Friday, 22 February 2013
Sunday, 17 February 2013
Tuesday, 12 February 2013
Monday, 11 February 2013
Saturday, 2 February 2013
BHAGAT SINGH
भगत सिंह एक बात के द्वारा इस संसार के बारे में क्या कहते हैं
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कौन किसे की गेल्याँ आया कौन किसे की गेल्याँ जावै रै
कमेरे नै तो रोटी कोन्या यो लुटेरा घनी मौज उड़ावै रै
किस नै सै संसार बनाया किस नै रच्या समाज यो
म्हारा भाग तै भूख बताया सजै कामचोर कै ताज यो
मानवता का रुखाला क्यों पाई पाई का मोहताज यो
सरमायेदार क्यों लूट रहया मेहनतकश की लाज यो
क्यों ना समझां बात मोटी कून म्हारा भूत बनावै रै ||
कौन पहाड़ तौड़ कै करता धरती समतल मैदान ये
हल चला फसल उपजावै उसी का नाम किसान ये
कौन धरा नै चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये
ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर हुया धनवान ये
कर्मों का फल मिलता सबको नयों कह कै बहकावै रै ||
हम उठां अक जात पात का मिटा सकां कारोबार यो
हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अंधकार यो
हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो
हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्योव्हार यो
जात पात और भाग भरोसै कोन्या पर बसावै रै ||
झुठ्याँ पै ना यकीन करो माहरी ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर
जागते रहियो मत सोजाईयो म्हारी मंजिल नासै दूर
सिर्जन हारे हाथ म्हारे सें रणबीर घने अजब रनसूर
भगत सिंह आजादी खातर फांसी चूमी चाहवै रै ||
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