वास्कोडिगामा
वास्कोडिगामा बैठ जहाज मैं म्हारे देस मैं आया रै।
मस्साले गजब म्हारे देस के इनपै घणा जी ललचाया रै।।
उस बख्त म्हारे देस मैं कच्चे माल की भरमार बताई
गामां नै पहला कदम धरया म्हारे देस की श्यामत आई
कच्चा माल लाद कै लेज्यां तैयार माल की हाट लगाई
कारीगरां के गूंठ काटे मलमत म्हारी की करी तबाही
मेहनतकश कारीगर देस का यो घणा गया दबाया रै।।
ईस्ट इंडिया कंपनी आई या देस म्हारे पै छागी फेर
कब्जा देस पै करने मैं ना लाई अंग्रेजों नै कति देर
सहज सहज यो म्हारा देस अंग्रेजां नै लिया पूरा घेर
अपणे चमचे छांट लिये रै उनकी कटाई पूरी मेर
फूट डालो और राज करो का यो तीर गजब चलाया रै।।
म्हारे देस के वीरां नै अपणी ज्यान की बाजी लाई रै
भगत सिंह पफांसी चूम गया देस की श्यान बढ़ाई रै
महात्मा गांधी अहिंसा पुजारी छाती मैं गोली खाई रै
लक्ष्मी सहगल दुर्गा भाभी लड़ण तै नहीं घबराई रै
जनता नै मारया मंडासा अंग्रेज ना भाज्या थ्याया रै।।
हटकै म्हारे देस मैं बिल गेट्स नै कदम धरया सै
म्हारे देस नै लूटण खातर इबकै न्यारा भेष भरया सै
डब्ल्यू टी ओ विश्व बैंक गैल मुद्रा कोष करया सै
तीन गुहा नाग यो काला कदे बिना डंसें सरया सै
रणबीर सिंह बरोणे आला सोच कै छन्द बणाया रै।।
पूरी साजिश
आगले पाछले के चक्करों में आज का हिसाब बिगाड़ लिया
पत्थरों पर टिकवा माथे हमारे भक्तों ने बिठा जुगाड़ लिया
1
इसमें भोगा वो पिछले का अब किया वो अगले में मिलेगा
इसकी कोई जगांह नहीं है सार बात का लिकाड़ लिया
आगले पाछले के चक्करों में आज का हिसाब बिगाड़ लिया
2
कर्म करो फल की चिंता ना करो कभी से इसे मानते आये
अडानी अम्बानी जैसों ने गीता का पन्ना पन्ना फाड़ दिया
आगले पाछले के चक्करों में आज का हिसाब बिगाड़ लिया
3
इन्होंने फल की चिंता की आज किसी से छिपा नहीं देखो
गीता पढ़ाओ उन्हें जिन्होंने मानवता का बन्द किवाड़ किया
आगले पाछले के चक्करों में आज का हिसाब बिगाड़ लिया
4
मेहनत त्याग तपस्या दान का हुआ बहुत अपमान यहां
अन्धविश्वाशों का विज्ञान ने आज ये नकाब उघाड़ दिया
आगले पाछले के चक्करों में आज का हिसाब बिगाड़ लिया
प्रदूषण
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
दुनिया मैं दिल्ली शहर , ग्याहरवें नम्बर पै बताया रै।।
1
यमुना पढ़ण बिठादी या , ईब गंगा की बारी कहते रै
तालाब घनखरे सूख लिए, विकास की लाचारी कहते रै
संकट पाणी का कसूता , भारत प्यारे पै मंडराया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
2
जंगल साफ करण लागरे ,विनाश के लगा गेर दिए
वायु प्रदूषण बढ़ता जावै, विकास के नारे टेर दिए
जंगल जमीन खान बेचे, विकास का खेल रचाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
3
प्रदूषण कारण लाखों लोग बख्त तैं पहल्यां मरज्यावैं
ये प्रदूषण उम्र करोड़ों की कई साल कम कर ज्यावै
पूरे भारत देश म्हारे मैं, प्रदूषण नै कहर मचाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
4
विकास की जागां देखो विनास की राही चाल रहे
पाणी सपड़ाया पेड़ काटे घणे कसूते घर घाल रहे
संभलो जनता कहै रणबीर प्रदूषण नै देश रम्भाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
जहर
