Wednesday, 4 June 2025

आज की रागनी

इस पाले का कै उस पाले का माणस जो मारया जावै।।
मानवता के माथे पै कलंक दोनों काँहीं  का आज आवै।।
1
आहमी  साहमी  बैठ कै नै संकट मोचण होना चाहिए
कोई भी हो मामला भाई युद्ध नहीं कदे भी
झोना चाहिए
आतंकवाद को बढ़ावा  देना मानवता नै सारे कै ढावै।।
2
आपरेशन सिंदूर नै देश की कहैं‌ श्याम खूब बढ़ाई देखो
भारत नै सोच समझ कै पहलगाम की काट बनाई देखो
एलओसी पै के होरया आम देशवासी नहीं समझ पावै ।।
3
दोनों देशों मैं बेरोजगारी नै कसूता धूमां यो ठा राख्या 
महंगाई सिर चढ़ कै बोलै दोनों काँहीं फ़तूर मचा राख्या
ये बात दोनों काँहीं का शाषक  जनता तैं छिपाया चाहवै ।।
4
युद्ध तो हों मानवता के दुश्मन इतिहास बतावै देखो
हिटलर नै नाश करया हीरोशिमा नागासाकी रुलावै‌ देखो
रणबीर कहै दुनिया कद बात ये दिमाग मैं अपने लियावै।।



21***40
 जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
1
दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं
भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं
फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं
दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं
जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
2
जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी
कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी
काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी
मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी
जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
3
ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो
मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो
गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो
जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो
इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
4
ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज
गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज
ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज
ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज
काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
5
जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई
गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई
टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई
म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
6
सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख
एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख
दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख
या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख
म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

22****
 *चलो जींद ठाइस मई नै भाई बहनों हुड्डा मैदान बुलावै सै।।*
*एसकेएस बहरी सरकार के आज कान खोल्या चाहवै सै।।*
1
पुरानी पेन्सन बहाल करो मिलकै आवाज लगाई देखो
ठारा महिने के बकाया डीए उसकी भुगतान चाही देखो
*संघर्ष का रास्ता अपना कै यो सरकार कै सांस चढ़ावै सै ।।*
2
आठवां वेतन आयोग करो या मांग जोर लाकै
ठाइ रै
कच्चे कर्मचारी सारे पक्के करो या मांग जरूरी बताई रै
*घणे दिनों तैं सड़क पै आकै नै संघर्ष की बिगुल बजावै सै ।।*
3
हरियाणा की सरकार निजीकरण करती नहीं शर्मावै देखो
कॉर्पिरेट की चांदी करदी कर्मचारियां नै कति रंभावै देखो
*निजीकरण इलाज संकट का कैह कै जनता नै भकावै सै।।*
4
किसान,जवान पहलवान कर्मचारी सबनै पढ़ण बिठावैगी या
जन आंदोलन की हुंकार इसका मुकाबला कर पावैगी या
*रणबीर की कलम भी आंदोलन की कविता बनावै सै।।*

23*****
 भटेरी गांव की भंवरी बाई, संघर्ष की जिनै राह दिखाई,सारे देश मैं छिड़ी सै लड़ाई, साथ मैं चालो सारी बहना।।
1
साथिन भंवरी नहीं अकेली हम कसम आज उठाते सारे
बाल विवाह की बची बुराई इसके खिलाफ जंग चलाते सारे
जालिमों की क्यों ज्यान बचाई, कचहरी क्यों मदद पै आई, सब छिपा रहे हैं सच्चाई,भंवरी साथिन पुकारी बहना।।
2
देकर झूठी दलीलें देखो बलात्कारियों को बचाते क्यों
परम्परा का ढोंग रचाकर असल सच्चाई को दबाते क्यों
भंवरी ने सही आवाज उठाई,जुल्मी चाहते उसे दबाई,समझ गई भरतो भरपाई, भंवरी नहीं बिचारी बहना।।
3
इस तरह से नहीं झुकेंगी जुल्मो सितम से टकरायेंगी
परम्परा की गली सड़ी जंजीरें आज हम तोड़ बगायेंगी
भटेरी ने नई लहर चलाई, समता की है पुकार लगाई, जयपुर में हूंकार उठाई, यह जंग रहेगी जारी बहना।।
4
फासीवाद का खूनी चेहरा इससे हरगिज ना घबरायेंगी
आगे बढ़े हैं कदम हमारे हम नया इतिहास बनायेंगी
रणबीर सिंह ने कलम चलाई, अपने डिक्ल की बात बताई,सच की हुई जीत दिखाई, ना सेखी है बघारी बहना।।

24****
 म्हारा समाज 
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
आंधी गली मैं बड़गे लोग इस चिंता नै आज खा लिया।
1
घर घर देखां घणा कसूता माहौल हुया सै सारे कै
शहर गाम देश दुनिया ब्लड प्रेसर हुया हुशियारे कै
लग्या टपका चौबारे कै माणस घणा काल पा लिया।
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
2
रोज माणस भित्तर तैं टूटै इसा जमाना आन्ता जावै 
घर बाहर भाण बेटी की इज्जत पै हाथ ठान्ता पावै
और तले नै जान्ता जावै बदमाशी नै कब्जा जमा लिया।
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
3
दारू पीकै पड़े रहवाँ हमनै शर्म लिहाज ना कोये 
ताशां पै बैठ करां मशखरी कहवाँ इलाज ना कोये 
दीखै सही अंदाज ना कोये खापां नै मजाक बना लिया।
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।
4
रिश्वत की कमाई भूंडी फेर भी इसको स्वीकार लिया 
दहेज नै बीमारी बतावैं सारे फेर बी क्यों चुचकार लिया
विरोध कर ना इंकार किया रणबीर फेर औड़ आ लिया। 
एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

25****
 नई सदी के खूनी कीड़े 
नई सदी के खूनी कीड़े गुलाम बनाया चाहवैं बेबे ।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
1
ट्रेक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै देखो
हार्वेस्टर की कटाई मारै भा गिहूँ का ना थ्यावै देख़ो
म्हारे कष्टों का दोषी ये हमनै ठहराया चाहवैं बेबे।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
2
पाणी खाद बिजली पै ये सब्सिडी खत्म सारी क्यों
ये सारी चीज महंगी होगी सस्ती फसल म्हारी क्यों 
देशी बिदेशी मिलकै लूटैं बात छिपाया चाहवैं बेबे।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
3
सच की बूझ रही कोण्या झूठ का होग्या राज आड़ै
प्यार पै वासना छागी खत्म हुये सही अंदाज आडै 
महिला कितै महफूज नहीं इनै बोच दबाया चाहवैं बेबे।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।
4
क्युकर ज्यान बचावां अपणी जीणा होग्या दुश्वार सखी
सुख दुख हारी बीमारी का मिलै कड़ै यो उपचार सखी
रणबीर गैल मिलकै गीत आज नया गाया चाहवैं बेबे ।।
ये हमनै निहत्थे करकै नै तीर चलाया चाहवैं बेबे।।

26*****
 आज हम देखें औरत की जो सही तस्वीर सखी।। 
दिया समाज ने जो हमें उसको कहती तकदीर सखी।। 
घर में खटना पड़ता मर्दों की नजर में मोल नहीं औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं 
करती हम मखौल नहीं हमारी हालत है गंभीर सखी।।
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना 
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना 
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी।।
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधवा का व्यवहार यहां 
खाना दोयम कपड़ा दोयम मिले सारा दोयम संसार यहां 
करोड़ों महिला बीमार यहां इलाज की नहीं तदबीर सखी।।
अहम फैंसले बिना हमारे मरद बैठ कर क्यों करते देखो 
जुल्म ढाते भारी हम पर नहीं किसी से डरते देखो 
हम नहीं विचार करते देखो तोडे़ं कैसे यह जंजीर सखी ।।
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको 
सदियों से सहती आई समझें राम का मेल इसको 
क्यों रही हो झेल ईसको मसला बहोत गम्भीर सखी।।
सदियों से होता ही आया पर किया मुकाबला है हमने 
सिर धड़की बाजी लगा नया रास्ता अब चुना है हमने 
जो सपना बुना है हमने होगा पूरा लिखे रणबीर सखी।।

27*****
 पांच छह नर्सें मिलकर एक समूह गान गाती हैं।

तर्ज– झूठी शरम की चादर फैंको

टेक– बिना संगठन इब नहीं गुजारा हो जाओं तैयार सखी।।

शोषण क्यों होता है म्हारा करना सही विचार सखी।।

मरीजों का आज नहीं होता सही सही इलाज यहाँ

मरीज चिल्लाते रहते हैं ना सुणता कोए आवाज यहाँ

उदारीकरण के  मन्दिर में इब बलि चढ़ा परिवार सखी।।

स्वास्थय की गलत नीति सैं समझणा बहुत जरूरी हे

बजट घट्या क्यूं आज हमारा के  उनकी मजबूरी हे

बिकती सेहत दिखावैं सबको आज बीच बाजार सखी।।

महिलाओं का हरियाणे में क्यूं होता सही सम्मान नहीं

नर्सों की गिरती हालत पै किसे का भी ध्यान नहीं

सुन्दर समाज का लेवैफ सपना सम्भालों पतवार सखी।।

तेहरा शोषण खतम करै जो इसा समाज बणाणा हे

सही जगां मिलै मानवता को इसा संघर्ष चलाणा हे

हो सै शोषण खतम करण का संगठन ही हथियार सखी।।

28******
 दिन काटे चाहूं
दिन काटे चाहूं मैं ये कोण्या सुख तैं कटण देवैं।।
चुपचाप जीणा चाहूं मैं फेर कोण्या टिकण देवैं।।
1
झाड़ झाड़ बैरी होगे आज हम बरगी बीरां के
मोह माया तैं दूर पड़े फेर दिल डिगें फकीरां के
नामी बदमाश पाल राखे बाबा ना पिटण देवैं।।
अच्छाई के बोये बीज ये जमा नहीं पकण देवैं।।
2
कई बै जी करै फांसी खालयूं इनकै अकल लागै
सहेली बोली मेरी बात मान मत प्राणां नै त्यागै
किसे कै कसक ना जागै हमनै नहीं बसण देवैं।।
आगै बढ़े कदम म्हारे उल्टे हम नहीं हटण देवैं।।
3
बताओ पिया के करूं मैं इणपै तूँ गीत बनादे नै
द्रोपदी चीर हरण गाओ म्हारे चीर हरण पै गादे नै
बणा रागनी सुनादे नै हम तेज नहीं घटण देवैं।।
हरयाणे मैं शोर माचज्या दबा इसा यो बटन देवैं।।
4
गाम के गोरै खड़े पावैं भैंस के म्हां कै ताने मारैं
इंसानियत जमा भूलगे भों किसे की इज्जत तारैं
बिना बात ये खँगारैं हमनै और घणी घुटण देवैं।।
रणबीर सिंह बरगे म्हारी इज्जत ना लुटण देवैं।।

