Monday, 18 March 2019

नासां अड़गी

के  फेर बी वोट द्योगे , इन झूठ  बेच कसाइयाँ तैं 
पांच साल मैं नासां अड़गी  ऐसी करी करतूत रै
पंदरा लाख के चक्कर मैं म्हारै या आयी कसूत रै 
कितने दुख और सहोगे न्यारे टलो भाजपाईयां  तैं || 
वोट के टेम पटा लिए हम फेर लिकडे ना जड़कै रै  
एक सुनी ना किसान की वो मरग्या भीतर बड़कै रै  
मोदी भक्त होरे सो उसनै लेना के पीड़ पराईयाँ तैं ॥ 
जनहित और इनेलो  इनमैं फरक सै मासे तोले का 
बक्कल तार बगादेंगे तेरे किसे मानस भोले का 
के खरी खरी ना कहोगे तम आज इन भाजपाईयां तैं ॥ 
सी पी एम् नै देख बरत या म्हणत कह की पार्टी सै 
और कोए ना भावै फेर या ऐसी रस की पार्टी सै 
फेर पूंजीपति तैं फहोगे बाख आपस की लड़ाईयां तैं ॥ 
शकुन्तला जाखड या म्हारे हक़ और दुःख नै जानै सै 
राजेश दलाल तून वोट दिए हिम्माती  नै जै पिछा नै सै 
बैरी तैं बदला ल्योगे थम मेल बढा कै भाइयाँ तैं ॥ 

खागी भाजपा

चूट चूट कै खागे हमनै.........

बारा बाट
 ईब होगे बारा बाट कसूते होती कितै सुनाई ना।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।
1
1 जिन सरमायेदारां नै गौरे झूठी चा पिलाया करते
जी हजूरी फितरत उनकी जमकै टहल बजाया करते
बड्डे चौधरी साँझ सबेरै ललकै पैर दबाया करते
राय साहब कोय सर की न्यों पदवी पाया करते
आज मालिक बने देश के समझी हमनै चतराई ना।।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।
2
कुल सौ बालक म्हारे देश के दो कालेज पढ़ण जावैं सैं
पेट भराई मिलै तीस नै सत्तर भूखे क्यों सो जावैं सैं
बिना नौकरी ये छोरे गाभरू आपस मैं नाड़ कटावैं सैं
काले जबर कानून बनाकै म्हारे होंठ सीमणा चाहवैं सैं
नब्बै की रेह रेह माटी देखी इसी तबाही ना।।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।.
3
बेकारी महंगाई गरीबी तो कई गुणा बढ़ती जावैं रै
जब हक मांगें कट्ठे होकै हमनै  देश द्रोही बतावैं  रै
ये भाजपा आले बाँटण नै नई नई अटकल ल्यावैं रै
म्हारी जूती सिर भी म्हारा न्यों म्हारा बेकूफ बणावैं रै
थोथा थोथा पिछोड़ दे सारा छाज इसी अपनाई ना ।।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।
4
इतनी मैं नहीं पार पड़ी दस नै जुल्मी खेल रचाया यो
नब्बै की कड़ तोड़न खातर तीनमुहा नाग बिठाया यो
निरा देसी साहूकारा लूटै एक फण इसा बनाया यो
दूजा फन थोड़ा छोटा उसपै बड्डा जमींदार टिकाया यो
तीजे फन अमरीका  बैठ्या जिसकी कोय लम्बाई ना।।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।.
इस तरियां इन लुटेरयां नै नब्बै हाथ न्यों बाँट दिए
लालच देकै सब जात्यां मैं अपने हिम्माती छांट लिए
उडारी क्यूकर भरै मैना धर्म की कैंची तैं पर काट दिए
हीर अर राँझयां बिचाळै देखो अखन्न काने डाट दिए
नब्बै आगै दस के करले इसकी नापी गहराई ना ।।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।
6
हजार भुजा की या व्यवस्था नहीं म्हारी समझ मैं आवै
एक हाथ तैं कड़ थेपड़ दे दूजे तैं गल घोटना चाहवै
करनी होगी जमकै पाले बंदी रणबीर बरोने मैं समझावै
नब्बै का जब डंका बाजै दस की ज्याण मरण मैं जावै
दस की पिछाण करे पाछै मुश्किल कति लड़ाई ना।।
चूट चूट कै खागी भाजपा मिलती कितै दवाई ना।

Friday, 8 March 2019

आज का माणस


आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै 
स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै
चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो
इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो
भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।
और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया
दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया
कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।
दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो
चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो
दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।
मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या
हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या
रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।

खाई

खाई चौड़ी होंती आवै सै इसनै आज कौण पाटैगा।।
जनता का हाथ सही मैं इसनै आज कौण डाटैगा।।
1
घर घर मैं खाई बधगी बधगी पूरे समाज मैं
देशां के बीच की खाई ना बताते पूरे अंदाज मैं
अमरीका टॉप पै रहवन नै यो रंग न्यारे छांटैगा।।
जनता का हाथ सही मैं इसनै आज कौण डाटैगा।।
2
एक देश के भीतर भी कई ढाल की खाई दीखैं सैं
एक खरब पति बनरया दूजे भूखे पेट नै भींचैं सैं
शांति कड़े तैं आवैगी जब अमीर गरीब नै काटैगा।।
जनता का हाथ सही मैं इसनै आज कौण डाटैगा।।
3
लड़ाई बढ़ैगी इस तरियां इस विनास की राही पै
खाई पटज्या हो चलना इसे विकास की राही पै
ना तो पर्यावरण प्रदूषण म्हारा कालजा चाटैगा।।
जनता का हाथ सही मैं इसनै आज कौण डाटैगा।।
4
लोभ लालच और स्वार्थ घणी बधारे इस खाई नै
समाज गया रसातल मैं चौडै भाई मारै भाई नै
भाईचारा नहीं बच्या तो रणबीर धन नै के चाटैगा।।
जनता का हाथ सही मैं इसनै आज कौण डाटैगा।।

