Wednesday, 29 June 2016

MODI MODI

मोदी मोदी होरी मीडिआ मैं चलाया देश नाश की राही 
सौ प्रतिशत की दे इजाजत बुला लई या अफ डी आई 
पढ़ण खातर इंतजाम थोड़े महंगी या पढ़ाई देखो 
किल्लत स्कूल जावण की हाई स्कूल दूर बनाई देखो 
पीसा कमावण की खातर या प्राइवेट शिक्षा बढ़ाई ॥ 
दिखावा विकास का करते धर्म पै देश बांटना चाहते 
अडानी अम्बानी की गोज भरैं म्हारी जमा खालीकराते
बड़ा हिस्सा चुनाव ना लड़ पावै शिक्षा की पाबंदी लगाई ॥ 
भ्र्ष्टाचार सब सीमा लांघग्या झूठा काले धन का नारा 
कितै गऊ पै कितै जात पै यो तुड़वा दिया भाईचारा 
खेती पीट दी कसूती तरियां घणे किसानां नै फांसी खाई ॥ 
कोहराम करा आरक्षण पै जाट गैर जाट मैं बांटै  रै  
एस्मा लगा कर्मचारियों पै जनतंत्र की जड़ नै काटै रै 
आच्छी ढालां बाँट कै जनता हिन्तुत्व की घंटी बजाई ॥ 

Saturday, 25 June 2016

राष्ट्रवाद का गीत---सही राम

राष्ट्रवाद का  गीत  --सही राम
यह है लाठी, यह तलवार,
बर्छी, भाला और कटार
फिर अपनी ही तो है सरकार
अब बात करो समरसता की
जय बोलो भारत माता की
000
कौन  कवि और कलावंत है
सब कांग्रेस  और वामपंथ है
मुगलों का  इतिहास पढ़ाते
राणाजी को  हैं बिसराते
न ही शिवाजी, ना सावरकर
हिंदू गौरव धूल बराबर
राष्ट्रवाद कहां चलता है
फिर साइंस में भी घपला है
ज्ञान और विज्ञान तो सारा
वेदों से ही निकला है
बाकी  जग सब कंगला  है
पर श्रेय कहां सब मिलता है
वेद, उपनिषद तीनों लोक
रोज लगानी चाहिए धोक
कालेज और युनिवर्सिटियां
सभी ज्ञान के गड्ढे हैं
बस व्यभिचार के  अड्डे हैं
सरस्वती की  धारा खोजो
बात करो अब गीता की
जय बोलो भारत माता की
0 0 0
ना रोजी-रोटी की  बात करेंगे
तुम क्या खाते हो यह देखेंगे
कहीं दाल न हो यह अरहर की
हम जांच करेंगे घर भर की
थाली और पतीली सारी
उलट-पुलट कर देखेंगे
कहीं खाया तुमने बीफ न हो
यह जांच-परख कर देखेंगे
जान की  चाहते गर तुम खैर
मत लेना तुम हमसे बैर
खान-पान, आचार-विचार
संस्कार  की  हो भरमार
लडक़ा-लडक़ी चले ना साथ
घुल-मिलकर वे करें न बात
पार्क  में, बाजारों में यही लगाए हैं हम घात
संस्कृति  के  कद्रदान हैं
अब बात करो गौमाता की
जय बोलो भारत माता की
000
बुद्धि के  जरा मंद हैं
बहुत मगर हम हुनरमंद है
अफवाहों के  हम उस्ताद
नानी सबको  दिला दें याद
जब चाहे दंगे करवा दें
भाई से भाई लड़वा दें
धर्म नहीं तो जात पर
बात नहीं बेबात पर
नफरत की  आंधी फैला दें
सोए हुए मसान जगाा दें
लव जिहाद का  रचें वितंडा
न मुर्गी, न हो चाहे अंडा
धर्मांतरण का  लेकर फंडा
जब चाहे हम चला दें डंडा
खौफ का  ऐसा हो माहौल
जात धर्म का  घातक  घोल
हम सब बोलें ऐसे बोल
हम धर्मध्वजा के  वाहक  हैं
अब बात करो इस सत्ता की
जय बोलो भारत माता की
000
राजपथ पर योग हो
जोग में सारा भोग हो
हर पार्क  में शाखा हो
हिंदू राष्ट्र  का  खाका  हो
कदम-कदम पर धोखा हो
हर प्रयोग अनोखा हो
राष्ट्र  प्रेम  तू हमसे सीख
कपट छिपाकर भोला दीख
मुंह से राम अगर तुम बोलो
छुरी जहर की  बगल में ले लो
जनता गर मांगेगी रोटी
तैयार रहे तेरी यह सोटी
सेठों पर तो रकम है मोटी
फिट कर ले तू अपनी गोटी
लूट राज की  रक्षा में सन्नद्घ रहो
अब झोली भर दो दाता की
जय बोलो भारत माता की
000
यह भारत का  झंडा है
यह राष्ट्रवाद  का  डंडा है
देशद्रोही यहां अनेक
देशभक्त हैं हम बस एक
यह केसरिया  झंडा देख
इसके  आगे कुछ  न देख
अपना है बस फंडा एक
रचें वितंडा रोज अनेक
भरमाना है एक  कला
हम हैं ऐसी बुरी बला
विरोधी तेरे मुंह में खाक
तुझे भेजते हैं हम पाक
ऐसा तेरा क र दें हाल
जीना तेरा करें मुहाल
सदियों बाद मिला है मौका
मर्जी यही विधाता की
जय बोलो भारत माता की
000
कर्ज में डूबे रहें किसान
आत्महत्या का  ले वरदान
धरती दे दो सेठों
मजदूर बना दो बेटों को
अंबानी हैं और अडानी
बाकी  दुनिया सब बेमानी
काले  धन का  वादा था
फिर सोचा तो ज्यादा था
माल्या सेठ रहें आबाद
जनता चाहे हो बर्बाद
श्री श्री है, रामदेव हैं
और न जाने कितने  देव हैं
इनकी  कृपा  बनी रहे
गांठ प्रेम की  बंधी रहे
बाकी  तो सब पोल है
मत बात करो मतदाता की
जय बोलो भारत माता की
000
अभी मसखरा आया है
अब देखो रोज तमाशे तुम
तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर
खाओ खील-बताशे तुुम
स्वदेशी की  है हुंकार
अमरीका की  जय-जयकार
संस्कृति  और संस्कार की 
रोज सजे है धूनी अब
काम  धंधे सब चौपट हो गए
खेती हो गयी सूनी अब
पीछे से बस लात पड़ेगी
आगे से होगी पुचकार
आखिर में बस यही दुहाई
इतना मत मारो सरकार
अब विकास का  जाप रहेगा
छुरी बगल में दाता की
जय बोलो भारत माता की
000