29****
 *युवा का म्हारे देश मैं यो कसूता भूत बनाया रै।।*
*बेरोजगारी बढ़ाते रोजाना जावै रोज भकाया रै।।*
1
शिक्षा का ज़िकरा ना सरकारी स्कूल बंद होते जावैं
सेहत की परवाह कोण्या बीमारी रोज बढ़ती आवैं
*आउट ऑफ पॉकेट खर्चे नै सबकै सांस चढ़ाया रै।।*
2
सुलटे काम मिलते कोण्या उल्टे काम रोज बुलाते रै
पीसा उड़ै दीखै चौखा लाचारी मैं उड़ै युवा जाते रै
*जेलों मैं युवा का नम्बर आज यो बढ़ता पाया रै।।*
3
मानसिक तनाव युवा का हमनै देता दिखाई कोण्या
रोजाना फांसी की खबर होती जमा समाई कोण्या
*फांसी कोए इलाज नहीं संघर्ष इलाज बताया रै।।*
4
जात पात और धर्म के भेद भूलकै एक मंच पै आणा हो
किसान आंदोलन जिसा डेरा रोजगार मांग पै लाणा हो
*कहै रणबीर भगत सिंह नै योहे पाठ था पढ़ाया रै।।*

30******
 इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।।
1
दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं
करैं मौज यहां धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया।।
2
ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं
लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान
3
बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता
लड़ता सरहद पै जवान, वो चांदी महलां मैं कूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान
4
धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी
उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान
5
जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे
बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान 
6
आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार
हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया।।
इब तो जागज्या किसान 
7
सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा
बताणा करे दारू नै गलतान ,भाइयो बोल ना झूठ रहया।।
इब तो जागज्या किसान
 31****
 बाबा साहेब अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म का धारण कर लिया तो कई बार हिन्दू उनको घर वापस आ जाने की बात करते थे तो क्या जवाब होता था बाबा साहेब का, क्या बताया भला:-
बाबा साहेब नै कहया कौनसे घर की बात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
1
जिस घर का सपना हम सबनै दिखलाओ सो 
दुःस्वपन नै सपना कैह दिन रात भकाओ सो 
यो थारा घर का सपना जानवराँ नै भी मात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
2
घर इसा बनाया परिवार नहीं कट्ठा हो खावै
कुछ की झूठन घर मैं भोज बाकी का बणज्यावै
इसे घर नै के चाटें  रोजाना जड़ै उत्पात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
3
म्हारे समाज मैं यो सब कुछ न्यारा न्यारा देखो
कुआँ न्यारा भांडे न्यारे न्यारा सबका हारा देखो
यो घर जड़ै तूँ ठाली बाकी मिलकै खुभात करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।
4
घर वापसी चाहो सो लालच देदे कई लाख की
चूल हिलादी परवाह नहीं मानव की साख की
बाबा साहेब की गेल्याँ रणबीर ना दुभान्त करो।।
मनुवाद मजबूत करो चर्चा दिन रात करो।।

32*****
 पढ़ाई लिखाई व्यापार बणादी देश के सरमायेदार नै।
या फीस कई गुणा बधा दी मारे म्हंगाई की रफ्रतार नै।।
1.
 स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं
 कश्मीर तै केरल तक बींधे यो मांस तार लिया सै खाल तै
 चारों कान्ही हाहाकार माचग्या इस आण्डी बाण्डी चाल तैं
 जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तै
 एक चौथाई साधण जुटाओ कहवैं लूटो जनता लाचार नै।।
2. 
यूजीसी कटपुतली बणादी उल्टे नियम बणवाये जावैं
 दो सी बीस फीस थी पहलम तेरां हजार भरवाये जावैं
 दिल्ली यूनिवर्सिटी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जावैं
 बन्धुओ थारी बढ़ी फीस या लेगी खोस कै म्हारी बहार नै।।
3.
 दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत में चलाये सैं
 नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर ये खुलवाये सैं
 इन कोर्सों के रूपये लाखां इन कालजां नै भरवाये सैं
 गरीब बालक माखी की ढालां काढ़ कै बाहर बगाये सैं
 युद्ध कान्हीं ध्यान बंटा कै चाहो बढ़ाना इस भ्रष्टाचार नै।।
4. 
विश्व बैंक के कहने पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै
 उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे नहीं देखे तमनै
 सब्सिडी खत्म गरीबां की बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै
 जनता साथ जान बूझ कै ईब फंसा लिये पेचे तमनै
 रणबीर सिंह की कलम बचावै देश की पतवार नै।।

33****
 मोदी मोदी होरी थी बता के काढ़या मोदी ल्याकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
1
देश गिरवी टेक दिया ये बदेशी कम्पनी बुलाई 
विकास का मुखौटा लाकै अम्बानी नै लूट मचाई
अडाणी खुली लूट मचावै मोदी का ठप्पा लाकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
2
देश का भाई चारा यो करवा कै दंगे तोड़ दिया
कश्मीर मैं किनकी गेल्याँ राज मैं नाता जोड़ लिया
सेकुलर खतरे मैं गेरया हिन्दू का नारा भड़काकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
3
मुजफ्फर नगर मैं मरवाये दंगा इसा फैलाया
कई सौ साल का भाईचारा चंद घण्टे मैं खिंडाया
देशी बदेशी की लूट छिपावै राष्ट्रवाद का नारा ठाकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।
4
कर कटौती हेल्थ बजट मैं गरीब यो मार दिया
शिक्षा मैं अन्धविश्वास का नक्शा पूरा डार दिया 
रणबीर साच्ची बात लिखै अपनी कलम घिसाकै।।
करी धरती खोसण की त्यारी काले कानून बणाकै।।

34*****
 बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार नै।।
अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।
1
फिरंगी की हालत खराब हुई  शुरू पहला वल्र्ड वार हुया 
भारत देश नै करां आजाद अंग्रेजों का यो प्रचार हुया
इसे शर्त पै मदद गार हुया ले सारे घर परिवार नै।।
2
जर्मन चढ़ता आवै लन्दन पै अंग्रेजों नै हाथ फैलाया था
मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै नारा लाया था
रंगरूट भर्ती करवाया था यो देख्या सारे संसार नै।।
3
वायदा करकै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था
काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था
होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी दरबारर नै।।
4
कलकत्ता कोर्ट मैं जज भारतवासी हसन इमाम रै
किलेटन बेहूदे गोरे नै गाली देदी थी सरेआम रै
देश उठ लिया तमाम रै देख फिरंगी अत्याचार नै।।
6.11.1990

35******
 बेमौसम की बरसात हुई है कैसा कहर ढाया है
गेहूं हुआ खराब खेत में मण्डी ने गुल खिलाया है 
मौसम हुआ ठंडा कहते मगर ठंडा हुआ किसान भी 
ख़राब पकी पकाई खेती ढह गए सब अरमान भी 
मन्दी की मार ने मारा आज बरसात ने हिलाया है
किसान कब तक सहे इसको मान किस्मत का खेल 
किस्मत नहीं ये सरमायेदारी ने बनाई उसकी रेल
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते ये मौसम में बदलाव आया है
क्लाइमेट चेंज के दोषी ज्यादा अमीर देश  बताये हैं 
फार्म हाउस गैसों के अम्बार उन्ही ने लगाए हैं 
बेमौसम बादल हुए तो किसान पे संकट छाया है 
किस्मत की बात नहीं  सिस्टम का खेल समझ आया
सिस्टम असली दोषी छिपाये झूठ का प्रपंच फ़ैलाया 
किसान समझ रहा खेल सड़कों पे आके बताया है

36*****
 किसान मजदूर आंदोलन जिंदाबाद
गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
1
कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई
विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई
सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
2
नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे
भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे
छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रीष्टाचारी घास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
3
माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया
बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया
स्कॉच चलै पांच *सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
4
प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै
शरीर बेचकै एश करो बाजार मैं या दौड़ लगी रै
रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का

37*****
 बेमौसम की बरसात हुई है कैसा कहर ढाया है
गेहूं हुआ खराब खेत में मण्डी ने गुल खिलाया है 
मौसम हुआ ठंडा कहते मगर ठंडा हुआ किसान भी 
ख़राब पकी पकाई खेती ढह गए सब अरमान भी 
मन्दी की मार ने मारा आज बरसात ने हिलाया है
किसान कब तक सहे इसको मान किस्मत का खेल 
किस्मत नहीं ये सरमायेदारी ने बनाई उसकी रेल
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते ये मौसम में बदलाव आया है
क्लाइमेट चेंज के दोषी ज्यादा अमीर देश  बताये हैं 
फार्म हाउस गैसों के अम्बार उन्ही ने लगाए हैं 
बेमौसम बादल हुए तो किसान पे संकट छाया है 
किस्मत की बात नहीं  सिस्टम का खेल समझ आया
सिस्टम असली दोषी छिपाये झूठ का प्रपंच फ़ैलाया 
किसान समझ रहा खेल सड़कों पे आके बताया है

38******
 या बढ़गी बेरोजगरी, यो करजा चढ़ग्या भारी, हुई दुखी जनता सारी, महान हुया हरियाणा।
1
म्हारे बालक मरैं बिना दवाई, महंगी होंती जावै पढ़ाई
नाबराबरी साँस चढ़ारी , कारपोरेट अत्याचारी, मीडिया इसका प्रचारी, महान हुया हरियाणा।
2
जात पात मैं बाँटी जनता, विरोध किया तो काटी जनता
किसान की श्यामत आरी, महिला की इज्जत जा तारी, बढ़ती जावै चोरी जारी
महान हुया हरियाणा।
3
झूठे जुमले रोजाना देते,खबर म्हारी कदे ना लेते, 
होंती जा तबियत खारी, जनता हिम्मत नहीं  हारी, शासक हुया भ्रष्टाचारी, 
महान होया हरियाणा। 
4
महिला वंचित सुणल्यो सारे, बिना संघर्ष के नहीं गुजारे
लड़े हैं जीत हुयी म्हारी, जीतैंगे भरतू  भरतारी , यो रणबीर म्हारा लिखारी, 
महान हुया हरियाणा ।

