Tuesday, 12 February 2013

Saturday, 2 February 2013

BHAGAT SINGH

भगत सिंह एक बात के द्वारा इस संसार के बारे में क्या कहते हैं
कौन किसे की गेल्याँ आया कौन किसे की गेल्याँ जावै रै 
कमेरे नै तो रोटी कोन्या यो लुटेरा घनी मौज उड़ावै  रै 
किस नै सै संसार बनाया किस नै रच्या समाज यो 
म्हारा भाग तै भूख बताया सजै कामचोर कै ताज यो 
मानवता का रुखाला क्यों पाई पाई का मोहताज यो 
सरमायेदार क्यों लूट रहया मेहनतकश की लाज यो 
क्यों ना समझां बात मोटी कून म्हारा भूत बनावै रै ||
कौन पहाड़ तौड़ कै करता धरती समतल मैदान ये 
हल चला फसल उपजावै  उसी का नाम किसान ये 
कौन धरा नै चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये 
ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर हुया धनवान ये 
कर्मों का फल मिलता सबको नयों कह कै बहकावै रै ||
हम उठां अक जात पात का मिटा सकां कारोबार  यो  
हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अंधकार यो 
हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो 
हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्योव्हार यो 
जात पात और भाग भरोसै कोन्या पर बसावै रै  ||
झुठ्याँ पै ना यकीन करो माहरी ताकत सै भरपूर 
म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर 
जागते रहियो मत सोजाईयो म्हारी मंजिल नासै दूर 
सिर्जन हारे हाथ म्हारे सें  रणबीर  घने अजब रनसूर
भगत सिंह आजादी खातर फांसी चूमी चाहवै रै ||



 
  

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