Wednesday, 6 November 2013

PREM KAUR KA INTZAR

बहुत इन्तजार किया प्रेमकौर ने फौजी के छुट्टी आने का। तरह तरह की खबरें थी। भारत की फौज के बारे अफवाहें जारी थी। आजाद हिन्द फौज के लिए सुभाश चन्द्र बोस बहुत प्रयास कर रहे थे। मेहर सिंह का कोई अता पता नहीं लग रहा था। तब प्रेम कौर एक चिठ्ठी लिखवाती है। क्या बतसष भला-

लिख्या चिठ्ठी के दरम्यान,कुछ तो करो मेहर सिंह जी ध्यान, ल्यो मेरा कहया मान
, जिसकै घरां बहू जवान, ना रुसानी चाहिये सै,ख्याल करिये।
समझ कै कार करो इन्साफी, गल्ती होतै दियो माफी,पापी ना हो कमा खुषहाल,
 जिसनै नहीं बहू का ख्याल, जो देवे कानां पर को टाल, 
उनै देती दुनिसा गााल, ना खानी चाहिये सै, ख्याल करिये।
अपनी इज्जत खुद क्यूं खोवै, अगत के राह मैं कांटे बोवै
होवै या बीमार लाइलाज, जल्दी करदे किमै इलाज,होवै तनै बीर पै नाज
तूं तो गया फौज मैं भाज, बहू बुलानी चाहिये सै, ख्याल करिये।
बिना तेरे जवां उम्र ना कटती,इसमैं तेरी बी आबरु घटती,
डटती ना उठती जवानी,कर साजन मेहरबानी, मतना कर तूं मनमानी
कदे होज्या ना कोए नादानी, समझाानी चाहिये सै, ख्याल करिये।
कहूं रणबीर सिंह तैं डरकै,ध्यान सब उंच नीच पै धरकै
लिख कै बहू को दो बात, चिन्ता कम करो मेरे नाथ, मैं देउंगी थारा पूरा साथ
करकै घरां खूब खुभात,या दिखानी चाहिये से, ख्याल करिये।

SACHA PAYAR

फौजी मेहर सिंह की मुसलमानों में बहुत पक्की यारी दोस्ती थी। यह बात उनकी छोटी भाभी ने चैपाल में सबके सामने बताई थी। वह इसे फौजी के जीवन के अवगुण के रुप में देखती थी। फौजी मेहर सिंह ने हिन्दू लड़के और मुसलमान लड़की के प्यार और विवाह पर आधारित एक किस्सा कालीचरण भी लिखा था। इस किस्से की सब सीमाओं के बावजूद फौजी मेहर सिंह लड़के लड़की के प्यार को बड़ी अहमियत देते हैं और उन दोनों की षादी तक किस्से को पहुंचाते हैं। एक बार फौज में अन्र्तजातीय विवाह और हीर रांझा के किस्से को लेकर काफी बहस होती है। मेहर सिंह कई दिन तक सोचते हैं और फिर एक रागनी म नही मन सोचते हैं। इस मौके के बारे में कवि ने क्या कल्पना की है भला-
सच्चा प्यार करणियां नै कदे पाछै कदम हटाये कोन्या।।
एक बर जो मन धार लिया मुड़कै फेर लखाये कोन्या।।
हीर रांझा नै अपने बख्तां मैं पूरा प्यार निभाया कहते
लीलो चमन हुए समाज मैं घणा लोड उठाया कहते
सोनी महिवाल सच्चे प्रेमी मौत को गले लगाया कहते
आज के लोग नहीं बेरा क्यूं प्रमियों को मरवाया कहते
सुण कै फरमान समाज के कदे प्रेमी घबराये कोन्या।।
नल दमयन्ती का किस्सा हम कदे कदीमी सुणते आवां
दमयन्ती नै वर माला घाली या सच्चाई कैसे भुलावां
अपना वर आपै चुण्या क्यों इस परम्परा नै छिपावां
खुद की मर्जी तै जो ब्याह करैं उनकै फांसी क्यों लावां
हरियाणा के प्रेमी जोड़े ये समाज कै काबू आये कोन्या।।
सत्यवान ओर सावि़त्री का किस्सा बाजे लख्मी गागे आड़ै
सावित्री लड़ी यमराज तैं कहते पिंड छुड़ाकै भागे आडै़
सावित्री तै इतनी आजादी देवणिया लेखक बी छागे आड़ै
हयिाणा के दो जात बीच के प्रेमी क्यों फांसी खागे आड़ै
हरियाणा नम्बर वन प्यार मैं इसे गाणे गाये कोन्या।।
दो जात्यां बीच प्रेम विवाह का चलन बढ़ता आवै सै
फांसी का फंदा दीखै साहमी पर प्यार पींग बढ़ावै सै
इसी चीज के होसै प्यार मैं प्रेमी जोड़यां नै उकसावै सै
रणबीर सोचै पड़या खाट मैं बात समझ नहीं पावै सै
तहे दिल तैं साथ थारै सूं मनै झूठे छन्द बनाये कोन्या।।

KISAN DUKH KATHA

आज दो एकड़ वाले किसान की माली और सामाजिक  हालत काफी खराब है, खासकर जब परिवार का कोई सदस्य महिला या पुरुश सरकारी या गैर सरकारी नौकरी पर भी नहीं है। उसकी खेती मुष्किल में है। एकाध भैंस बांध कर उसका दूध बेचकर गुजारा भी मुष्किल हो रहा है। दिन रात पूरा परिवार खास कर महिला वर्ग मेहनत में जुटा रहता है। कवि ने कल्पना की इसकी हालत की और क्या बताया भला-
चारों तरफ तैं घेरया, सांस मुष्किल तैं लेरया
कति निचैड़ कै गेरया, राम क्यूं आन्धा होग्या।ं
भावां पर निगाह टिकी, बधावण की आस किमैं
बेरा ना ये कितना बढ़ैंगे,आवैगी मनै सांस किमैं
दीखै फंदा यो फांसी का, बख्त नहीं से हांसी का
दौरा पड़ै सै खांसी का, राम क्यूं आन्धा होग्या।।
पूरा हांगा ला हमनै दिन रात खेत क्यार कमाया रै
मण्डी मैं जिब लाग्गी बोली बहोत घणा घबराया रै
ना मेरी समझ मैं आया,नहीं किसै नै समझाया
पग पग पै धोखा खाया, राम क्यूं आन्धा होग्या।।
धरती बेंक आल्यां कै लाल स्याही मैं चढ़गी लोगो
बीस लाख मैं एक किला कुड़की कीमत बधगी लोगो
बीस लाख मैं का के करुंगा, किस डगर पैर धरुंगा
दो चार साल मैं डूब मरुंगा, राम क्यूं आन्धा होग्या।।
मेरे बरगे भाई सल्फास की, गोली खा खा मरते देखो
जी मेरा बी करता खाल्यूं,खाल्यूं गधे खेती चरते देखो
नहीं देखूं मैं कुआं झेरा,रणबीर सिंह साथी मेरा
संघर्श चलावांगे चै फेरा, राम क्यूं आन्धा होग्या।।