39*****
 अपने नेता सही छाँटियो सोच समझ कै भाइयो
हांडें फ्राड भकाते इनके मत बहका मैं आइयो
1
इन भ्रष्टाचारी लुटेरयां तैं आज देश बचाना सै
अत्याचारी दरिंदयां का नहीं साथ निभाना सै
बोट का इस्तेमाल क़रण मैं नहीं धोखा खाणा सै
साफ और सुथरा अपने देश का राज बनाना सै
जो बणै हितैषी गरीबों का उनै जरूर सफल बनाइयो।।
हांडें फ्राड भकाते इनके मत बहका मैं आइयो
2
कई आपस के बैर भाव मैं काम करें सैं रिस्की
जित गेरै बोट मेरा दुश्मन मैं बोट नहीं दयूं उसकी
मतना उल्टी जिद्द लाइयो ये बात सैं थारे बसकी
बोट देवण मैं ठाड़े की मत कति माणियों धसकी
थारे हाथ डोर देश की ना भूल मैं धोखा खाईयो।।
3
धन के लोभी लालची ना जनता का कल्याण करैं 

हाथ जोड़कै बोट मांगलें फेर तानाशाही आण करैं
लूट खसोट देश नै खाज्यां पूरी धन की खाण भरैं
फेर मन मान्या राज चलावैं नहीं म्हारी पहचान करैं
भेड़ चाल की रो मैं बहकै मत देश गिरवी धराइयो।।
4
तरहां तरहां की बोली बोलैं झूठा लोभ दिखा कै
अपना स्वार्थ करते पूरा हम सबनै बहका कै
हम आपस मैं बैर बांधां इनकी बहका मैं आकै
थारे भले की कहरया सै यो किशन चंद समझाकै
आच्छा कैंडीडेट छांटकै गीत खुशी के गाईयो।।

40****
 बात पते की 
क्यों दो आंख लेकै भी आंधे हमनै सड़ांध देवे दिखाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
1
ईमानदारी का पाठ पढावें नेता अफसर संसार मैं
इनकम टैक्स  की चोरी करना बालक सीखें परिवार मैं
इस काले धन की बहार मैं दीखे फेर कति सच्चाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
2
ऊपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकं मैं खाते ये
जड़ मैं भ्रष्टाचार पणपै तो क्यूकर हारे रहवैं पाते ये 
इननै चाहियें चिमटे ताते ये इनकी कोए और दवाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
3
साठ हजार करौड़ का कर्जा म्हारे देश के अमीरां पै  
सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढी लकीरां पै
हम खंदाये संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।
4
दारू सुल्फा नशा खोरी हमतैं  इनकी राही पकड़ा दी
बिना सोचें समझें हमनै भकड़ बाल कै नै दिखा दी 
रणबीर सिंह नै छंद बना  दी या साच जमा छिपाई ना ।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।


किसान की हालत देख कै कालजा धड़के  म्हारा रै।।
इसके  संघर्ष मैं साथ निभाना फर्ज म्हारा थारा रै।।
1
उनके बालक भूखे मरते जिणनै खेत खूबै कमाये
बिना दूध सीत रहवैं सैं जिणनै डांगर खूब चराये
सिरकी घाल करैं गुजारा जिणनै ताज महल बनाये
तन पै उनके लत्ता ना जिणनै कपड़े के मील चलाये
सरकार कती विरोधी होरी  करती नौ दो ग्यारा रै।।
2
जितना करड़ा काम इसका नहीं सम्मान उतना मिलता
दस नम्बरी मानस जितने उनका हुक्म देख्या पिलता
नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक बी नहीं हिलता
किसान का जमा ख्याल ना अमीर आज यो  छारया  रै।।
3
डांगर की कद्र फालतू माणस बेक़दरा संसार मैं
छोरे की कद्र घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
किसे किसे जुल्म होण लागरे छपते रोज अखबार  मैं
माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली बाजार मैं
कति छांट कै इसनै चलवाया महिला भ्रूण पै कटारा रै।।
4
इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे माला माल रहे 
अम्बानी हर नै जाल पूरया चला ये अपनी ढाल रहे 
सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे 
फौज और पुलिस नै बणा रणबीर ये अपनी ढाल रहे
सहीसोच कै संघर्ष नै हिंदुस्तानी किसान चलारया रै।।



***
कुंभ की दुर्घटना 
यूपी अर केंद्र सरकार सच्चाई छिपान्ती हांडैं देखो।।
कुंभ मेले की दुर्घटना पै बेरा ना के के ये 
बांडैं देखो।।
1
एक हादसा फेर दूजा हादसा जनता हुया बतावै भाई
कितने लोग मारे गए उडै़ नहीं संख्या पूरी गिनावै भाई
सरकार अर अफसर आंकड़े झूठ मूठ के 
मांडैं भाई।।
2

कई चैनल हकीकत बतारे इस दुर्घटना की सारी भाई
कुंभ मेले की या दुर्घटना पूरी दुनिया के मां छारी भाई
सरकार अपने ढंग तैं इस दुर्घटना नै भाइयों 
चाँडैं देखो।।
3
तीस मारे गए सौ दो सौ घायल हुए सरकार बतावै सै 
मीडिया इसतैं न्यारी संख्या वीडियो अंदर दिखावै सै 
जो जनता गई नहावण रौवै खड़ी गंगा के काँडैं देखो।।
4
यकीन पूरा पत्रकार म्हारे साच पूरी सहमी ल्यावैंगे 
कितना दुखड़ा झेल्या वापिस आकै यात्री 
बतावैंगे
रणबीर सिंह भी दुखी हो कै उनके दुखडे़
भांडैं देखो।।

**//
आस बंधी ईब भोर हुई सै शोषण जारी रहै नहीं ।।
लोक लाज तैं राज चलै ईब रिश्वत भारी रहै नहीं ।।
1
रिश्वतखोर मुनाफाखोर की सवर्ण तिजूरी नहीं रहै 
चेहरा सुखा मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै 
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
शरीफ बसैंगे ऊत मरैंगे या झूठी गरूरी नहीं रहै 
फूट गेर कै राज करो फेर इसी बीमारी रहै नहीं।।
2
करके माफ हौज्यांगे साफ चालैगा दौर कमाई का
बेरोजगारी भत्ता कपड़ा लता प्रबंध होवै दवाई का
पेंशन होज्या सुख तैं सोज्या मौका मिलै पढ़ाई का
जच्चा बच्चा होज्या अच्छा हो सम्मान लुगाई का
मीठा पानी चालै नल मैं पाणी खारी रहै नहीं।।
3
भाईचारा सबतैं न्यारा नहीं कोए धींगताना हो
बदली खातर ठाकै चादर ना चंडीगढ़ जाना हो
हक मिल्जया घीसा घलज्या सबनै ठोर ठिकाना हो
सही वोट डलै ना नोट चलै सीधा आना जाना हो
हम सबनै नारा लाया सै यो भ्रष्टाचारी रहै नहीं ।।
4
पढ़कै सोगे चाले होगे कोन्या कुछ भी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै बुक मार कै रोवैगा
नया मदारी करै हुशयारी हमनै बेच कै नै सोवैगा 
चौकस रहियो मतना सोइयो कटेगा जिसे बोवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।




ट्रंप थारे लोक राज का फुटया ढारा देख लिया।।
विदेशियों को भगाओ का लाया नारा देख लिया।।
1
भारतीय करते ज्यान खपाई ट्रंप अमरीका थारे मैं
इननै ज्यान की बाजी लाई ट्रंप अमरीका थारे मैं 
क्योंना इनकी साथ निभाई बुरा नजारा देख लिया।।
2
घोर विरोध करणीया नै जेलों मैं सुन्या सै डालोगे
ठीक नहीं जो बादशाही की राही पै थाम 
चालोगे
मीडिया कै लगाम घालोगे खेल थारा देख लिया।।
3
रक्षक बणकै  भक्षक आगे जनता समझ ना पाई
नेग जोग भिड़ा करकै हटकै थामनै कुर्सी हथियाई
विदेशियों की होगी खिंचाई चढ़्या पारा देख लिया।।
4
सब किमै निजीकरण की क्यों भेंट चढ़ाया चाहवै 
देशी बदेशी का रगड़ा जान बूझ कै बढ़ाया चाहवै
रणबीर फ़तूर मचाया चाहवै खेल सारा देख लिया।।



/////
धमकी कितनी ए देल्यो थारी कोन्या पार जावै ।।
म्हारी एकता तोड़ण की चाल सफल ना हो पावै ।।
1
महिला पुरुष खिलाड़ी ये म्हारे देश की शान
यौन शोषण करकै नै हुए बहोत घने परेशान
खिलाड़ी देश का ये मान इननै सांसद क्यों धमकावै।।
2
इननै ये झेलनी पड़ती मुश्किल बहोत तमाम
ओलंपिक मैं पदक जीतकै करते ऊंचा नाम
प्रैक्टिस करते सूबो शाम तंगी मैं भी कदम बढ़ावै।।
3
महिला खिलाड़ी की राह और मुश्किल बताई
यौन शोषण की तलवार  मचाती जीवन मैं तबाही
नहीं होती कि सुनाई किसनै या दुखड़ा बतावै 
4
कितै संदीप सिंह मंत्री कितै बृजभूषण सतारे
कितै सुनाई कोन्या होरी जंतर मंतर पै धरना लारे 
फुटपाथ पै रात बितारे रणबीर इनका साथ निभावै।।






बीस साल पुराना दूरदर्शन क्यों हिसार तैं ठवाया  रै।।
क्यों लेगे चंडीगढ़ इसनै नहीं कोए कारण
बताया रै।।
1
एकला केंद्र हरियाणे का एक नवंबर दो नै शुरू करया 
सुषमा स्वराज जी नै देवीलाल जी को डेडीकेट करया
प्रसार भारती नै हुक्म भेज्या  चाहवै थी शिफ्ट कराया  रै।।
2
रेगुलर कर्मचारी जो इसके चंडीगढ़ का राह दिखाया
कुछ भेजे औने पौनै इनके जी नै घमासान मचाया
एक दम पड़या हिसार छोड़ना पसीना खूब ए आया रै।।
3
घणे डेलीवेज कर्मचारी घर का रस्ता दिखा दिया  रै
दुखी होकै उननै हिसार मैं धरना यो लगा
दिया  रै
उल्टा आवै हिसार के मैं सबनै यो नारा गुंजाया रै।।
4
एक दूरदर्शन केंद्र भी बर्दाश्त हुया नहीं सरकार कै 
सारा हिसार थूक्कण  लागरया इसके इस व्यवहार पै
बात सही यो रहवै हिसार मैं रणबीर ज्यां कलम घिसाया  रै।।





