन्दे जी जूते मारे फेर फूल चढ़ा कै  के होगा  
कहना मान्या  नहीं कदे फेर तिलक लगाना ठीक नहीं 
छुए कोन्या पैर कदे फेर शीश झुकाना ठीक नहीं
राखे सदा अँधेरे मंह फेर दीप जलाना ठीक नहीं 
नाक चढ़ा कै रोटी दी फेर पिंड भराना ठीक नहीं 
बिछुड़े बाद बडाई करते बेटे पोते देख लिए 
कर कर याद लाड बचपन के पाछै रोते देख लिए 
पितरं खातर गंगा जी महँ लेट गोते देख लिए 
लगी हुयी कमरयों  मैं फोटू मॉल मॉल धोते देख लिए
 रहे तड़पते वस्त्र बिन फेर शाल उदा कै के होगा ||
काढ़े दोष सदा जिनके फेर पाछे तैं गुण गावैं सें
दुखी करे जिन्दगी भर फेर मंदिर मैं पत्थर लावें सें 
घूर घूर देखनिये फेर फोटू पै ध्यान जमावैं सें 
सदा उछाली पगड़ी फेर पगड़ी की रस्म निभावैं सें 
दुःख मंह करी नहीं सेवा फेर पेहवे जाकै के होगा ||
करल्यो जिन्दे जी सेवा या अच्छी क़िस्मत थारी सै 
आशीर्वाद मिले दिल तै जो बेटा आज्ञाकारी सै 
खुद अपनी सन्तान भला ना लागे किसने प्यारी सै 
कोए अमर ना रहया जगत मैं आखिर सब की बारी सै 
ज्ञानी राम दो हर्फी कह दी ढोल बजा कै के होगा ||
ज्ञानीराम शाश्त्री जी 
"हरयाणवी लोकधारा प्रतिनिधि रागनीयाँ "