Saturday, 31 December 2016



दिन ब दिन मोर सा झड़ता 
जावण लागरया सै देखियो 

Friday, 30 December 2016

Munshi Ram

थोड़े से दिन थ्वावस करो आजादी रंग चा कर देगी 
घी खाण्ड अनाज कपड़ा सोना-चांदी सस्ते भा कर देगी 
गाम गाम मैं खुलैं मदरसे विधा पढ़ो मौज के म्हं 
ताजे कपड़े घड़ी हाथ कै रहंगे नोट गोज के म्हं 
होस्पीटल सफाखाने खुलज्यां एक दो तीन रोज के म्हं 
सारे काम बणैं कल के ना टुटै नाड़ बोझ के म्हं 
छुआछात का भूत काढ़ दो गोरमेंट न्या कर देगी 
ऊंच नीच का ख्याल रहै ना देह्स एक सा कर देगी 

कोठी कमरे फर्श गिलोरी पंखे लगै शाळ के म्हं 
झांकी जंगळे लगै चुफेरै लूटो ऐश बाळ के म्हं 
हरी पीळी लाल रोशनी बिजळी गाळ गाळ के म्हं 
कुरसी मेज बिछै पलंग भोजन मिलै थाल के म्हं 
साईकिल तांगे टमटम चालैं सब पक्के राह कर देगी 
झगड़े बाजी मिटैं मुकदमे ठीक फैसला कर देगी 

पाणी के नल फर्स लागज्यां ठंडे गरम फव्वारे हों 
तेल फलेल इतर केसर कस्तूरी के छिड़कारे हों 
सभी जगह पै नहर फिरैंगी बाग बगीचे न्यारे हों 
सेब संतरे आम नारियल पीस्ते दाख छुहारे हों 
उड़द गेहूं धान उपजै बर्षा ज्यादा कर देगी 
कमती दान जनेती थोड़े बिना खर्च ब्याह कर देगी 

एका मेल मिलाप करो कुछ फायदा नहीं बैर के म्हं 
पाप कपट बेईमान छोड़ो ना फूको गात जहर के म्हं 
सारी चीज हौवै खेतां मैं ना जाणा पड़ै शहर के म्हं 
गऊ माता का कष्ट मिटैगा सूनी फिरै डैर के म्हं 
गुरु हरिचंद कह रोटी मोटर खेतां मैं जाकर देगी 
नगर जांडली छोटी गाणा “मुंशी राम” का कर देगी

नोएडा और गुड़गामा

नोएडा और गुड़गामा
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।
आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
                     छक्का 
सोच समझ कै करना चाहिए कोई भी काम मोदी जी 
बिना बताये करी नोटबंदी दुखी शहर गाम मोदी जी 
पचास दिन देखी बाट फेर नहीं मिल्या आराम मोदी जी 
इब्ब तो करो कुछ म्हारा रोटी रोजी का इंतजाम मोदी जी 
गरीब भूखे मार कै नै हुए सो घने बदनाम मोदी जी 
स्वीश बैंक आल्यां के इब्बी नाम क्यों राखे गुमनाम मोदी जी 

सावित्री बाई फुल्ले

सावित्री बाई फुल्ले 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
समाज के घणे  ताने सुणे पर ना पाछै कदम हटाया ॥ 
महिला नै समाज मैं पूरे मिलने चाहिए अधिकार 
पूरा जीवन लगा दिया किया जन जन मैं प्रचार 
बारा साल मैं ब्याह होग्या फेर भी अपना फर्ज निभाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
लिंग भेद का विरोध करया पति नै पूरा साथ दिया था 
जाति भेद के खिलाफ उणनै यो खुल्ला ऐलान किया था  
बाल हत्या प्रतिबन्धक गृह यो सुरक्षा सेंटर बनाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
महिलाओं को पढ़ाने जब सावित्री स्कूल मैं जाया करती 
जनता गोबर फ़ैंकती बहोतै क्रोध या जताया करती 
स्कूल जा साड़ी रोज बदली महिलाओं को जरूर पढ़ाया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 
दत्तक पुत्र डॉक्टर बणग्या पुणे मैं अस्पताल चलाया 
सावित्री बाई मरीज सेवा मैं अपना काफी बख्त लगाया 
समाज सुधार मैं रणबीर अपना पूरा जीवन बिताया ॥ 
छोरियां का सबतैं पहला सावित्रीबाई नै स्कूल चलाया ॥ 