26 जनवरी 2025 किसान मजदूर ट्रैक्टर मार्च 
मजदूर किसान मिलकर के लुटेरों से आज टकराएंगे।
ट्रैक्टर मार्च निकाल कर ताकत अपनी हम दिखलाएंगे। 

जितना दबाओगे आप हमें इतना जोश बढ़ेगा हमारा 
एकता हमारी मजबूत होगी जुलम हारेगा तुम्हारा 
चैन खोस लिया हमारा अब हम सबक सिखाएंगे।।
2
तुम्हारी लाठी गोली जो चले उनसे नहीं घबराने के  
हमारा संघर्ष जोर पकड़ेगा उल्टे कदम नहीं हटाने के 
लुटेरे फिर नहीं टोहे पाने के नारे मिलकर लगाएंगे ।।
3
किसानी एकता तोड़ने  को हिंदू-मुस्लिम लाए हैं 
जाति धर्म गोत नात पर चाहते जनता को लड़ाए हैं 
कितनी झूठ भकाए हैं हम सब खोल के बताएंगे।।
हिंदुस्तान के नर नारी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई 
इनकी एकता के सामने ना होएगी तुम्हारी सुनाई 
रणबीर करे कविताएं दुनिया में अलख जगायेंगे।।

चमन भाई क्यों रोवै ढूंढा लीलो नै चाल हिम्मत मतना हारै तू रोवण की कर टाल



"""
करया घोषणा पत्र जारी इलेक्शन का बम।।
झूठे गोले गिरड़ावै है मनै लगै सच्चाई कम।।
1
कोए कहै मनै जिता दयो करूं दूर समस्या थारी
कोए कहै दयूं लवा नौकरी मिटज्या बेरोजगारी
थारे गाम बणा दयूं शहरां केसे इज्जत बढ ज्या थारी
कोए कहै उद्योग खोल दयूं सीख लियो दस्तकारी
नहीं भका कै झूठे साच्चे वायदे करते हम।।
2
कहै कर दयूं मौज थारे ख़ेताँ मैं पानी चक्कर काटै
थारे बिजली के बिल माफ करा दयूं जब मेरा बेरा पाटै
कोए कहै मैं थारा हितैषी मत वोट देवण तैं नाट
कोए देसी दारू के भर भर कट्टे जनता के मां बांटै
आज बणे सपोर्टर ग़ामाँ के मां पी पी कै रम।।
3
कोए कहै थारे बुढ़यां के मैं सब रंग ठाठ करा दयूं
कोए कहे थारी पोली के म्हां मूढ़े आठ धरा दयूं
कोए कहै थारे घर की सारी टूटी खाट भरा दयूं
कोए कहै दियो साथ मेरा बना मुल्की लाट सराह दयूं
किसे तैं भी पाटै कोन्या ईसा गाड़ दयूं खम्ब।।
कोए कहै दयूं लवा घरां मैं थारै पाणी की टूटी
थारै गैस सिलेंडर लगवा दयूं हो चूल्हयां की छुट्टी
सुणले ताऊ कान खोल कै मेरी बात नहीं सैं झूठी
दयूं बीरां खातर बना पखाने नहीं हांडैं उठी उठी
इसतें आगै छोडूं कोन्या किसे बात का गम ।।
5
म्हारे राज मैं सारे भाई लियो मौज और मस्ती
थारे घरां मैं बरतन आली सब चीज करा 
दयूं सस्ती
थारी पक्की गली शिवर लगवा दयूं गंदी रैह ना बस्ती
थारे कामां नै कौन रोक दे रणबीर किसकी हस्ती
जीते पाछै काम करण मैं तोड़ दयूं कलम।।
6
सब वोटां के गरजू सैं ये किसका काम 
करावैं 
इब फंसी मैं हां भररे फेर पाछै आंख 
दिखावैं 
मतलब लिकडे़ पाछै तै ये भाजे कोन्या थ्यावैं
तोते के ज्यूं आंख बदलज्याँ कति नहीं शरमावैं 
फेर कोठी कै मां बैठे देखैं मौज तैं फिल्म।।
7
झूठे भाषण देहरे सैं ये कति नहीं शरमाते 
जीते पाछै फेर आप कै कोन्या शक्ल 
दिखाते
ये ईबै मीठे बोलैं सैं फेर बणैं भिरड़ा के छाते
सब झूठे लोभ दिखाकै म्हारे सहम बांधरे बाते
कहै किश्न चंद इनकी बातां मैं कोन्या लाग्या दम।।
**/***//
चौबीस का हिसाब लगा कै पच्चीस की करां तैयारी।।
खूब खाल तारी चौबीस मैं पच्चीस की लड़ाई भारी।।
1
म्हारे हाथ बांध कै  देखो बनाए कति बेकार चौबीस मैं
म्हारे दिमाग कर काबू तीर चलाए बेशुमार चौबीस मैं
बढ़ा महंगाई चौबीस मैं करी दुर्गती देखो खूब म्हारी।।
2
कहया ना सोचो ना सवाल करो जयजय कार करो
जात धर्म और इलाके की बात म्हारी थाम  स्वीकार करो
पच्चीस मैं लागै सै जनो या फुट जावैगी और उभारी।।
3
लोक तंत्र के मलबे पै खड़या करना चाहया था निजाम
फरक झूठ और साच का मिटाना चाहया था तमाम
पच्चीस मैं लोकतंत्र तैं और दिवावैंगे ये कसूत उडारी।।
4
हिंदू राष्ट्र का नारा और जोर तैं पच्चीस मैं लगावैंगे ये
जात धर्म इलाके पै लड़वा मनुवाद और बढ़ावैंगे ये
रणबीर कठे हो करो संघर्ष या बहुविविधता आज पुकारी।।




*****
घणी दुखी करी  बहना इस छोटे से परिवार नै।।
कड़ तोड़ कै धरदी मेरी बालकां की पुकार नै।।
1
जिस घर मैं थोड़े बालक सुन्या आच्छा घर हो सै
पढ़ना लिखना हो बढ़िया ना करके का डर हो सै 
क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं नर हो सै
मदद करैं एक दूजे की पर मुश्किल या डगर हो सै
इतना ध्यान करया फेर भी दुखी करी करतार नै।।
2
पांच बालक जामे थे मनै आज तीन इब आगै सैं
नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं सैं
आस पड़ोसी देख यो सब बोल घणे कसूते दागैं सैं
सारे कमा कै ल्यावां सां पर म्हारे भाग ना जागैं सैं
बड्डा कुन्बा साहरा देंता मैं समझाऊं अपने भरतार नै।।
3
मनै चिंता रहवै रोजाना बेबे इनकी पढ़ाई की
सेहत ठीक कोन्या रहती पड़ती मार दवाई की
साफ सुथरा मकान हो चिंता पानी सप्लाई की
घरां काम बाहर छोटी नौकरी औटूं डॉट थारे जमाई की

बालक टी वी नै चूंघैं  मार दिए चैनलों की मार नै।।
4
पड़ौसन का बड्डा परिवार उनकै बात काबू ना आई
छोटे बड़े  का ना रोला विकास मैं या रोल बताई
मेहनत के फल का ठीक बंटवारा ना देता सही दिखाई
माणस का माणस बैरी औरत जावै घणी सताई
अडानी बार्ज खोस कै लेगे सारी म्हारी बहार नै।।
5
जनसंख्या का रोला कोन्या इस कारण ना दुख म्हारे
म्हारे दुखों का कारण दिखैं जिंदगी के ये बंटवारे 
इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै ये मारे
विकास का बेढ़ंगा तरीका इसकी असल ये छिपारे 
बेबे बैठ कै सोचां क्यूकर करां सुखी हम घरबार नै।।
6
ईसा विकास हो देश मैं जिसमें सही बंटवारा हो
प्यार बढै़ आपस मैं ना भाई का भाई हत्यारा हो
बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारा सुखी हर गलियारा हो
जनसंख्या समस्या ना दिखै सबके घर उजियारा हो
फेर परिवार नियोजन की ना जरूरत हो सरकार नै।।
******
गरीबी अनपढ़ता बेरोजगारी माणस की करतूत बतावैं रै।।
माणस करया माणस का बैरी  अभाव अर  दुख दिए जतावैं रै।।
1
बाजार मैं खागड़ठा सूने छोड़ दिए एक दूजे नै ठाठा पटक रहे
बछिया बाछड़े रंभाते हांडैं इनके खुरों मैं पड़े सिसक रहे
इंसानियत तैं जमा खिसक रहे हैवानियत का साथ निभावैं रै।।
2
 विज्ञान पै कब्जा जमाकै मुनाफे खातर इस्तेमाल बेईमान करैं
मानव सुख पढ़ण बिठाया खर्च हथियारों पर बेउनमान करैं
मानवता का नुकसान करैं विज्ञान नै विनाश राही चलावैं  रै।।
3
मानवता के हित मैं जिस दिन ज्ञान विज्ञान खड़या दिखैगा
उस दिन दुनिया का सबनै कायाकल्प चौडै़
पड़या दिखैगा
समाज नहीं सड़या दिखैगा मिलकै प्यार की पींघ बधावैं  रै।।
4

माणस माणस के बीच की असमानता फेर दूर जरूर होवैगी 
राष्ट्र राष्ट्र के बीच की फेर रणबीर कहवै दूर ग़रूरी होवैगी 
फेर आबाद आडै़ अंगूरी होवैगी ईमानदार दुनिया मैं छावैं रै।।