जहर पीवां पैप्सी कोलां मैं, मौत के मुंह मैं जावां रै।।
सब्जी दूध भोजन मैं बहोत कीटनाशक खावां रै।।
1
पाणी मैं जहर घुलग्या इसका हमनै बेरा कोन्या
घणा कसूता घाल दिया टूटता दीखै घेरा कोन्या
हरित क्रांति हरियाणा में खुशी थोड़े लोगां मैं ल्याई
घणे लोगां मैं कीटनाशक नै या घणी रची तबाही
आज पाछै बोतल हम नहीं पैप्सी कोला की ठावां रै।।
सब्जी दूध भोजन मैं बहोत कीटनाशक खावां रै।।
2
अनतोल्या इस्तेमाल हुया सै पाछले दस सालां मैं
शरीर निचोड़ बगा दिया लाली बची नहीं गालां मैं
बदेशी कंपनी लूटैं हमनै ये हजर पिलाकै देखो
मुनाफा कमावैं अरबां का कीटनाशक खिलाकै देखो
कसम खावां आज सारे हाथ नहीं ठण्डे कै लावां रै।।
सब्जी दूध भोजन मैं बहोत कीटनाशक खावां रै।।
3
खाज गात मैं करदी सै आज घर कोए बच्या नहीं
दमा बीमारी बाधू होगी खुलासा म्हारै जंच्या नहीं
गैस पेट की बढ़ती जा महिला हुक्टी पीवण लाग्गी
नामर्दी का शिकार होकै पीढ़ी युवा जीवण लाग्गी
इलाज कितै होन्ता कोन्या बताओ हम कित जावां रै।।
सब्जी दूध भोजन मैं बहोत कीटनाशक खावां रै।।
4
कई साल तै रुक्या नहीं जहर का खेल न्योंए चालै
के बरा किस-किस के जीवन पै हाथ रोजाना घालै
कैंसर बधता जावै आज कई विद्वान बतावैं देखो
जन्म जात बीमारी बधगी आंकड़े ये दिखावैं देखो
कहै रणबीर बरोने आला ईबतैं मोर्चा जमावां रै।।
सब्जी दूध भोजन मैं बहोत कीटनाशक खावां रै।।
म्हारी सेहत
बिना रूजगार पैसा मिलै ना, बिना पीस्से या दाल गलै ना
बिना दाल सेहत बणै नौ, इन बिन पूरा इलाज नहीं।।
हमारे शरीर को चाहिये खाणा साफ पाणी और हवा
इनके बिना सेहत बणै ना कितनी ए खाल्यो चाहे दवा
प्रदूषण कौण फैलावै देखो, ये साधन कौण घटावै देखो
जिम्मै गरीबां के लावै देखो, क्यों उठै म्हारी आवाज नहीं।।
आदमी के रहने के लिए यो हवादार मकान चाहिये
दिमाग की सेहत की तांहि समाज मैं ना तनाव चाहिये
प्रबन्ध हो डॉक्टर दवाई का, पूरा माहौल साथ सफाई का
आदमी की सेहत सवाई का, दुनिया कहती है राज यही।।
बीमारी के कारण के के हों जो इनकी हमनै टोह कोण्या
म्हारी सेहत ना ठीक हो जो म्हारा इसमैं मोह कोण्या
लोगां की सही भागीदारी बिना, असली नीति सरकारी बिना
विकास मैं हिस्सेदारी बिना, स्वास्थ्य रहवै समाज नहीं।।
अपनी सेहत योजना जिब शहर और गाम बणावैं रै
ग्राम सभा मिल बैठ कै सही अपणे सुझाव बतावैं रै
फेर बदलैगी तस्वीर या, देस की बणैगी तहरीर या
लिखै सही बात रणबीर या, फेर चिड़िया नै खा बाज नहीं।।
वार्ता
फौजी देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं । एक रात एक बैंकर में दो फ़ौजी रात काटने के लिए अपने अपने घर गाँव की बातचीत करते हैं । दो महीने पहले एक फौजी छुट्टी पर गाँव आया तो उसके गाँव में एक जघन्य हत्याकांड हुआ मिला। उसके बारे में महेंद्र अपने साथी फ़ौजी सुरेंद्र को सुनाता है। सुरेंद्र का दिल वह सब सुनकर दहल उठता है और वह अपनी मां को एक चिठ्ठी में क्या लिखता है भला:-
औरत की जमा कदर रही ना यो किसा बुरा जमाना आग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
1
दो बदमाशां नै मिलकै नाबालिग बच्ची पै अत्याचार किया
बदफेली करी पहलम तै फेर मौत के घाट उतार दिया
इन पापियां नै के मिलग्या सारा हरियाणा पुकार दिया