Thursday, 7 March 2019

सपना टूट गया


डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
1. मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई
  खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई
  धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण एक भाई
  मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं सीख सिखाई
  दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।
2. भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई
  गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई
  बड्डी बाहण बीएड कर बैठी घर मैं बिन ब्याही
  मेरा पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहीं पोजीसन आई
  काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।
3. ठारा हजार म्हिने की पहले साल की फीस बताई
  पसीना आया गात मैं धरती घूमती नजर आई
  आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई
  हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई
  अपने दलाल बिठारया सै दीख उडै़ वर्ग लुटेरा।।
4. फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर
  गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर
  इस
  सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर
  रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।

स्वास्थ्य दिवस


सेहत दिवस सात अप्रैल का दुनिया मैं जावै मनाया रै।।
विकास की गलत राही बीमारियां नै हाहाकार मचाया रै।।
1. तनाव बढ़े तरां-तरां के मानवता थरथर कांप रही
  खतरनाक हथियारां की दौड़ सबका बधा या ताप रही
  उद्योग करैं प्रदूषण पैदा बढ़ दिलां की चाप रही
  विकसित दुनिया उदारीकरण की क्यों माला या जाप रही
  अमरीका नै सब सूधे करण का आज पूरा ठेका ठाया रै।।
2. बीस देश दुनिया के छियासी प्रतिशत साधन लेरे रै
  मौज उड़ावै म्हारे दम पै न्यों भारत मैं गरीबी के डेरे रै
  तरां-तरां की ये बधैं बीमारी हम दुख घणा खेहरे रै
  उनके मुंह पै लाली चमकै म्हारे पीले पड़गे चहेरे रै
  हमनै कहवैं जनसंख्या बधाली ज्यां यो संकट छाया रै।।
3. म्हारे साधनां पै कर कमब्जा भारतवासी बणा दिये बोड़े रै
  उनकी लूट के कारण म्हारे देश के साधन पड़गे थोड़ै रै
  म्हारे देश के अमीर घराने आज बणगे इनके घोड़े रै
  भूख गरीबी जनसंख्या के भारत मैं ज्यां पड़गे भोड़े रै
  म्हारी सेहत अर शिक्षा का इननै भट्ठा कति बिठाया रै।।
4. पचास साल राज करया उननै गलत रास्ते पै डाल दिये
  मेहनत करी हम सबनै बंटवारे मैं घर घाल दिये
  अपणी खातर अपोलो म्हारे तै खैराती अस्पताल दिये
  दे कै लालच म्हारे बेटा बेटी अपणे रूखाले पाल दिये
  रणबीर म्हारी सेहत नहीं बणै यो इसा खेल रचाया रै।।

स्वास्थ्य ढांचा ---380----

मुनाफाखोर कम्पनियां नै यो स्वास्थ्य  ढांचा कब्जाया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
1
सरकारी स्वास्थ्य सेवा ढावैं प्राईवेट नै बढ़ावा देवैं
जनता धक्के खा सरकारी मैं प्राईवेट घणे पीस्से लेवैं
दवा मशीन महंगी करदी गरीब मुश्किल तैं खेवैं
पीस्से आले की ज्याण बचै गरीब दुत्कार सेहवैं
बीमारियां का औड़ नहीं कदे डेंगू कदे स्वाइन फ्लू आया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
2
एम्पेनलमेंट पै प्राईवेट का इलाज लेते कर्मचारी
बड़े अस्पतालों मैं जावै अफसरशाही या सारी
लाखों मैं इलाज हर्ट अटैक का बचै जेब जिसकी भारी
प्राइवेट बीमा कंपनी भी भ्रष्टाचार मैं धँसती जारी
घर फूंक तमाशा पड़ै देखना जै चाहते ज्याण बचाया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
3
वातावरण प्रदूषण तैं बढ़ी कैंसर और दमा बीमारी
कीटनाशक बढे गात मैं जिंदगी मुश्किल होती जारी
झोला छाप दवा देसी ये बनी गरीब की लाचारी
ये आर एम पी डॉक्टर स्टीरायड खिलावैं भारी
घणे बढ़गे टोने टोटके बढ़ी अन्धविश्वास की माया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
4
एक तरफ हैल्थ टूरिज्म दूजी तरफ झाड़ फूंक छाये
कितै कमी नर्सों की कितै ये डॉक्टर कम बताये
कितै कमी दवा की कितै औजार कम ल्या पाये
निजी अस्पताल रोज खुलैं ना कोये कानून बनाये
रणबीर सिंह मुनाफे नै म्हारी सेहत का धुम्मा ठाया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।