किसानों का संघर्ष और तेज करने का शमों आया।।
दूसरे कमेंरे तबके साथ ले पूरे देश मैं बिगुल बजाया।।
1
इस पार्टी या उस पार्टी का नहीं यो मामला कहते हैं 
कॉर्पोरेट और सांप्रदायिकता इसकी मार हम सहते हैं
सिस्टम का मालिक कॉर्पोरेट यो लुटेरा असल बताया।।
2
शिक्षा बेची स्वास्थ्य बेच्या सब कुछ बेच रहे आज
निजीकरण की लहर फैलाई झूठ को सच कहे आज
आमजन के जीवन पर संकट आज गहरा है छाया।।
3
अमरीका से दोस्ती देश की मीडिया पूरा उछाल रहा
असल मातहती अमरीका की छिपाने का कर कमाल रहा
बातों बातों में देश को आज आसमान पर पहुंचाया।।
4
रणबीर बहुविविधता देश की पूरी दुनिया करे बड़ाई 
एक देश एक पहचान इस पर छेड़ी गई क्यों लड़ाई
बहुविविधता हार नहीं मानेगी संघर्ष का बिगुल बजाया।।




किस्सा अजीजन बाई
क्रांतिकारी पूरी के दिखूं सूं जमूरी मेरी बात ना अधूरी, जानू सूं सबकी बातां नै ।।
तूं मलखान इसी बात राहण दे 
मनै अपनी राही पै जाण दे
लाण दे भीतर घात, म्हारी बीरां की जात   
 काटां नाच गा कै रात मिलां रोज पांच सातां  नै।।
हम कोठे कै ऊपर बिठा दी 
म्हारी करी सै घनी बर्बादी 
मचादी सै हाहाकार ,जुल्मी सै सरकार करै सै अत्याचार ना देखै दिन रातां नै ।।
भेष बदल लड़ी जंग मैं
 रंगी थी क्रांति के रंग मैं 
ढंग मैं चलाए सही निशाने लाये अंग्रेज थे घबराये छेड़  भिरड़ां के छात्यांं नै
 कानपुर की ईंट तैं ईंट बोलै 
अजीजन बाई उड़े कै डोलै
घोले मिठास वा, धारै अहसास वा लिखे इतिहास वा रणबीर के खात्यां मैं।।

*********
अंग्रेजों के राज में एक गरीब की पुकार 
फिरंगी के दरबार मैं भूखा खड़या सतबीर चावल घाल दे मेरै ।।
म्हारी बीत रही दुख की घड़ी 
साथ मेरी घरवाली भी खड़ी 
पड़ी हुई या बेकार मैं दुखकी काट दे जंजीर जै कुछ रहम हो तेरै ।।
नई नीतियां करकै भुगत रहे 
कर क्यूकरै हम जुगत रहे 
सुबक रहे सां  लाचार हम मरती जा जमीर मतना कूंए के मैं गेरै ।।
मुसीबत मैं परिवार मेरा चारों और सै अंधेरा लुटेरा ना सरकार मैं भोजन मांगै सै शरीर  सुबह शाम और सबेरै ।।
सुन्या तुम बड़े दयावान 
अव्वल दर्जे के इंसान 
सम्मान ना व्यवहार मैं जान गया रणबीर क्यों चारों कान्हीं तैं घेरै।।
******


****/
सल्फास की गोली दुख में बेटा काल सांझ नै खाग्या।।
देखी जब हालात उसकी मनै ठोड़  तिवाला खाग्या।।
 मेडिकल मैं बोले छोरा ब्रॉट इन डेड सै थारा यो 
पुलिस केस बणग्या सारा दिन घुलग्या म्हारा यो
 चौबीस साल का गाभरू था घर मैं अंधेरा 
छाग्या।।
एमएससी में मैरिट साथ क्लास पास करी उसनै 
धक्के खानता हांडै था फॉर्म बीसमी बार भरी उसनै 
मैरिट हुई सिफारिश दूजा तो पिस्सा रंग दिखाग्या ।।
 क्याबन  हजार माला घाल नेता तैं पकड़ाए थे
सिफारिश की खातर खूब हाथ पैर चलाए थे 
तेरा नाम नहीं ट्रिब्यून मैं उसका दोस्त या सुनाग्या।।
रिजल्ट सुन बेटा मेरे कान्हीं लखाया था रणबीर देख चेहरा मेरा दिल घबराया था 
मैरिट की बात कति थोथी मेरा बेटा मनै बताग्या।।

**//***
चारों कान्हीं तैं  ख़ावण लागरे  क्यों देता कति दिखाई कोन्या।।
 म्हारी सारी कमाई कित जावै हमने सवाल उठाई कोन्या ।।
कमा कमा कै अपने खेत मैं कर लिए हाड काले आज 
हालत म्हारी बदली कोन्या क्यों भक्षक बने रूखाले आज 
चौड़े मैं लई लूट कमाई म्हारी टोही सही दवाई कोन्या।।
ये लूटैं बन कै जात चौधरी हम आंख जमा मूंद रहे
भर राखी जात कै कोली इस मैं हम मुक्ति ढूंढ रहे
ढेरयां आला सै जात कुड़ता म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
अपनी अपनी जात्याँ के चौधरी मुट्ठी भर तो ऐस करैं 
म्हारे बालक सल्फास खाकै बिन आई ये मौत मरैं
खान लागरी दीमक की ढालां चाहवै जात भलाई कोन्या।।

 इसने हमारी एकता तोड़ दी न्यारे न्यारे हम घूम रहे 
जात-पात गोत के नारयां पै पीकै दारू हम   झूम रहे 
रणबीर बराने आले की समझी कदे कविताई कोन्या।।
*****
हमारी मेहनत के दम पर अमीर होने का खेलते खेल
इसके सहारे अदानी अंबानी ने हमारी है बनाई रेल



सुनल्यो नै ध्यान लगा कै, एक बै देखो नजर घुमा कै, शरीफ लोगों नै जितवा कै, अपना विकास सही करां ।।
1
बढ़िया से एमएलए बना कै चैन मिलै गरीबां नै
काले धन नै मुश्किल होज्या चैन मिलै शरीफां नै 
ज्ञान विज्ञान की यही पुकार, बराबर हों सब नर नार , या दी हरियाणे मैं ललकार ,अपना विकास सही करां ।।
2
बदेशी कंपनी अर  देशी ये मिलकै नै लूट रही रै
किसे की काबू की ना जन सांड मरखना छूट रही रै
म्हारी एकता नाथ घालदे,उनका पकड़ चोर माल दे,या गरीबां नै देख भाल दे,अपना विकास सही करां ।।
3
महिलावां का दोयम दर्जा गलत विकास के कारण सै 
गरीब देशों के सिर कर्जा गलत विकास के कारण सै 
नहीं होसै हरजा सुनने मैं, सोच समझ कै गुणने मैं, यो सही मानस चुनने मैं,अपना विकास सही करां ।।
4
हरियाणे  की  विधान सभा मै़ं  सारै ईमानदार ल्याने हों
इसके बिना सुनल्यो बालक बिन जुतयां के उभाने हों
खींची सै सही तस्वीर देखो, लिखने आला रणबीर देखो, काढ़ी सै नई लकीर देखो, अपना विकास सही करां।।


******
हरियाणे में बेरोजगारों की आज लार क्यों बढ़ती जावै।।
बेरोजगारी की बढ़ती झोल ढाल ढाल के नशे मैं धक्कावै।।
1
बिन ब्याहे  नौजवानों की बढ़ी संख्या आज बता`वै` भाई
बिहार अर दूजे प्रदेशों तैं बहू खरीद खरीद ल्यावैं भाई
गाम शहर का माहौल यो नौजवानों की मुसीबत बढ़ावै।।
2
दारू और नशे तैं घर तो आज कोए नहीं बच्या देखो
बाबू की बोतल बेटा टोहवै बेटे की तैं बाबू 
खस्या देखो
सरकार भी नए नए देशी अंग्रेजी की ठेके आज खुलवावै।।
3

घर गली मोहल्ले का माहौल भिडंत का यो पावै देखो
गोली चला मारया ढाल ढाल की खबर रोज
आवै देखो
राजपाट का बड़ा हिस्सा  बदमाशों की आज मेर कटावै।।
4
नशे का व्यापार यो अमरीका जोर शोर तैं चलारया सै
विकासशील देश घेर लिए मीडिया भी बात छुपारया सै
यो रणबीर सिंह बरोने आला सोच समझ कै नै छंद बनावै।।






*****
थारी हिम्मत नै सलाम सारा देश देवै सै विनेश बधाई।।
 सिल्वर मेडल ताहीं पहोंची कई तरीयां की लड़ी लड़ाई।।
1
विनेश फौगाट हर नै जंतर मंतर पै डेरे लगाए थे
पहलवानों के हकों की खातर धरने ऊपर आए थे
सरकार और बृजभूषण की ना थी कति पार बसाई।।
2
बड़ी मुश्किल तैं इजाजत पाई पेरिस जावण की
पूरी तयारी करी थामनै उड़ै अपने हुनर दिखावण की
तीन कुश्ती जीत कै फाइनल की खातर कदम बढ़ाई।।
3
चाण चनक सौ ग्राम बोझ फालतू करी डिस्कवालीफाई रै
कोए साजिश सै इसमें जनता नै या मांग उठाई रै
दबाव बनया देश दुनिया का अक यो कैश करो सूनवाई।।
4
CAS की मीटिंग होंवन लागरी देखो के फैंसला होवैगा 
सिल्वर मेडल मिलियो विनेश नै रणबीर छंद पिरोवैगा
विनेश की कुश्ती नै देश की जनता हटकै देखो जगाई।।




चलो रै साथियो सब्जी मंडी इब नहीं घबराणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपना हक जरूरी पाणा सै।।
1
जल्दी करलयो पीणा खाणा
ट्रैक्टर लेकै सब्जी मंडी जाणा
एकता के दम पर हक पाणा
सरकार चाहवै देखो भरमाणा, यो पूरा हांगा लाणा सै।।
2
धरने जलूसों पै हमनै डटकै
कानून वापिस कराए लड़कै
वापिस करने तैं नाटे हां भरकै
फ़ाइल कानूनों की ना सरकै, सरकार का यो भरमाणा सै।।
3
बुलंद होवैं सब्जी मंडी मैं नारे
वापसी कानूनों की ये भुलारे
दुखी किसान मजदूर कर्मी सारे
हम भी नहीं पाछै कदम हटारे, यो एमएसपी लागू करवाणा सै।।
4
संयुक्त किसान मोर्चा बतावै सै
संघर्ष बिना नहीं कुछ थ्यावै सै
मजदूर किसान की साथ आवै सै
रणबीर सिंह कविताई बनावै सै, नहीं पाछै कदम हटाणा सै।।