कहैं पुलिस तैं पीसे जिमाये यो कर काबू थानेदार लिया
घणे दिन लाश ना टोही पाई न्यों गुहांड घणा चकराग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
2
नौ मई का मनहूस दिन था मासूम बच्ची नै वे लेगे ठाकै नै
पुलिस ताहिं नाम बता दिएपर झांकी ना वा गाम मैं आकै नै
कई जणे थाने में पहोंचे उड़ै रपट लिखानी चाही जाकै नै
थानेदार नै रपट तो लिखी बहोत घणे धक्के खवाकै नै
अपराधी सांड ज्यों रहे घूमते बेटी कै घर मैं मातम छाग्या माँ।।
3
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
क्यों म्हारी रपट लिखी ना जाती म्हारे ऊपर धौंस जमाई जावै
क्यों या पुलिस खावण नै आती उल्टा म्हारी करी पिटाई जावै
क्यों गरीब जनता न्या ना पाती या रपट कमजोर बनाई जावै
क्यों कमेरी जनता धक्के खाती म्हारी लाज ना बचाई जावै
सामना करना पड़ेगा हमनै मेरा दिल ये बात समझाग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
4
घणे जोश मैं हम पहरा देरे थे सुनकै जी उदास हुया माता
सिविल मैं जमा डूबा पड़गी क्यों आज सत्यानाश हुया माता
फेर बी तेरा बेटा लड़ेगा डटकै यो वायदा खास हुया माता
रणबीर सही छन्द बणावै उसनै फ़ौज़ियाँ का डेरा भाग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
एक बाप का दुःख
कुनबा सारा मूँधा पड़या नहीं होती छोरी की सगाई।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों या इतनी घनी पढ़ाई।।
1
पढ़ लिख कै बेटी आई एफ एस अफसर बणगी
दहेज़ एक करोड़ पै पहोंच्या सिर की नस तणगी
मेहनत करी दिन रात मुड़कै पाछै नहीं लखाई।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
2
बिन ब्याही बेटी का घर मैं बोझ घणा कसूता होज्या रै
मेरे बरगा सिद्धान्ति माणस भी सबर अपना खोज्या रै
घर मैं दीखै सूनापन जब ना पावै कोये राही।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
3
जात के भीतर आई ऐ एस कोये भी मिलता कोण्या
एक मिल्या तो गोत उसका म्हारे गाम मैं चलता कोण्या
इन गोतां के चक्कर नै म्हारी तो पींग सी बधाई।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
4
माथा पाकड़ कै बैठ गया तीन साल जूती तुड़वाली
या उम्र तीस साल की ओवर ऐज खाते मैं जाली
दोतीन और अफसर थे उनकी मांग बेढंगी पाई।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
5
बेटी नै तो कर लिया फैंसला ब्याह नहीं कावाने का
मां बोली हमनै के ठेका बेटी जात बीच ब्याहने का
कौम के ठेकेदारां नै नरमी नहीं बरती चाही।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
6
जात छोड़ ब्याह करने का मेरा तो जी करता कोण्या
बिन ब्याही रह्वैगी बेटी न्यों सोच दिल भरता कोण्या
जात मनै लागै थी प्यारी इसनै मेरी करी पिटाई।।
7
न्योंये कित धक्का दे दयूं आज मेरी समझ नहीं आता
एक करोड़ कड़े तैं ल्याऊं आज मेरा तो यो खाली खाता
दो च्यार लाख मैं नहीं करते कौमी बेटे मेरी सुनाई।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
8
भितरै भितर सोचूँ कितै बेटी प्रेम विवाह करले
नीरस जिंदगी जो उसकी उसनै खुशियों तैं भरले
वा बागी होकै करले शादी होज्यगी मेरी मनचाही।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
9