Thursday, 29 December 2016

हरियाणा के 50 साल और 2017 नया साल

हरियाणा के 50 साल और 2017 नया साल 
हरियाणा के 50  साल के  सफर को कई नजरों से देखा जा रहा है । हरियाणा ने तरक्की की मगर देखने और समझने की बात यह है कि वह कितनी जेंडर फ्रेंडली है , कितनी ईको फ्रेंडली है , कितनी आल इन्क्लूजिव है और कितनी सस्टेनेबल है, कितनी ह्यूमन है  । एक समीक्षात्मक विवरण नहीं आ पा रहा है ।  इसके गौरव पर ही फोकस है ।  क्या वह गौरव अपनी लड़कियों के कतल का गौरव है या किसान को फांसी खाने पर मजबूर करने का गौरव है या असुरक्षा के  माहौल को बढ़ावा देने का गौरव है या महिला हिंसा को बढ़ावा देने का गौरव है । 

म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया
आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया (टेक)

छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी
समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुइ सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै
आदमी आदमी का दुश्मन ना यो रोजै ए घर घालै
समाज की बुन्तर सालै यो हरयाणा बदनाम कराया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावैं देखो
छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावैं देखो
जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं
जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं, रणबीर सिंह घणा घबराया।।
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

Tuesday, 27 December 2016

नया साल 2017

नया साल 2017 
हम नए साल में कदम मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
नया साल मुबारक हो रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥ 

Monday, 26 December 2016

नए साल

नया साल 2017 
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
पाछले साल की ढालां इस साल बी गरीब तंग पावैगा ॥ 
दुनिया मैं पूंजी के कोहरे नै गरीबों के अँधेरे बढ़ाये 
फासीवादी दानव  हिम्माती भारत मैं पूरी तरियां छाये 
ढाई साल पहलम कई वायदे करकै नै राज मैं आये 
फिसड्डी रैहगे लागू करने मैं अंध राष्ट्रवाद नै ल्याये 
संघ नै उधम मचाये घणे आगै यो और भी मचा वैगा ॥ 
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
साम्प्रदायिक और जातिगत विद्वेष को इणनै सै बढ़ाया 
कितै गोमांश के नाम पै घणा कोहराम गया मचाया 
इन सबके पाछै बी जिब अपनी नाकामी छिपा ना पाया 
कालेधन पै हमला कैहके नोटबंदी का यो उधम मचाया 
इसनै मचाई सै त्राहि त्राहि गरीब रोटी किततैं  खावैगा॥
 इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
बेरोजगारी और महंगाई का समाधान नहीं कर पाए 
जिसनै विरोध करया थोड़ा वे सारे देश द्रोही बताये 
स्कूल कालेज की शिक्षा मैं भगवाकरण के पंख फैलाये 
काले धन की खूब बात करी ये काले धन आले बचाये 
निचला बैठै कोन्या संघ दखे और नए गुल खिलावैगा ॥
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 
जिणनै देश की आजादी मैं गोरयां का पूरा साथ निभाया 
उणनै राष्ट्रद्रोही बनाणे का यो देश मैं अभियान चलाया
कश्मीर का मसला भी इननै और घणा आज  उलझाया  
फर्जी मुठभेड़ों तैं देश म्हारा गया और घणा आज डराया 
नए साल यो देखियो भाईयो जनता की भ्यां बुलवावैगा ॥  
इक्कीसवीं सदी के दूसरे शतक का नया साल आवैगा ॥ 



Thursday, 22 December 2016

म्हारा हरियाणा -सबका हरियाणा

म्हारा  हरियाणा -सबका हरियाणा 
लालच लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे ॥ 
या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥ 
भरपूर इन्सान उभरै म्हारे इस प्यारे हरियाणा मैं 
सही बात और बोल कहे जावैं म्हारे हरियाणा मैं 
बीमारी की रोकथाम हो सही सबका इलाज करावांगे॥ 
दोगली शिक्षा का खात्मा हो सबनै  शिक्षा मिलै पूरी 
नाड़ काट मुकाबला ना रहै ना हो पीसे की मजबूरी 
नशा खोरी नहीं टोही पावै हम यो अभियान चलावांगे ॥ 
मुनाफा  मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै 
जिसकी लाठी भैंस उसकी यो जुमला फेर नहीं बचै 
प्रदूषण बढ़ता जा हम धरती बाँझ होण तैं  बचावांगे ॥ 
महिला नै इंसान समझां  रीत ख़त्म हो दोयम दर्जे की 
दलित उत्पीडन खत्म होवै ना मार बचै इस कर्जे की 
नौजवान नै रोजगार मिलै सारे कै बिगुल बजावांगे॥ 