********
आह्वान 8और 9 जनवरी की हड़ताल क्यों ?
चलो रै साथियो दिल्ली ईब नहीं घबराना सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना सै।।
1
जल्दी करलयो पीणा खाणा 
इस जिसा ना मौका थ्याणा
फेर हमनै ना पड़ै पछताणा
संघर्ष करकै सै हक पाणा, यो पूरा हाँगा लाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाणा सै।।
2
जमा नाट गये देखो हाँ भरकै
धरने जलूसों से इणनै डरकै
मंत्री भकाजया कदे आ करकै
फ़ाइल फेर जमा नहीं सरकै, रोज का ही फरमाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाणा सै।।
3
बुलंद होवेंगे दिल्ली में नारे
निजीकरण नै घाले सैं घारे
घणे दुखी मजदूर कर्मी सारे
ठेकेदारी प्रथा सारे कै ल्यारे, मिलकै पाठ पढ़ाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना सै।।
4
संघर्ष बिना नहीं सै गुजारा
दिल्ली चालां हजारों हजारां 
सरकार हैरान हो देख नज़ारा
रणबीर लिखता साथी म्हारा, ना पाछै कदम हटाणा सै।।
संघर्ष के दम पै हमनै अपणा हक पाना सै।।


********
*छब्बीस जनवरी की रैली लाखां किसान आये देखो।।*
*काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।*
1
ट्रैक्टर ले आये रैली मैं पूरी पूरी तैयारी करकै
बहोत घणे पहोंचे दिल्ली गाड्डी मैं तेल पूरा भरकै
*ट्रेक्टरां की गिणती नहीं हजारों लाखों बताये देखो।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
2
दिल्ली की रैली मैं आये कई कार ऊपर झंडा लाकै
मीडिया नै नहीं दिखाये बैठग्या तीन बातां नै ठाकै
*इसनै भी सच पूरे म्हारे तैं कति नहीं दिखाये देखो।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
3
लाल किले पै जो हुया वो बहोत गलत करया रै
पुलिस नै भी नहीं रोके उड़ै कट्ठ कैसे जान मरया रै
*उनपै एक्शन होना चाहिए गलत कदम उठाये देखो।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
4
चाल बदनाम करण की उणनै खूब चलाई सै
उनकी चाल फेल होगी कति ना पार बसाई सै
*रणबीर करी कविताई दो चार छंद बनाये देखो ।।*
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।

 *******
छब्बीस जनवरी का दिन लाखां क़ुरबानी देकै आया रै।।
आज हटकै  म्हारे देश पै गुलामी का बादल छाया रै।।
आजाद देश के सपने म्हारे सबनै मिलै पढाई या
बिना इलाज ना कोए मरै सबनै मिलै दवाई या 
भूखा कोए बी रहवै नहीं इसा हिन्दुस्तान चाहया रै।।
मजदूर किसान नै फेर उब्बड़ खाबड़ खेत संवारे 
सबको शिक्षा काम सबको पूरे करने चाहे ये नारे 
पब्लिक सैक्टर के कारखाने देश का आधार बनाया रै।।
साधनां मैं गरीब नहीं दरबरां की नियत खोटी होगी 
मेहनत लूट किसानां की पेट सहूकारां की मोटी होगी
अमीर घने अमीर होगे यो गरीब खड़या लखाया रै।।
अमीरी लूट छिपावन नै हम जात धर्म मैं बाँट दिए
सपने भगत सिंह के तोड़े गरीबाँ के पर काट दिए 
बिना फल की चिंता कर्म किया फल अम्बानी नै खाया रै।।
आर्थिक संकट छाग्या उदारीकरण का रह दिखाया
बदेशी पूँजी खातर देश का मूल आधार खिसकाया 
विश्व बैंक का रिमोट कण्ट्रोल गुलामी का जाल बिछाया रै।।
गरीबाँ नै दल कै नै सपना महाशक्ति बनन का देखैं
देशी बदेशी कारपोरेट परोंठे म्हारे दम पै सेंकै
कहै रणबीर बरोने आला ओबामा ज्यां करकै भाया रै।।
रणबीर~25 जनवरी 2015
छब्बीस जनवरी के मौके पर
******
छब्बीस जनवरी की रैली लाखां किसान आये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
1
ट्रैक्टर ले आये रैली मैं ये पूरी पूरी तैयारी करकै
बहोत घणे पहोंचे दिल्ली गाड्डी मैं तेल यो पूरा भरकै
ट्रेक्टरां की गिणती नहीं हजारों लाखों बताये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
2
दिल्ली की रैली मैं आये कई कार ऊपर झंडा लाकै
मीडिया नै नहीं दिखाये बैठग्या तीन बातां नै ठाकै
इसनै भी सच पूरे म्हारे तैं कति नहीं दिखाये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
3
लाल किले पै जो हुया वो बहोत गलत करया रै
पुलिस नै भी नहीं रोके उड़ै कट्ठ कैसे जान मरया रै
उनपै एक्शन होना चाहिए गलत कदम उठाये देखो।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
4
चाल बदनाम करण की उणनै खूब चलाई सै
उनकी चाल फेल होगी कति ना पार बसाई सै
रणबीर करी कविताई दो चार छंद बनाये देखो ।।
काले कानून वापिस करो जोर के नारे लगाए देखो।।
*******
छब्बीस जनवरी
छब्बीस जनवरी का दिन यो लाखां ज्याण खपा कै आया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
1
सैंतालीस की आजादी ईब यो दो हजार चौबीस आ लिया
बस भाड़ा था कितना याद करो आज कड़ै सी जा लिया
एक सीमेंट कट्टा कितने का आज कौनसे भा ठा लिया
एक गेहूं की बोरी देकै आज यो खाद कितना पा लिया
चिंता नै मैं घेर लिया जिब यो सारा लेखा जोखा लाया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
2
आबादी तो बढ़ी तीन गुणी पर नाज चौगुना पैदा करया
सैंतालीस मैं थी जो हालत उसमें बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई  दवायी के यो खजाना सरकारी रोज भरया
ईमानदारी तैं करी मेहनत हमनै फेरभी तमनै नहीं सरया
भ्रष्टाचार बेईमानी नै यो क्यों सै सतरंगा जाल बिछाया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
3
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फ़ौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के  भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू जी नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के  आंबेडकर नै संविधान रचाई थी
नए नए घोटाले देख कै आम आदमी का सिर चकराया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
4
हरियाणा की धरती पै कसम ठावां नया हरियाणा बनावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै करकै पूरा दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देश मैं या घर घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी ए सुन्दर होज्या मिलकै हाँगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचो गया बख्त किसकै थ्याया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब यो आजादी का राह पाया
*******
युवा दिवस पर युवाओं द्वारा एक
नए हरियाणा की परिकल्पना करते हुए एक रागनी --
मिलजुल कै नया हरियाणा हम घणा आलीशान बनावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
1
बासमती चावल हरियाणे का दुनिया के देशों मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं आगै बढ़गे हम एशिया मैं सम्मान बढावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
2
चोरी जारी ठगी नहीं रहवेंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया  पावै
हिसाब सर मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरियाणा वासी इन बातों नै परवान चढावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
3
ठेकेदारों की ठेकेदारी खत्म होज्या या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फिर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरियाणा मैं गुंजावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
4
दहेज़ कारण दुखी होकै औरत ना फांसी खा हरियाणा मैं
कदम बढ़ाये एक बै जो आगै ना पाछै जाँ हरियाणा मैं 
कांधे तैं कांधे कै मिला चलैं महिलाओं के अरमान खिलावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
5
छूआ छूत का नही नाम रहै रल मिल रहैं शहर और गामां मैं
त्याग तपस्या और भाईचारे की ये फुहार बहैं शहर गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जात धर्म का घमासान मिटावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
6
हरियाणे के लड़के और लड़की ये घाल कब्बड्डी की घालैंगे
देकै क़ुरबानी ये छोरी छोरे नए हरियाणा की नींव डालैंगे
यो गीत रणबीर सिंह नै बणाया मिलकै हम सारे ही गावेंगे।।
नाबराबरी खत्म करकै हम हरियाणा आसमान पहोंचावेंगे।।
*****
स्वीडन के विश्वविद्यालय नै एक अध्ययन कराया।।
भारत के प्रजातन्त्र के बारे इस सर्वे मैं गया बताया।।
1
भारत मैं राजनैतिक फैंसले किस तरियां होते बताए
 भावनात्मकआह्वान एक तरीका यो दबाव मैं कराए
जन विवेक  तैं फैंसले का तरीका भी जानना चाहया।।
2
के सै पहोंच बरोबर सबकी आजादी और अधिकारों पै
गरीब की अनदेखी तो ना सै ध्यान घणा तो ना  साहूकारों पै
हा या नाइन बातों पै सर्वे का हिस्सा गया बनाया।।
3
चुनाव  बिना हेरा फेरी के क्या करवाये जाते भारत मैं
जनता के अधिकार कितने आज मिल पाते भारत मैं
पांच बिंदुओं पर यो अध्ययन संस्था द्वारा गया करवाया।।
4
इस अध्ययन मैं साफ कहया इणमैं देखी गिरावट जारी 
दो हजार चौदाँ तैं इब ताहिं उत्थल पुत्थल हुई भारी
विकसित भारत का सपना रणबीर रोजाना जाता दिखाया।।



*****
राजे रजवाड़यां के किस्से सालों साल सुण लिए।।
अपने बारे मैं किस्से भी ध्यान लगा कै चुण लिए।।
1
आणे आले दिनों मैं घणी खाल तारी जावै म्हारी
जात पात गोत नात पै लड़वावैं धर्म की चलैगी कटारी
उत्थल पुत्थल कसूती होवैगी समझ इसकी धुण लिए।।
2
किसान और मजदूरों पर हमले घणे जबर करावैंगे रै
मध्यम वर्ग भी भींच्या जागा टैक्स बहोत बढ़ावैंगे रै
संघर्ष बिना कोए चारा ना यो दिल अपने पै बुण लिए।।
3
ईडी के हमले और बढ़ाएंगे विरोध सुर जागा दबाया
पुलिस मिल्ट्री कर काबू फासीवादी राज जागा बढ़ाया
कमेरे जात पात भुला कै बढ़ा एकता का गुण लिए।।
4
सत्ता आले लठ तन्त्र तैं और फतूर मचावैंगे देखो
बेरोजगारी की जागां थाली धर्म की बजावैंगे देखो
रणबीर साथ खड़या तेरे दिल पै या बात खिण लिए।।