तिरूं डूबूँ जी होरया इसनै रोज समझाऊँ क्यूकर
जात भितर की सीमा दिल खोल दिखाऊं
क्यूकर
म्हारे बरगे माणसां की होरी सारे कै जग हंसाई।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
10
नौकरी के कारण बेटी नै कई देशां मैं जाना पड़ता
भांत भांत के लोगां तैं उसनै उड़ै हाथ मिलाना पड़ता
रणबीर खुलापन आया यो आज साहमी दे दिखाई ।।
मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।
: औरत
बीर के जी नै भाण मेरी मोटा फांसा होग्या हे ।
मुँह मैं घालण नै होरे सैं इसा भुण्डा रासा होग्या हे ।
दिन की धौली दें मार लुगाई इसा बुरा जमाना आया
माया त्यागी की दर्द कहानी नै आज भूचाल मचाया
कुणसे कुणसे काण्ड गिनाऊँ दुर्योधन भी शरमाया
नपूते स्टोवां नै भी म्हारे कान्ही अपना मुँह बाया
म्हारे देश मैं आज बीर का तोले तैं माशा होग्या हे ।
इस देश मैं छोरी के पैदा होण पै सारै छा मुरदाई जावै
छोरे के जाम्मन पै बहणा मेरी थाली खूब बजाई जावै
जिसकै होज्यां लागती छोरी वा निरभाग बताई जावै
छोरा ना होवण ऊपर आज बी दूजी शादी रचाई जावै
दोनूवां नै बतावैं बरोबर छोरा क्यों कुल आशा होग्या हे ।
मनू नै भी भाण मेरी यो इसा घनघोर अत्याचार किया
अनाचारी दुराचारी मूढ़ पति बीर का क्यों स्वीकार किया
साहमी बोलण आली बीर गेल्याँ कुल्टा सा व्यवहार किया
बीर का कोए हक़ ना होता लिख मनू स्मृति तैयार किया
मनू नै भी डांडी मारी यो आज तोड़ खुलासा होग्या हे ।
छोरी ताहिं गुलाम रहन की आज बी सीख सिखाई जा
छोरे ताहिं राज करण की खोल सारी तदबीर बताई जा
छोरी नै गम ख़ाना चाहिए या धुर तैं सीख सुनाई जा
छोरे नै निख्डू दूध मिलता रोटी पै भी धरी मलाई जा
रणबीर सिंह राम राज आया यूं अजब तमासा होग्या हे ।
जुलाई , 1989
गीत
या दुनिया हुई कसाई हे सखी , समझी ना इंसान मैं
बचपन के महां लाड लड़ाया ,पढना लिखना खूब सिखाया
मेरी माँ नै गोद खिलाई हे सखी , पर समझी ना संतान मैं
हुई सिवासन ब्याह रचाया , खोल जेवडा पिंड छुटवाया
कर दी मेरी बिदाई हे सखी पर समझ लाई अनजान मैं
पति देव का साथ निभाया , घर का सारा बोझ उठाया
बढ़िया पत्नी बताई हे सखी पर समझी नहीं समान मैं
सब बच्चों को खूब पढाया , भविष्य उनका सही बनाया
मनै पीढी त्यार बनाई हे सखी पर नाम नहीं निर्माण मैं
खेत क्यार म नै खूब कमाया ,नहीं पा छे नै कदम हटाया
बहो तै घणा कमाई हे सखी पर समझी नहीं किसान मैं
या दुनिया हुई कसाई हे सखी समझी ना इंसान मैं
जय भीम इंक़लाब का नारा यो अपना रंग दिखावै रै।।
नव जागरण आंदोलन यो मनुवाद कै साँस चढावै रै।।
1
जात पात और छूआछूत म्हारे समाज तैं मिटानी सै
अन्धविश्वास पाखंड की वैज्ञानिक काट बिछानी सै
सब धर्मां की कट्टरता आपस मैं हमनै लड़वावै रै।।
नव जागरण आंदोलन यो मनुवाद कै साँस चढावै रै।।
2
मारो काटो नफरत करो कौनसे धर्म मैं लिख राख्या
झूठ फैला कै जहर भरो कौनसे धर्म मैं लिख राख्या
धर्मों का जाल दुनिया मैं पूंजीपतियां का साथ निभावै रै।।
नव जागरण आंदोलन यो मनुवाद कै साँस चढावै रै।।
3
नब्बै नै बांटन की खातर जात धर्म हथियार बनाये
भारत मैं मनुवाद नै देखो सदियों से वंचित दबाये
टिकवा माथा मस्जिद मंदिर मैं धुरतैं भकांता आवै रै।।
नव जागरण आंदोलन यो मनुवाद कै साँस चढावै रै।।
4