नए हरियाणा का निर्माण


         नए हरियाणा का निर्माण
नए हरियाणा का निर्माण 

म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥

              म्हारे पूर्वजों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो,जित दूध दही का ख़ाणा  हो
ख़त्म जात पात का बाणा हो , म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
आर्थिक आधार तरक्की के इनतै आगै जाणा  होगा
सामाजिक आधार बिगड़गे इनको ठीक बणाणा होगा
सबनै बढ़िया पढ़ाई मिलै ,सबनै बढ़िया दवाई मिलै
सबनै बढ़िया कमाई मिलै,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
भाई तैं भाई का प्यार यो परवान चढ़ै हरियाणा मैं
महिला नै सम्मान मिलै या आगै बढ़ै हरियाणा मैं
यो किसान खुशहाल होवै रै ,मजदूर ना बेगार ढोवै रै
उद्योग ना रफ़्तार खोवै रै ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
घरां कै ताले ना लावै कोए इस समाज हो म्हारा देखो
इज्जत के नाम पै ना मारैं इसा रिवाज हो म्हारा देखो
म्हारा रिश्ता भाण भाई का , म्हारा तरीका ब्याह सगाई का
ना बणै कारण रुसवाई का ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
अमीर गरीब की खाई भाण भाईयो मिलकै भरनी होगी
प्रगतिशील समाज की नींव मिलकै पक्की करनी होगी
आसान यो काम अधूरा कोन्या,कर सके अकेला जमूरा कोन्या
थारे म्हारे बिन हो पूरा कोन्या ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥



Tuesday, 6 December 2016

बहुविविधता

बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥ 
जिस पत्थर की मूर्ती के पाहयों के मां पड़ते देख 
उन मूर्तियों को मुसलमान कारीगर ही घड़ते देख 
किस कारण फेर ये दोनूं क्यों आपस मैं भिड़ते देख 
हिन्दू देवी देवताओं का मुसलमान ही व्यापर करते 
हर सिंगार मूर्तियों का सब मुसलमान तैयार करते 
ताजा ताजा फूल तोड़कै तैयार गले का हार करते 
कदे कदीमी चलती आयी या कारोबार दिखाऊं मैं ॥ 
बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥ 
देवी देवताओं उप्पर  हिन्दू जो प्रसाद चढ़ाते देखो 
खील पतासे बूरा मखाने मुस्लिम भाई बनाते देखो 
 भोग लगाकै देवता का इणनै सारे हिन्दू खाते देखो 
साधु जी जो खड़ाऊँ पहरे मन्दिर के मैं फिरता देख 
भगवा कपडे मुस्लिम रंगता रँगरेज ही करता देख 
दूकान लगाते मुस्लिम भाई जिब  मेला भरता देख 
कोए भावना नहीं सै द्वेष की कोन्या झूठ भकाऊँ मैं ॥ 
कदे यात्रा करी सै  तमनै कैलाश मानसरोवर जाकै 
हिन्दू यात्रियों का बोझा मुस्लिम ढोता सिर पै ठाकै 
हिन्दू मुस्लिम रहे सैं मिलकै देखल्यो पाछे नै लखाकै 
हिन्दू नारी के हाथों मैं चूड़ी  सुहाग की पहचान कहैं 
मांग मैं सिन्दूर  भरणा महिला का होता सम्मान कहैं 
इन दोनों का बनाने आला उसे भाई मुसलमान कहैं 
इस विविधता का आड़ै  हुया खूब आदर समझाऊँ मैं ॥ 

स्मार्ट सिटी

                स्मार्ट सिटी
सम्राट सिटी बण्या तो कौन बसै कौन उजड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
म्हारे गाम की धरती नै सरकार कब्जाना चाहवै सै
बिकै तीस लाख मैं किल्ला किसान बाधु पाया चाहवै सै
बिन किल्ले आले लोगों का यो पीतलिया लिकड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
राजस्थान मैं जाकै खरीदैं चौधरी बीस किल्ले धरती के
बिना बिसवे आला भटकै हाल बुरे होये सैं सरती के
किसा बुरा जमाना आया यो गरीब जमा पिछड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
पुराने गाम मैं म्हारे पै थोड़ा ए घणा सै रोजगार देखो
हाल बढ़िया नहीं सैं मुश्किल मैं जीवै परिवार देखो
नए शहर मैं कून बड़न दे यो असल उड़ै उघड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
खेत मजूरी बचै नहीं नए शहर मैं काम मिलै ना भाई
घरबार रूल ज्यांगे म्हारे यो चेहरा कदे खिलै ना भाई
रणबीर सिंह की कविताई यो घेरा घणा जकड़ ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