*****
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां
रागनी 1
Dr Dabholkar 
डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।
स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।
अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे
हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे
अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।
आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर
गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर
तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।
लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 
पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार
रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।
हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै
होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै
रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।
रागनी 2
क्या क्यों और कैसे बिना
क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।
ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।
नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई
क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई
मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।
तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां
क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां
क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।
क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई
क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई
विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।
क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं
क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं
विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।
आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें
क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें
मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।
जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो
सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो
हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।
रागनी 3
गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
1
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
2
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
3
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
4
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।
रागनी 4
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
1
ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
2
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
3
संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं
खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
4
अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

रागनी 5

ब्रह्माण्ड महारा
इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
1
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
2
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
3
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
4
वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
रागनी 6
वैज्ञानिक नजर
वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
1
सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
2
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
3
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
4
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
रागनी 7
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
1
सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर
खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर
बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर
यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर
सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
2
मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का
बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का
भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का
सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का
भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
3
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर
गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर
गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर
सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
4
कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की
इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
रागनी 8
विज्ञान ज्ञान के दम पै
विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
1
कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती
रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती
फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती
विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती
सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
2
कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे
रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे
खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे
टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे
आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
3
अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै
टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै
समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै
राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै
एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
4
एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें
मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें
सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें
कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें
सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
5
नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई
नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई
फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई
हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई
साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
रागनी 9
विज्ञान की अच्छाई भूल
विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
1
कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया
कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया
बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया
इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया
आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
2
कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया
जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया
ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया
करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया
बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
3
कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया
फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया
सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया
इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया
विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
4
हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी
सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी
साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी
फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी
न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
रागनी 10
ब्रूनो
 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*
*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*
1
सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै
आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै
ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै
चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै
*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*
2
कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया
दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया
आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया
प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया
*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*
3
ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था
ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था
चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था
वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था
*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*
4
चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै
फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै
ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै
चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै
*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*
5
अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे
पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे
छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे
लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे
*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*
6
न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई
इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई
ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई
रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई
*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*
रागनी 11
जलवायु प्रदूषण
कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।
धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।
1
पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं
कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं
संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।
2
इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े
कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े
इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।
3
आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै
कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै
इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।
4
चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै
धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै
विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।
रागनी 12
एक आह्वान रागनी 
हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥
रागनी 13
 
म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
1
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
2
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
3
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
4
थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
रागनी 14

हिरोशिमा नागाशाकी
लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
1
हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया
नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया
जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया
जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
2
लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो
दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 
आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो
बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो
दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश
पहोंचाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
3
औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये
सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये
दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये
एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये
जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
4
हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या
हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या
हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या
ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका
पीया कोण्या
रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।।
रागनी 15

मानस का धर्म 
धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
1
माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै
धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
2
ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै
अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
3
मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै
कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै
लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 
रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।
2001 की रचना
रागनी 16

#अपनीरागनी 
सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार
1
बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै
बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै
उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै
मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै
इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 
सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था
बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था
मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था
बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
3
कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया
पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया
ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया
सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया
पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
4
ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं
उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 
फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं
आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं
कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
*********
रिवाज घूँघट का
बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥
चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥
1
ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी
नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी
सासू पितस तैं  भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥
2
नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई
सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई
घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥
3
सिर उभाणी  या बहु अन्घानी  कदे कदीमी सुणते आये
बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये
या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥
4
रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै  सही तस्वीर दखे
बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं  बीर दखे
इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥
*********
लेगे उडारी देखो
मियां बीबी रहगे ऐकले तीनो बालक लेगे उडारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
1
बचपन उनका सही बीते करे दीन रात काले हमनै
क्याहें की परवाह करी ना बहा पसीना पाले हमनै
पढ़न खंदाये लाड लड़ाए तनखा खर्ची सारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
2
कदे रुसजया कदे कुबध करै यो छोरा सबते छोटा मेरा
बड़ी छोरी हुई सयानी शादी का दुःख था मोटा मेरा
बिचली छोरी का के जिकरा वा तिनुओं मैं न्यारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
3
एक अम्बाला दूजी सूरत मैं परिवार अपने चला रही
ये मोबाइल साँझ सबेरी हमते रोजाना ही मिला रही
बात करें दुनिया भर की उमर बीतती जारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो ।
4
कई बार बहोत ऐकले मियां बीबी हम हो ज्यावें सें
झगडा करल्याँ छोटी बात पै लड़भीड़ सो ज्यावें सें
रणबीर सिंह आप बीती सै कलम मेरी पुकारी देखो।
के के सपने संजोये थे जिब हुई ये संतान म्हारी देखो।
********
परिवार के रिश्ते सड़ते जावैं कसूता संकट छाया हे।
मां और बेटी का रिश्ता टिकया अन्याय पै बताया हे।
1
अन्याय नै समझण खातिर या न्यायकारी समझ होवै
न्यायकारी समझ होतै मानस होंश हवाश नहीं खोवै
औरत भी एक इंसान होसै सच यो गया छिपाया हे।
2
किस पापी नै शरीर औरत का बाजार मैं दाँ पै लाया
शरीर के म्हां कै ऐश करो औरत को किनै समजगया
उपभोग की वस्तु किनै बनाई यो किनै जाल बिछाया हे।
3
पितृसत्ता की ताकत भारी पुत्र लालसा इंकि जड़ मैं सै
औरत पुत्र पैदा करकै मुक्ति पावै या वेदां की लड़ मैं सै
पुत्री मार कर पुत्र पैदा यो सबक जाता रोज पढाया हे।
4
घर भीतर अन्याय होंता किसे तैं छिपया रहया कड़ै
घर परिवार सब दिखावा रणबीर किसकै घरां बड़ै
छोरी कै लील गेर दिए जब धरती का डां ठाया हे।
********
लालच और स्वार्थ मैं माणस हो घणा चूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
1
एक दूजे का गल काटकै आगै बढ़ना चाहवैं
देखो
भरी घृणा भितरले मैं ऊपर तैं प्यार दिखावैं देखो
काला धन छिपावैं देखो पापी हो घना मशहूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
2
झूठ बोल कै काम काढ़ते साच पढण बिठाई आज
पेट में चलै छोरी पै कटारी करते नहीं समाई आज
लिहाज शर्म बगाई आज औरत का शरीर घूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
3
पुत्र लालसा बढ़ती जावै या घर घर की बात बताऊँ
पुत्री की रोजाना बलि चढ़ै द्रोपदी चीर हरण दिखाऊँ
के के जुल्म गिनाऊँ लालच पूरा ताणा पूर रहया।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
4
काला धन काली संस्कृति इसका डंका बाज रहया
बेईमान अहंकारी के सिर पै टिक जीत का ताज रहया
बिगड़ सुर और साज रहया रणबीर ना कर मंजूर रहया ।।
रोज दलाली करता हाँडै हो मानवता तैं दूर रहया।।
*******
जाल बिछा हमनै लूट रही कारपोरेट की मकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
1
म्हारी मेहनत के दम पै और अमीर होंते जावैं देखो
खून पसीना म्हारा बहता ये बैठ एसी मौज उडावैं देखो
के के दुख गिनावैं देखो कड़ म्हारी जमा अकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
2
म्हारी लूट का तोड़ खुलासा कार्ल मार्क्स करग्या बताया
मेहनत म्हारी करै पैदा पूंजी कैपिटल किताब मैं समझाया 
सारे जग मैं सच पाया भारी पूंजीवाद की तकड़ी रै ।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
3
दुनिया के घणे देश ये पूंजीवाद की पूजा करते देखो
अपनी कूबध लहकोवण नै घनी ए झूठ घड़ते देखो
अपनी करी मैं घिरते देखो विकास राह गलत पकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
4
भारत मैं भी आज कारपोरेट साम्प्रदायिकता तैं हाथ मिलारया
कमेरयां की एकता तोड़ण नै यो धर्मांधता खूब फैलारया 
लिख रणबीर भी समझारया तोड़ो नफरत की लकड़ी रै।।
गरीब जनता इसके फंदे मैं घणी कसूती जकड़ी रै।।
*********
मोदी का यो असली चेहरा , चौड़े कै मह दिखाई देरया, आज तोड़ खुलासा होग्या रै।
1
नबै की मर आगी या दस की  चांदी कर राखी देखो
म्हारी खाली करकै गोज अम्बानी की भर राखी देखो 
किसानी संघर्ष बढ़ता जावै
थारी सरकार दबाया चाहवै
घणा मोटा रास्सा होग्या रै।
2
डेरे गेर दिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं
रास्ते घेर लिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं
घणे सब्ज बाग दिखाए भाई
लगाकै जोर हम भकाये भाई, 
घणा तमाशा होग्या रै।
3
अम्बानी तै मुलाहजा थारा जनता और नहीं झेलैगी
संघर्ष करैगी मिलजुल कै थारे बिलों नै जरूर पेलैगी
हमतो खेत खलिहान बनावां
महल अटारी आलीशान बनावां
म्हारा जोरका पासा होग्या रै।
4
किसानी संघर्ष आगै बढ़ैगी इतना जान ल्यो रै
तीन बिल वापसी की मांग  तावले से मान ल्यो रै
रणबीर सिंह नै बात बनाई
गाम गाम मैं अलख जगाई
बेरा सबनै खासा होग्या रै।
*******
सीढ़ी घड़ादे चन्दन रूख की सासड़ तीज ये मेरी आई री।।
चन्दन रूख ना म्हारै क्यों ना पीहर तैं घड़ा कै ल्याई री।।
1
अपनी तैं दे दी झूल पाटड़ी म्हारे तैं  दिया यो पीसणा
फोडूँ री सासड़ चाक्की के पाट क्यों चाहवै मनै घिसणा
आज तो दिन त्योहार का सै चाहिए ऊंच नीच भुलाई री।।
2
मनै खन्दा दे री मेरे बाप कै बीर आया यो माँ जाया
बहु इबकै यहीं तीज मना री तेरा पिया छुट्टी आया
गगन गरजै बिज्जल पाटै या मरती फसल तिसाई री।।
3
लरज लरज कै जावै बहू या जाम्मन की डाहली देख
पड़कै नाड़ ना तुड़ा लिए तेरी मां देगी मनै गाली देख
नन्द भी हचकोले मारैगी कहवैगी पहलम ना बताई री।।
4
मन मैं गुद गुद सी माच रही झूलण जाऊं बाग मैं हे
चढ़ पींघ पै जोर लगा कै मैं पींघ बधाऊँ बाग मैं हे
तीज रल मिलकै मनावां सारे रणबीर की या कविताई री।।
*******
हरियाणा के समाज मैं औरत कै घली जंजीर, क्यों हमनै दीखती नहीं।।
1
पहलम दुभान्त हुया करती
दुखी सुखी हम जिया करती
पीया करती इलाज मैं यो परम्परा का नीर, चिता तैं उठती नहीं।।
2
पेट मैं ए मारण की तैयारी
घनखरी दुनिया हुई हत्यारी
गांधारी आज भी लिहाज मैं
पीटती जावै वाहे लकीर,नई राही दीखती नहीं।।
3
बचावनिया और मारनिया के 
घले पाले खेल करनिया के
घेरनिया के मिजाज मैं यो 
मामला सै गम्भीर, क्यों हमनै सूझती नहीं।
4
समाज करना  चाहवै सफाया
सैक्स सेलेक्शन औजार बनाया
बताया सही अंदाज मैं, झूठ नहीं सै रणबीर, कलम चूकती नहीं।
******
सौलां छात्र संगठन कट्ठे होकै ये संघर्ष का बिगुल बजारे।।
यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया संयुक्त छात्र मोर्चा बनारे।।
1
बारा जनवरी नै संसद मार्च का मिलकै नै प्लान बनाया
एनईपी रद्द करो शिक्षा बचाओ भारत बचाओ नारा गूंजाया
भाजपा की केंद्र सरकार के शिक्षा ऊपर हमले बढ़ते जारे।।
2
सबको शिक्षा काम सबको का बताया कानून लागू करो
फीस बढ़ा बढ़ा कै नै म्हारे कांधै मतना घणा यो बोझ धरो
मुफ्त गुणवत्ता आली शिक्षा  छात्र मिलकै नै मांग उठारे।।
3
अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग के अधिकार बचावाँ
प्राइवेट सेक्टर मैं आरक्षण हो जमकै हम मांग उठावां
शिक्षा का साम्प्रदायिकता निजीकरण हम कति नहीं चाहरे।।
4
जाति और आर्थिक आधार पै भेदभाव करना बंद करो
हाशिये के समूहों की निशुल्क  शिक्षा का प्रबंध करो
रोहित एक्ट लागू होज्या जीएसकैश का नारा लगारे।।
5
छात्र संघ चुनाव फेर तैं शैक्षणिक संस्थानों मैं बहाल करो
शिक्षा और रोजगार मिलै सबनै यो इंतजाम तत्काल करो
धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील वैज्ञानिक शिक्षा के हम नारे गूंजारे।।
6
संयुक्त छात्र मोर्चे नै शिक्षा बचाओ यो अभियान चलाया 
बारा जनवरी नै संसद मार्च का रणबीर यो कदम उठाया
एक फरवरी नै चैन्नई मैं संयुक्त रैली करैंगे मिलकै नै सारे।।



