Monday, 9 March 2015

Shaheed Bhagat Singh

भगत सिंह देश के हालातों का विश्लेषण करते हुए एक रोज अपने साथियों को बताता है ~~~~~
बुरी माड़ी कार करांगे तै या कैसे गुलामी जावैगी रै।।
बिना म्हारी थारी एकता के या कौम हरामी खावैगी रै।।
म्हारी कोए इज्जत कोन्या गोरे बिना बात दाब देवैं रै
म्हारे मूंह मैं टूक टांट पै जूता गोरे साहब देवैं रै
डैम ब्लेडीफूल की गाली बहोत ए खराब देवैं रै
किसान लागते घणे भूण्डे कदे ना कोए लाभ देवैं रै
फूट गेरो राज करो की नीति आम्हा साहमी लड़वावैगी रै।।
हम खोलां कान बहरे इन अफसर होद्देदारां के
हमनै मानस ना समझैं बैठानिया टमटम कारां के
सच्चाई पूरी समझनी होगी झूठी बातां का साहरा के 
हमतो मरैं गरीबी मैं गौरे पहरैं सूट हजारां के 
गोरयां का राज रहया तो म्हारी कछी पजामी जावैगी रै।।
कहै मैं सेठां मैं सेठ बड़ा चुण्या गया दुनिया मैं देखो
दूर दूर के मुलकां मैं स्याणा गिण्या गया दुनिया मैं देखो 
दिमाग लगाकै जाल पूरा बुण्या गया दुनिया मैं देखो 
म्हारा करया विरोध जिसनै धुण्या गया दुनिया मैं देखो 
नहीं बेरा था गोऱयां नै कुकर्मां तैँ बदनामी आवैगी रै।।
आजादी का जनून जो म्हारा यो गुलामी का दाग धोवैगा
उठ ऊपर जात पात तैं बीज राष्ट्र प्रेम के बोवैगा 
जनता के संघर्ष के आगै गोरा कसूती ढालाँ रोवैगा
अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा सफल जरूरी होवैगा
रणबीर भगतसिंह तैं रोज दई सलामी जावैगी रै।।