Tuesday, 21 June 2016

THe Day

पहले कोई चीज  विचार के स्तर पर सामने आती है फिर मूर्त रूप लेती है ||
टेक.......ये मर्द बड़े बेदर्द बड़े
ना टोहया  पा वै भ्रष्टाचारी औ दिन कद आ वैगा 
ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आ वैगा 
रोटी कपडा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे 
चेहरे की त्योरी मिटज्याँ सब ठाठ दिखाई देंगे 
काम करने के घंटे पूरे फेर ये आठ दिखाई देंगे  
म्हारे बालक बी बणे हुए मुल्की लाठ  दिखाई देंगे 
कूकै कोयल बागों मैं प्यारी औ दिन कद आ वैगा ||
दूध दही का खाना हो बालकां नै मौज रहैगी 
छोरी माँ बापां नै फेर कति नहीं बोझ रहैगी 
तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी 
बढ़िया ब्योहर हो ज्यागा ना सिर पै फ़ौज रहैगी 
ना होवै औरत नै लाचारी औ दिन कद आ वैगा ||
सुल्फा चरस फ़ीम का ना कोए अमली पावै 
माणस डांगर नहीं रहै नहीं कोए जंगली पावै 
पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै 
दान दहेज़ कर कै नै दुःख ना कोए बबली पावै 
हो वैं बराबर नर और नारी औ दिन कद आ वैगा ||
माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटैगा 
गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाँटैगा 
लिख कै बात सबकी सबके दुःख नै बांटैगा 
वोह पापी होगा जो आज इसा बनने तैं नाटैगा 
राड़ खत्म हो म्हारी थारी औ दिन कद आ वैगा ||