******
नए साल का सपना 
नया साल 2024
दो हजार तेईस चल्या गया यो कोरोना के वारां का ।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल मेहनत कारां का।।
1
सर्व समावेशी शिक्षा हो स्कूल होवैं एक समान 
हरेक जात का सम्मान हो भाईचारा हो बलवान 
मरीज डॉक्टर का मेल हो इलाज पावै हर इंसान 
फसल कीमत मिल पावै फलें फुलें म्हारे किसान 
पर्दाफाश होज्या धर्म के आज के इन ठेकेदारां का।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल मेहनत कारां का।।
2
मिलावट म्हारे समाज मैं नहीं टोही पावै चाहवां
नफरत का जहर समाज नै आज ना खावै चाहवां
बेरोजगारी कम होवै इसा माहौल आवै चाहवां 
कोये मानस प्रदेश में ना भूखा सो ज्यावै चाहवां 
होवै महिला महफूज ना जिकरा बचै बलात्कारां का।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल मेहनत कारां का।।
3
म्हारा यो सबका हरियाणा गूँज उठै यो नारा भाई
छुआछूत खत्म हो सुधरै यो वातावरण म्हारा भाई
सरकार करै ख्याल बणै गरीबां का साहरा भाई
पोर्न फिल्म पै रोक लागै नशे तैं मिलै छुटकारा भाई
या जनता राह बाँधेगी देश भर मैं इन बदकारां का ।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल  मेहनत कारां का।।
4
युवा नै रोजगार मिलै कति ना फिरै आवारा भाई
सुख का सांस लेवै सरतो सुखी हो करतारा भाई
विकास चालै सही राही सही होवै बंटवारा भाई
संविधान के अनुसार चलै हिंदुस्तान यो म्हारा भाई
रणबीर चौबीस का साल हो मेहनत के अदाकाराँ का ।।
दो हजार चौबीस मैं हो आच्छा  हाल  मेहनत कारां का।।
******
कोर्ट कचहरी राज पाट का फुटया ढ़ारा देख लिया।
माणस बिकै दिन धौली कसूता नाजारा देख लिया।
1
पुलिस बचावै कातिल नै मेरी समझ मैं आई ना
सरकार मदद पै आज्या सै क्यों जमा सरमाई ना
अफसर बिक़ज्यां चौड़े मैं वो मानै कति बुराई ना
घड़ा पाप का भरग्या सै ईब होती जमा समाई ना
लोक लाज लोक राज का तमाशा आज देख लिया।।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
2
कातिल और चोर लुटेरे मंत्री पुलिस के तलियार बनैं
सही आवाज दबावण नै साहूकारों के हथियार बनैं
आम आदमी डरकै इनतैं चुप रैहकै नै होशियार बनैं
म्हारी चुप्पी नाश करैगी न्यों कोण्या घर परिवार बनैं
इनकी कड़ थेपड़ता मनै सरकारी इशारा देख लिया।।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
3
बीमारियां नै ऊधम मचाया न्यों क्यूकर पार घलैगी रै
कॉपोरेट हुया म्हरा लुटेरा न्यों क्यूकर दाल गलैगी रै
सरकार नै गोड्डे टेक दिए न्यों क्यूकर बात चलैगी रै
खेती उद्योग तबाह होज्यांगे न्यों क्यूकर मार टलैगी रै
ये जहरीले नाग डंक मारैं मरै कमेरा बेचारा देख लिया।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
4
आज के समाज म्हारे की या असली घुंडी खोल दई
चारों स्तम्भ म्हारे जनतंत्र के लिकड़ सबकी पोल गई
सरकार भी जुल्म कमावै न्यों छाती म्हारी छोल दई
रणबीर नै बरोने के मैं सारी साच्ची साच्ची बोल दई
जनता जागै फेर जुल्मी भागै निचोड़ सारा देख लिया।
माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।
********
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां
रागनी 1
Dr Dabholkar 
डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।
स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।
अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे
हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे
अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।
आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर
गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर
तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।
लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 
पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार
रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।
हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै
होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै
रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।
रागनी 2
क्या क्यों और कैसे बिना
क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।
ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।
नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई
क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई
मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।
तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां
क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां
क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।
क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई
क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई
विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।
क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं
क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं
विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।
आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें
क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें
मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।
जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो
सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो
हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।
रागनी 3
गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
1
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
2
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
3
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
4
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।
रागनी 4
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
1
ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
2
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
3
संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं
खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
4
अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

रागनी 5

ब्रह्माण्ड महारा
इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
1
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
2
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
3
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
4
वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
रागनी 6
वैज्ञानिक नजर
वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
1
सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
2
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
3
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
4
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
रागनी 7
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
1
सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर
खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर
बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर
यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर
सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
2
मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का
बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का
भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का
सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का
भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
3
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर
गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर
गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर
सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
4
कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की
इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।
रागनी 8
विज्ञान ज्ञान के दम पै
विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
1
कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती
रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती
फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती
विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती
सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
2
कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे
रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे
खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे
टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे
आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
3
अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै
टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै
समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै
राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै
एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
4
एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें
मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें
सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें
कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें
सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
5
नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई
नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई
फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई
हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई
साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।
टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।
रागनी 9
विज्ञान की अच्छाई भूल
विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
1
कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया
कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया
बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया
इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया
आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
2
कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया
जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया
ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया
करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया
बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
3
कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया
फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया
सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया
इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया
विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
4
हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी
सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी
साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी
फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी
न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।
माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।
रागनी 10
ब्रूनो
 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*
*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*
1
सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै
आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै
ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै
चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै
*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*
2
कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया
दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया
आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया
प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया
*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*
3
ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था
ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था
चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था
वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था
*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*
4
चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै
फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै
ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै
चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै
*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*
5
अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे
पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे
छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे
लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे
*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*
6
न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई
इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई
ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई
रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई
*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*
रागनी 11
जलवायु प्रदूषण
कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।
धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।
1
पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं
कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं
संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।
2
इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े
कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े
इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।
3
आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै
कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै
इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।
4
चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै
धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै
विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।
रागनी 12
एक आह्वान रागनी 
हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥
रागनी 13
 
म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
1
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
2
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
3
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
4
थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
रागनी 14

हिरोशिमा नागाशाकी
लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
1
हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया
नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया
जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया
जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
2
लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो
दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 
आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो
बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो
दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश
पहोंचाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
3
औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये
सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये
दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये
एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये
जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।। 
4
हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या
हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या
हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या
ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका
पीया कोण्या
रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।
हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं
धकाये रै।।
रागनी 15

मानस का धर्म 
धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
1
माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै
धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
2
ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै
अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
3
मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै
कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै
लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 
रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।
2001 की रचना
रागनी 16

#अपनीरागनी 
सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार
1
बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै
बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै
उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै
मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै
इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 
सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था
बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था
मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था
बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
3
कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया
पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया
ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया
सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया
पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
4
ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं
उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 
फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं
आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं
कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार